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बुधवार, 13 अप्रैल 2011

परिवर्तन की लहर ...!!

जमाने में अब एक लहर रही है ,
सुनहरे रंगों भरी इक सहर रही है ,

कोई देखे ना देखे इसके ज़लाल को ,
बन के जलजला और कहर रही है ,

जो समझते है इसे सिर्फ पत्तों का धुवां ,
तपिश उसकी सबको अभी से नजर रही है ,

हिल जाएँगी उनकी भी इमानो की चूलें ,
अब तक जो वक़्त से बे-असर रही हैं ,

वो बे-जुबां भी अब बोलने लगे हैं ,ज़नाब ,
'कमलेश'अब जंतर-मन्तर से , सही खबर रही है

रविवार, 10 अप्रैल 2011

क्या जनलोकपाल विधेयक से भ्रष्टचारियों पर लगेगा अंकुश?

भष्टाचार के खिलाफ अब तक देश में तीन बडे आंदोलन हो चुके है। सबसे पहला आंदोलन 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के द्वारा चलाया गया था। यह आंदोलन बिहार में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ था। हालांकि यह आंदोलन संपूर्ण क्रांति के तौर पर फैला था। लेकिन इस आंदोलन का कितना असर पडा, यह हम सब बिहार की हालत देखकर समझ सकते हैं।


इसके बाद दूसरा आंदोलन विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा 1987 में चलाया गया था।यह बोफोर्स तोप सौदे के घोटाले से जुडा था। यह आंदोलन भी देश की आवाज बना था। बोफोर्स तोप के मामले में कुछ लोगों के नाम सामने आये, लेकिन बात वहीं की वहीं रही।बोफोर्स तोप घोटाले में किसी को कोई सजा नहीं हो पाई है और अब यह केस काफी लंबा होने की वजह से बंद कर दिया गया।
तीसरा आंदोलन 5 अप्रैल 2011 को अन्ना हजारे ने किया। अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और जन लोकपाल विधेयक बनाने की मांग लेकर अनशन पर बैठ गये। उनके साथ देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं स्वामी अग्निवेश, अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, स्वामी रामदेव व श्री श्री रविशंकर भी इस मुहिम में शामिल हुए। धीरे-धीरे उनके साथ पूरा देश इस जंग में शामिल हो गया। भ्रष्टाचार के खिलाफ इस मुहीम में लोगों को जोडने का सबसे बड़ा माध्यम सोशल साइटें बनी। जनता के एक साथ इतनी बडी संख्या में जुडने से सरकार को झुकना पडा। गई और उन्होंने अन्ना हजारे की मांगों को मानते हुए जन लोकपाल विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक से लोगों को उम्मीदें तो बहुत है, पर देखना यह है कि इस विधेयक से लोगों को कितनी राहत मिलती है और क्या यह विधेयक अपनी कसौटी पर खरा उतर पाएगा ?

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

भ्रष्टाचार के विरोध में एकजुट हुए पत्रकार

मशाल जुलूस निकाल कर किया अन्ना हजारे का समर्थन
लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर अनशन पर बैठे समाजसेवी अन्ना हजारे के समर्थन में देश  के कई संगठन सड़क पर उतर आए हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को कालीन नगरी भदोही के पत्रकारों ने पूर्वांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष हरीश सिंह के नेत्रित्व में मशाल जुलूस  निकालकर भ्रष्टाचार खत्म करने के नारे लगाए। नगर के स्टेशन रोड स्थित प्रेस क्लब कार्यालय से दर्जनों की संख्या में पत्रकार हाथ में  भ्रष्टाचार विरोधी नारे लिखीं तख्तियां व मशाल  थामी और सड़कों पर आए। स्टेशन रोड से शुरू हुआ जुलूस नगरपालिका परिसर में पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर जुलुस को समाप्त किया, इस दौरान पत्रकारों ने हाथ में भ्रस्टाचार समाप्त करो. अन्ना  हजारे तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं, भ्रष्टाचार खत्म करो, लोकपाल विधेयक लागू करो जैसे नारे लिखी तख्तियां लेकर चल रहे थे. जुलुस में राधेमोहन श्रीवास्तव {द पायनियर} बालगोविन्द यादव {कान्तिदूत टाईम्स} नसीर कुरैशी { संपादक- सत्यम न्यूज़} पंकज उपाध्याय { आज}  सर्वेश राय { राष्ट्रिय सहारा} समसुद्दीन मुन्ना { सिटी न्यूज़} होरीलाल यादव व सलीम खान व फिरोज खान { दैनिक जागरण} दिनेश पटेल { ज़ी-न्यूज़} आफ़ताब आलम {राष्ट्रिय सहारा}  अखिलेश पाल { छात्र नेता} सन्देश दुबे {जिला प्रभारी पतंजलि योग समिति} आदि लोंगो ने  अन्ना हजारे के समर्र्थन में अपने विचार व्यक्त किए।

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