कुछ आगे लिखने से पहले बोल दू की मेरी ये रचना तथाकथित सेकुलर लोगों को अच्छी नहीं लगेगी..मगर हाँ एक हिन्दुस्तानी के नजरिये से आप देखें तो शायद सत्यता प्रतीत हो..कृपया सिर्फ शुरु की पंक्तिया पढ़कर किसी नतीजे पर न आयें..
भारत में इस्लाम: भारत में इस्लाम का इतिहास लगभग सातवी शताब्दी से है जो १८ वीं शताब्दी तक रहा..कटु सत्य ये है की ये १००० साल भारत के लिए बहुत ही बर्बर और सामूहिक नरसंहारों से भरे रहे..भारत में बड़ी संख्या में बलात धर्मांतरण ,बलात्कार , अमानवीय अत्याचार किये गए..ये बातें में नहीं कह रहा हूँ इस्लामिक इतिहास में कई जगह ये उल्लेख मिलता है..भारत में इस्लाम के आगमन की योजना ६ वीं शताब्दी में बनायीं गयी...
अरबी इतिहासकार मुजामलुत तवारीखी को सत्य माने तो सन ६३५-६३८ के बिच दमिस्क के खलीफा नए भारत पर आक्रमण की योजना बनायीं और आक्रमण शुरु हो गया उम्मीद से अधिक संगठित हिन्दू विरोध के कारण उसके सैनिक भाग गए..
सन ६६० में पहले इस्लामिक गिरोह ने सफलता पाई भारत के कुछ हिस्सों में कब्ज़ा करने की और उसके बाद हजारो हिन्दुओ के नरमुंड सड़कों पर..कामुकता के मारे हुए इन शासकों ने हिन्दू स्त्रियों का बलात्कार किया और कुछ को कैद किया तो कुछ को दमिस्क में अपने खलीफाओं की भूख मिटने के लिए भेज दिया गया..मंदिर और प्रासाद तोड़े गए..फिर अगले ४ साल तक ये कत्ले आम चलता रहा..
एक अन्य इस्लामिक इतिहासकार अल बिलादुरी के अनुसार" सिनान नमक एक मुस्लिम आक्रमणकारी जो खलीफा के निर्वाचन में यहाँ आया था बहुत ही देवतुल्य व्यक्ति था..उसने अपने सभी सैनिको को पत्नियों से तलक दिला दिया जिससे की
युद्ध के समय पकड़ी गयी हिन्दू स्त्रियों से अपनी काम वासना ये इस्लामी सैनिक बुझा सके..."
मतलब इनका भारत में आना ही लूट मचाने बलात्कार करने और क्रूरता के लिए था..मैं फिर कह रहा हूँ की ये इस्लामिक इतिहासकार ही कह रहें है,..एक अन्य इतिहासकार के अनुसार पकड़ी गयी ५ औरतों में १ को हिन्दुस्थान में रखा जाता था ४ को अरब भेज दिया जाता था खलीफा और उसके गुर्गों के काम वासना तृप्त करने के लिए..
इसी क्रम में अनेक क्रूर कमी मुस्लिम शासकों की लम्बी फेरहिस्त है जिसमें मुहमद गजनवी,कासिम,गोरी,बख्तियार,बलबन,खिज्र बहलोल लोदी,गियासुदीन और ऐसे अनेको आक्रमणकारियों ने भारत के लोगों को लूटा और स्त्रियों का बलात्कार किया..
ये क्रम १००० सालों तक चलता रहा जब तक लुटरों की दूसरी अंग्रेजी पीढ़ी नहीं आ गयी..
अफ़सोस ये है की हम आज भी इन आतताइयों के विरोध में बोलने वालो को सांप्रदायिक बोलतें है. और इतिहास में मुग़ल कल को सबसे उन्नत काल मन जाता है जिस काल में सर्वाधिक बलात्कार,हत्या और धर्मान्तरण हुआ..इन १००० सालों के रक्त रंजित इतिहास को आप और हम या सेकुलर लोग भी झुठला नहीं सकते..
बिच बिच में कुछ हिन्दू शासकों ने प्रबल विरोध किया मगर संगठित न होने के कारण पूरे हिन्दुस्थान को इन इस्लामिक आताताइयों के कब्जे से नहीं वापस ले सके..
आज का हिंदुस्थानी मुस्लिम: अगर आज के वर्तमान समाज के मुस्लिमों को देखा जाए तो 98% मुस्लिमों के पूर्वज हिन्दू रहे थे और उन्हें सीमा से ज्यादा यातना और अत्याचार कर के इस्लाम स्वीकार कराया गया..जिनकी आगे की पीढियां आज की हिंदुस्थानी मुस्लिम के रूप में है...अतः में नहीं समझता कोई मुसलमान भाई इन आताताइयों के समर्थन में होगा ..क्यूकी इन इस्लामी आक्रमणकारियों के शिकार आज के मुस्लिम भाइयों की माँ बहन और परिवार सैकड़ो साल पहले हो चुके थे..
