शनिवार, 16 अप्रैल 2011

हरीश सिंह के ब्लॉग पर एक निंदनीय लेख- कृपया विरोध करें

हरीश सिंह के ब्लॉग डंके की चोट पर  पर एक निंदनीय लेख लगा है..शायद अनवर जमाल ने लिखा है..शिवलिंग के बारे में..
आप सब से अनुरोध है की उस लेख को पढ़ें और अपना विरोध या समर्थन(अगर कर सके तों) प्रदर्शित करें..

उन्होंने शीर्षक गलत लगाया है सिर्फ मुस्लिम ब्लागर ही नहीं, सभी हिन्दू ब्लागर भी इसका विरोध करें. क्योंकि कुछ लोंगो की मानसिकता हिन्दू धर्म को और अराध्य को बदनाम करने की है, जब कुरान और इस्लाम के बारे में  कोई लिखता है तो मुस्लिम भाई चिल्लाने लगते हैं. सच बोलने की ताकत है तो अपना विचार अवश्य रखें.
मैं निंदा करता हूँ ऐसे वाहियात लेख की...सच तो ये है की ये निंदा के लायक भी लेख नहीं है..
अनवर भाई धार्मिक भावनाओं से न खेले..अब हालत बदल रहें है...
आशय समझ गए होंगे...हिन्दू अब पंगु नहीं रहा...
मत धैर्य की परीछा लें हमारी . अनवर भाई..


आखिर सहने की सीमा होती है..
सागर के उर में ज्वाला सोती है..
मलयानिल कभी बवंडर बन ही जाता है..
भोले शिव का तृतीय नेत्र खुल ही जाता है...
लेखों,जेहादी नारों से हथियारों से..
हिन्दू का शीश नवा लोगे ये मत सोचो..
हिंसा और सेकुलरिज्म के हथियारों से
शिव पर ऊँगली तुम उठा लोगे ये मत सोचो............

कृपया विश्व बंधुत्व की भावना का सम्मान करें..एक दुसरे का सम्मान करें.. और समाज को तोड़ने वालों को मुहतोड़ जवाब दे,

ॐ नमः शिवाय

16 टिप्पणियाँ:

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

कमाल है, आशुतोष जी,

इस लेख को पढ़ने के बाद भी इसको भाई कह कर संबोधित किया?

इसके कमेन्ट भी पढ़ा करो, इसका एक ब्लॉग है कमेन्ट गार्डन नाम से, उसके लेख पढ़ो, एक और ब्लॉग है "ब्लोगर यूनिवर्सिटी" उसको भी पढ़ना, पहले तो मैंने इसके लेखो को पढ़ा तो मुझे बड़ा गुस्सा आया फिर इसके काफी लेख पढ़े तो पाया कि असल में ये मनोरोगी है, इसलिए अब इस पर गुस्सा नहीं आता|

इसकी मूर्खता की हद मैंने पिछले हफ्ते एक कमेन्ट में देखी थी, लेख आदरणीय श्री अन्ना हजारे जी के समर्थन में लिखा था, इसने उस लेख पर कमेन्ट में लिखा "हम तो पहले से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं अब अन्ना जी भी उतर आये, अच्छा है"

और चाहे किसी भी बिषय पर चर्चा हो रही हो इसके कमेन्ट धर्म से आगे बढते ही नहीं

इसके सारे लेख पढ़ लो आपको फिर इस पर गुस्सा नहीं आएगा, दया आयेगी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

क्या कहे?
--
???

हरीश सिंह ने कहा…

yogendra ji, hame kisi se bhi vyaktigat dushmani nahi karni chahiye. yah post ashutosh ji ko yaha nahi lagani chahiye thi. main is bog ko vivado se pare rakhna chahta hu.
बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके.,
मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

किलर झपाटा ने कहा…

अरे भाई लोगों ये हरीश सिंह नहीं, बुल्ले मुसलमान है यार, क्यों इसको हिन्दू समझ कर समझा रहे हो आप लोग। हा हा। और सलीम मियाँ कह रहे हैं वे जूतों से बात करते हैं। मत घबराइये मियाँ इधर हम भी झपाटे से बात करते हैं भाई। हा हा। और रही बात जमाल बाबू की, तो उन्हें तो वैसे ही इस्लाम का अजीर्ण हो गया है। बेचारे दवा खोजते फिर रहे हैं शिवलिंग में। शायद मिल जावे इन्हें, क्योंकि भोले बाबा कहाँ किसी को निराश करते हैं ?
बम बम ।

