मन की खिड़की
दिल का दरवाज़ा खुला
रखता हूँ
मेहमानों का निरंतर
इंतज़ार करता हूँ
सब्र नहीं खोता
किस जात,
दिल का दरवाज़ा खुला
रखता हूँ
मेहमानों का निरंतर
इंतज़ार करता हूँ
सब्र नहीं खोता
किस जात,
किस रंग का होगा ?
कब आयेगा ?
नहीं सोचता
दिल के सौदे में कोई
दिल के सौदे में कोई
मोल भाव नहीं करता
हर आने वाले का
इस्तकबाल करता
दिल मिले
हर आने वाले का
इस्तकबाल करता
दिल मिले
जब तक रखता हूँ
ना मिले तो प्यार से
विदा करता हूँ
ना मलाल करता
ना रंज कोई रखता हूँ
ना मिले तो प्यार से
विदा करता हूँ
ना मलाल करता
ना रंज कोई रखता हूँ
नए मेहमान से
मिलने का अरमान
कभी ख़त्म नहीं होता
उम्मीद में
उम्मीद में
वक़्त गुजारता हूँ
11-06-2011
1033-60-06-11
1 टिप्पणियाँ:
bahut khoob rajendra ji.badhai.
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