मैं यहाँ किसी पूजा पद्धति या धर्म को बदलने की बात नहीं कह रहा हूँ में सिर्फ हिंदुस्थानी मुस्लिमों को उनका इतिहास और उनकी पीढ़ियों के साथ की गयी बर्बरता को सामने रख रहा हूँ..
आज इस्लाम क्या है:
आज के समय इस्लाम में दो धाराएँ है एक तो अल कायदा के इस्लाम को मानता है एक जो अलकायदा के इस्लाम को नहीं मानता..और दोनों ही धड़े एक दुसरे को गलत कहतें है..
भारत का मुस्लिम क्या अलकायदा समर्थक इस्लाम को मान रहा है: नहीं ,मैं इस तथ्य से बिलकुल सहमत नहीं हूँ..
दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम इंडोनेसिया में रहते है..क्या आप को मालूम है की दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा देश, मुस्लिम जनसँख्या के आधार पर भारत है.. यानि अफगानिस्तान ,पाकिस्तान और अरब कही से ज्यादा मुस्लिम भारत में है..फिर भी यहाँ तालिबान जैसे हमले तो नहीं हो रहें है..न ही यहाँ पाकिस्तान जैसे ब्लास्ट हो रहें है..न ही यहाँ पर ९/११ हो रहा है..अगर सभी मुस्लिम अलकायदा की विचारधारा को मानते तो भारत आज पाकिस्तान की तरह गृहयुद्ध में फसा होता..यहाँ के मुस्लिम की एक अलग सोच बन रही है जो एक नए धर्म "भारतीय मुसलमान" को दर्शाती है..जो अलकायदा का विरोध करता है और भारत को अपना देश मानता है..
मगर शायद कुछ १-२% मुस्लिम ऐसे है जो SIMI को समर्थन देते है ..मंदिरों में बम फोड़ते है..ये संख्या १-२% ही है मगर एक सड़ी मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है..उसी तरह कुछ मुसलमान आने कुकृत्यों के कारण पूरे भारतीय मुसलमानों को बदनाम कर रहें है..यहाँ एक बात और है की शायद इन १-२% मुसलमानों के पूर्वज वो ही आततायी रहे होंगे जो आक्रमणकारी के रूप में आये थे..बाकि के ९८% मुसलमानों के जींस तो हिन्दू ही है सिर्फ उन्होंने पूजा पद्धति बदल ली है..तो स्वाभाविक हिन्दू सहअस्तित्व का गुण तो होगा ही इनमें..
हाँ शायद भारत के मुसलमान की कुछ और समस्याए हो जैसे सामाजिक स्वीकार्यता,वोट बैंक की तरह इस्तेमाल ,साम्प्रदायिक दंगे..इत्यादि इत्यादि..मगर ये सब हिन्दुओं के साथ भी है अतः इसे एक राष्ट्रीय समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए..
मुसलमानों को भी अपना विवेक इस्तेमाल करते हुए उदारता दिखानी चाहिए वरना ये बात भी उठती है की भारत का एकमात्र एक मुस्लिम बहुल राज्य है कश्मीर जहा हिन्दुओं को उनके घर से ही भगा दिया गया..चाहे गुजरात में कितने भी गोधरा हुए हों मगर आज का मुस्लिम वहा रह सका है व्यापार कर सकता है ..मगर ऐसा कश्मीर में हिन्दुओं के लिए क्यों नहीं दोबारा हो सकता क्यूकी १-२% कासिम और बाबर की औलादें अभी भी है भारत में और उनको इस देश से निकलने का काम हमारे मुस्लिम भाइयों का है क्यूकी इन बाबर की औलादों के किये का खामियाजा सामान्य मुस्लिम को चुकाना पड़ता है,देशद्रोही का तमगा सर पर लगाकर..
चलिए एक आह्वान करें ..इन बाबर की औलादों को हिंदुस्तान से बहार करें और हिन्दू बने या मुस्लिम..उन सबसे पहले एक भारतीय बने...