किलर झपाटा ने कहा…

अरे भाई लोगों ये हरीश सिंह नहीं, बुल्ले मुसलमान है यार, क्यों इसको हिन्दू समझ कर समझा रहे हो आप लोग। हा हा। और सलीम मियाँ कह रहे हैं वे जूतों से बात करते हैं। मत घबराइये मियाँ इधर हम भी झपाटे से बात करते हैं भाई। हा हा। और रही बात जमाल बाबू की, तो उन्हें तो वैसे ही इस्लाम का अजीर्ण हो गया है। बेचारे दवा खोजते फिर रहे हैं शिवलिंग में। शायद मिल जावे इन्हें, क्योंकि भोले बाबा कहाँ किसी को निराश करते हैं ?
बम बम ।

आशुतोष की कलम ने कहा…

हरीश जी,
क्या विवाद किया मैंने यह एक सार्वजानिक मंच है..क्यूँ ब्लॉग लिखते है हम सब नाम कमाने या पैसा कमाने या तुस्टीकरण के लिए..समाज के कूड़े को साफ करना भी हमारी जिम्मेदारी है..
आप बोल दीजिये नियम में की वो ही BBLM पर आ सकते हैं जो आप की हाँ में हाँ मिलाएं और भारत माता को नंगा और शिव को अपमानित करने वाले के बारे में कुछ न बोल कर नपुंसक सा व्यवहार करें..आप ने भी विरोध किया है इसका..मैंने बड़े मंच पर कर दिया...क्या अंतर है???..आप का विरोध तो सिर्फ दिखावे का है..अगर आप यहाँ मेरा विरोध कर रहें है..
यह लेखकों का मंच है..मैंने गाली नहीं दी किसी को विरोध दर्ज कराया है और विरोध करने का आह्वान किया है ..कोई दंगा फ़ैलाने का आह्वान नहीं किया है..क्यूकी यहाँ मेरे बात ज्यादा लोगो तक पहुच सकती है मेरे व्यक्तिगत ब्लॉग के तुलना में इसलिए यहाँ लिखा ..
.................
शायद इस मंच का प्रबंध एक आशुतोष को चुप करा ले मगर ये देश खाली नहीं हुआ है ....
आप चाहें तो सबकी राय लें फिर मेरी पोस्ट हटा दें या मुझे सजा दें..
मगर मेरी गलती बता दे...

हरीश सिंह ने कहा…

आशु जी, मेरी समझ में एक बात नहीं आती, क्यों आप हमेशा आक्रमण के लिए तैयार रहते हैं. मैंने कब कहा की आप या कोई भी ब्लॉग लेखक मेरी हा में हा मिलाये. इस ब्लॉग पर जितने भी लेखक जुड़े हुए हैं. सभी का बराबर हक़ है. कोई भी निर्णय यहाँ पर सर्वसम्मति से लिए जाते हैं. आप खुद देखिये, मेरी बातों को अक्सर लोग समझ नहीं पाते और विवाद खड़ा करते हैं. मेरे ब्लॉग पर आप खुद आकर देखिये, मैं जो भी बात कहता हू वह समाज के हित में होती है, किसी का विरोध भी करना होता है तो, मेरे शब्द शालीनता भरे होते हैं. फिर भी हमें गलियां मिलती हैं, मैं चाहू तो ऐसी टिप्पणियों को हटा दू पर हटाता नहीं क्योंकि लोग देंखे की कैसे कैसे मानसिकता के लोग इस जहाँ में रहते हैं.
मैंने कहा है की केवल हिन्दू या मुसलमान होने से मैं किसी का विरोध नहीं करता, बल्कि मेरा विरोध विचारो का होता है. गलत जो भी होगा मैं विरोध करूँगा. मैं आपका विरोध नहीं कर रहा हूँ. आप खुद देखिये मैं कभी भी अपने ब्लॉग की पोस्ट यहाँ नहीं लगता क्योंकि उसे लोग विवादित समझते हैं जबकि मैं नहीं समझता. इस सामुदायिक ब्लॉग की सुचिता हमेशा बरकरार रहनी चाहिए.

shyam gupta ने कहा…

--- मुझे लगता है यह पोस्ट पहले भी आचुकी है और मैं इसका जवाब दे चुका हूं....शरारत के तौर पर वही बार-बार दोहराई जा रही है...

१- जमाल को सोचना चाहिये कि जो वस्तु दुनिया की सबसे महत्व पूर्ण कर्म के लिये है...सन्तानोत्पत्ति..क्या उससे बढकर पूजनीय कुछ और हो सकता है.... यदि इतने महत्वपूर्ण वस्तु को नहीं पूजें तो क्या उस ’काले पर्दे वाले..’ को पूजें जो किसी काम का नहीं...
२- आदि-शिव ने ब्रह्मा की समस्या, कि विश्व में स्वतः स्वचालित सन्तानोत्पत्ति व्यबस्था कैसे हो ताकि श्रष्टि का कार्य सम्पूर्ण हो,को सुलझाने के लिये अर्ध्नारीश्वर रूप में प्राकट्य किया और स्वयं को दो भागों मे विभक्त करके--स्त्री-पुरुष के विभिन्न भाव रूप उत्पन्न किये जो प्रथम मानव मनु व शतरूपा सहित प्रत्येक प्राणि संसार में प्रविष्ठ हुए और ...नर नारी भाव समास्त संसार में अवतरित हुआ , जिसके बिना आगे श्रष्टि नही चल सकती थी...
--तो हुए न शिव व शिवलिन्ग आदि-देवाधिदेव ..और लिन्ग पूजन वैग्यानिक चिन्तन द्रष्टि....
---सिर्फ़ भारत में नहीं विश्व के अन्य तमाम देशों में भी लिन्ग-पूजन किसी न किसी रूप में होता है..

3--महेश जी सही कहा आपने--मनवर ने लिखा तो ठीक है पर बच्चों की रटन्त इमला की भांति अर्थ जाने/ समझे बिना...क्या सचाई को कोई कभी छिपा पाता है...हिन्दू-सनातन धर्म की इतनी बढी सचाई व वैग्यानिकता/सामाजिकता यही है कि लिन्ग पूजा को भी उसने छिपाया नहीं...जबकि काले पर्दे के पीछे वाले कमरे में किसी को झांकने भी नहीं दिया जाता ..किसी को पता ही नही वहां क्या है...
4--स्मिता जी...बहस से स्पषता आती है...सारी मुश्किल यही तो है कि हिदू धर्म के बारे में हिन्दू ही अग्यानी रहते हैं और विधर्मी, विदेशी उसका फ़ायदा उठाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं...कुछ ग्यान बढाइये और बहस में भाग लीजिये ..
5-राम किशोर जी ने बहुत सही कहा ..पैदा होते समय हर इन्सान हिन्दू होता है, सुन्नत व बप्तिस्मा से वह मुस्लिम व ईसाई बनता है...तो अन्य सब दो नम्बर के हुए....इसीलिये हिन्दू शिवलिन्ग को पूजते हैं...

Mithilesh dubey ने कहा…

मेरी बात हरीश जी ने कह दी है , आशुतोष जी ध्यान रखिएगा ।

poonam singh ने कहा…

dr. gupta ki bat se sahmat.

आशुतोष की कलम ने कहा…

Dhayn Rakhunga aap sabhi ke sujhaw ka vishestah mithilesh ji aur harish bhai ka

Asha Lata Saxena ने कहा…

मुझे इस प्रकार के लेख अच्छे नहीं लगते |इसी लिए नहीं पढ़ा |

आशा

मदन शर्मा ने कहा…

आखिर सहने की सीमा होती है..
सागर के उर में ज्वाला सोती है..
मलयानिल कभी बवंडर बन ही जाता है..
भोले शिव का तृतीय नेत्र खुल ही जाता है...
लेखों,जेहादी नारों से हथियारों से..
हिन्दू का शीश नवा लोगे ये मत सोचो..
हिंसा और सेकुलरिज्म के हथियारों से
शिव पर ऊँगली तुम उठा लोगे ये मत सोचो......
आपसे पूरी तरह सहमत ...

मदन शर्मा ने कहा…

आखिर सहने की सीमा होती है..
सागर के उर में ज्वाला सोती है..
मलयानिल कभी बवंडर बन ही जाता है..
भोले शिव का तृतीय नेत्र खुल ही जाता है...
लेखों,जेहादी नारों से हथियारों से..
हिन्दू का शीश नवा लोगे ये मत सोचो..
हिंसा और सेकुलरिज्म के हथियारों से
शिव पर ऊँगली तुम उठा लोगे ये मत सोचो......
आपसे पूरी तरह सहमत ...

मदन शर्मा ने कहा…

आखिर सहने की सीमा होती है..
सागर के उर में ज्वाला सोती है..
मलयानिल कभी बवंडर बन ही जाता है..
भोले शिव का तृतीय नेत्र खुल ही जाता है...
लेखों,जेहादी नारों से हथियारों से..
हिन्दू का शीश नवा लोगे ये मत सोचो..
हिंसा और सेकुलरिज्म के हथियारों से
शिव पर ऊँगली तुम उठा लोगे ये मत सोचो......
आपसे पूरी तरह सहमत ...

shyam gupta ने कहा…

आशा जी....ये सत्य एवं असत्य के निराकरण से मुंह फ़ेरना है....विद्वानों का यह उदासीन भाव...अनाचरण के फ़ैलने का कारण होता है...
---बत सिर्फ़ व्यक्तिगत अच्छे न लगने की नहीं है समष्टि के हित की है...

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