जय हिंद वन्दे मातरम
22 टिप्पणियाँ:
आशुतोष जी,
आप होते कौन हैं दूसरे के धर्म के बारे में बोलने वाले? दूसरे धर्म की बुराई कर के आपने असल में हिंदू धर्म का अपमान किया है, हिंदू धर्म क्या सिखाता है, क्या आप जानते नहीं हैं? सहिष्णुता, सद्भावना, धैर्य, कर्तव्यनिष्ठा यह एक हिंदू की विशिष्टता होती है, परनिंदा हमारे धर्म में नहीं सिखाई जाती, आप तुरंत एक लेख लिख कर अपने इस लेख पर आपत्ति दर्ज कीजिये अन्यथा आपको इस मंच से निष्कासित कर दिया जायेगा |
आपने कुछ मुस्लिमों के द्वारा हिंदू धर्म के खिलाफ लिखे गए लेखों से प्रभावित होकर यह लेख लिखा है तो यह सरासर हिंदू धर्म का अपमान है,
मेरे इस कमेन्ट से आपको शिकायत हो सकती है कि मैं उन मुस्लिमों के लेखों पर टिप्पणी क्यूँ नहीं करता? तो इसका जबाब सिर्फ यह है कि किसी भी धर्म की बुराई करने वाला सिर्फ एक "असामाजिक तत्व" होता है और ऐसा करने वाला एक कुत्ते से अधिक नहीं होता और कुत्तों के भौंकने पर ध्यान नहीं देना चाहिए
याद रखिये - क्षमा बडन को चाहिए छोटन को अपराध
तुरंत एक लेख लिख कर इस लेख पर अपनी आपत्ति दर्ज कराएं
बेबाक एवं सत्य पर आधारित लेखनी के लिए बधाई है आपको!
सत्य की राह बड़ी ही कठिन है. आज हममे यही तो कमी है की हम सत्य को सुनना नहीं चाहते.
वाह -वाही उसी की होती है जो मक्खन लगाने वाली बात करे. आप के हाँ में हाँ मिलाता रहे.
यहाँ आशुतोष जी ने क्या गलत कहा है पहले ये तो बताया जाय.
इस लेख में कौन सा ऐसा वाक्य है जिससे मुस्लिम धर्म का अपमान होता है? क्या सत्य कहना गुनाह है?
बेबाक एवं सत्य पर आधारित लेखनी के लिए बधाई है आपको!
सत्य की राह बड़ी ही कठिन है. आज हममे यही तो कमी है की हम सत्य को सुनना नहीं चाहते.
वाह -वाही उसी की होती है जो मक्खन लगाने वाली बात करे. आप के हाँ में हाँ मिलाता रहे.
यहाँ आशुतोष जी ने क्या गलत कहा है पहले ये तो बताया जाय.
इस लेख में कौन सा ऐसा वाक्य है जिससे मुस्लिम धर्म का अपमान होता है? क्या सत्य कहना गुनाह है?
योगेन्द्र भाई..
बहुत बहुत आभार..आप के विचारों का .एक एक कर आप के प्रश्न लेता हूँ:
१ आप कौन होते कौन हैं दूसरे के धर्म के बारे में बोलने वाले?: योगेन्द्र भाई में एक सामान्य व्यक्ति होता हूँ जो आज भी कश्मीर में जाने से डरता है ..
में एक कश्मीरी पंडित हूँ जो आज कल के सेकुलर लोगो को की तरह AC में नहीं रहता..अपने घर से निकल दिया गया है और २२ सालों से सरकारी कैम्पों में रहता है.मैं वो हूँ जिसकी ३ साल की बेटी का सामूहिक बलात्कार किया गया...
और उसके बाद अगर में उन लोगो के खिलाफ लिखता हूँ तो मुझे माफ़ी मांगने खेद प्रकट करने को कहा जाता है...
योगेन्द्र भाई में हिंदुस्तान का हिन्दू हूँ.....
२ परनिंदा हमारे धर्म में नहीं सिखाई जाती: मैं सिर्फ उदहारण दे रहा हूँ राम और कृष्ण नहीं बनना चाहता.. राम और कृष्ण नें भी रावण और कंस की निंदा की थी वो हमारे आदर्श है.मैं तो निंदा से एक कदम आगे बढकर बोलता हूँ की जरुरत पड़ने पर प्राण लेना भी हमारा धर्म सिखाता है वो हत्या नहीं वध होता है..बाली कंस और रावण का वध किया गया..
३ याद रखिये - क्षमा बडन को चाहिए छोटन को अपराध : आप की इस पंक्ति पर कहना चाहूँगा "अतिसय रगड़ करे जो कोई,अनल प्रकट चन्दन से होई"
४ सारे मुस्लिम बन्दुओ से और उनके तथाकथित रहनुमा सेकुलर लोगो से और शायद योगेन्द्र भाई आप से भी : मित्रों मैंने इतिहास बताया है सिर्फ..किसी को गली नहीं दी है वो भी इस्लामिक इतिहासकारों द्वारा लिखा हुआ..क्या आप गोरी और गजनी को अपना आदर्श मानेंगे .. क्या आप समर्थन करते है कश्मीर का ??? क्या SIMI को बुरा कहने के लिए मुझे किसी से प्रमाणपत्र लेना पड़ेगा...या जब मेरे अपनी बेटी का सामूहिक बलात्कार होगा हिंदुस्तान में तो"क्षमा बडन को चाहिए छोटन को अपराध" कह कर उसे में परोस दू इनके सामने...
मैंने साथ में ये भी तो लिखा है की आज का ९८% भारतीय मुस्लिम समुदाय अलकायदा को नहीं मानता वरना यहाँ गृहयुद्ध हो जाता इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया..अगर सिर्फ २% लोगों को गलत कहना, अगर गोरी गजनी और बाबर को गलत कहना साम्प्रदायिकता है तो मैं हूँ सांप्रदायिक.
५ एक लेख लिख कर अपने इस लेख पर आपत्ति दर्ज कीजिये अन्यथा आपको इस मंच से निष्कासित कर दिया जायेगा : जब गलत नहीं लिखा कुछ तो माफ़ी या आपत्ति किस बात की..हाँ स्पस्टीकरण मैंने दे दिया है.इन सबके बाद भी मैं अगर गलत हूँ तो कृपया बहुमत को साथ लेते हुए मेरे ऊपर जो कार्यवाई होनी चाहिए करें.
लेकिन खेद प्रकट कर के आशुतोष से जयचंद नहीं बनना चाहता..
आशा है मेरे आशय और स्पष्टीकरण दोनों आप को मिल गए होंगे...
जय हिंद वन्दे मातरम..
मदन शर्मा जी: बहुत बहुत आभार आप का कम से कम कुछ लोग है जो ये समझने के लिए तैयार हैं की ये बाबर और अब्दाली का विरोध है मुस्लिम विरोध नहीं...
अफगानिस्तान ,पाकिस्तान और अरब कही से ज्यादा मुस्लिम भारत में है..फिर भी यहाँ तालिबान जैसे हमले तो नहीं हो रहें है..न ही यहाँ पाकिस्तान जैसे ब्लास्ट हो रहें है..न ही यहाँ पर ९/११ हो रहा है..अगर सभी मुस्लिम अलकायदा की विचारधारा को मानते तो भारत आज पाकिस्तान की तरह गृहयुद्ध में फसा होता..यहाँ के मुस्लिम की एक अलग सोच बन रही है जो एक नए धर्म "भारतीय मुसलमान" को दर्शाती है..जो अलकायदा का विरोध करता है और भारत को अपना देश मानता है..
मगर शायद कुछ १-२% मुस्लिम ऐसे है जो SIMI को समर्थन देते है ..मंदिरों में बम फोड़ते है..ये संख्या १-२% ही है मगर एक सड़ी मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है..उसी तरह कुछ मुसलमान आने कुकृत्यों के कारण पूरे भारतीय मुसलमानों को बदनाम कर रहें है
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आशुतोष जी आपने बहुत सही पोस्ट लिखी है. सच लिखने की हिम्मत होनी चाहिए. इसमें शक नहीं की मुसलमानों का एक बड़ा तबका शांति चाहता है. जबकि अभी भी कुछ मुसलमान भारत विरोधी हैं. भारत पाकिस्तान के मैच में हमने खुद देखा की जब पाकिस्तान हरा तो कई मुसलमानों के यहाँ मायूसी छा गयी. वही भारत की जीत पर भारी संख्या में मुसलमानो ने खुशियाँ भी मनाई. आपकी पोस्ट का विरोध अनुचित है. योगेन्द्र जी की हिटलरशाही अनुचित है.
आशुतोष जी आपने बहुत सही पोस्ट लिखी है. सच लिखने की हिम्मत होनी चाहिए. इसमें शक नहीं की मुसलमानों का एक बड़ा तबका शांति चाहता है. जबकि अभी भी कुछ मुसलमान भारत विरोधी हैं.
ashtosh ji ki bat se sahmat.
आशुतोष जी आपका लेख ज्ञानवर्धक है और यह एक इतिहाश है लिहाजा बुरा लगने जैसी कोई बता नहीं. पर यह लाईन हटा दे, "इन बाबर की औलादों को हिंदुस्तान से बहार करें" चुभ रही है.
आप सभी का बहुत बहुत आभार जो आप ने इस लेख को कम से कम साम्प्रदायिकता बढ़ाने वाला नहीं कहा..और विचारों का समर्थन किया ...
@पूनम बहन: मैंने किसी भारतीय मुस्लिम को बाबर की औलाद नहीं कहा है..मैंने तो उनको कहा है जो ये कुकृत्य कर रहें है..
जिनके कुकृत्यों से पूरा भारत और विसेशतः मुस्लिम समुदाय बदनाम हो रहा है..बाबर कोई आदर्श तो था नहीं जो किसी को कष्ट होगा..
योगेद्र जी, हमें लगता है की आप पूरी पोस्ट नहीं पढ़ते और कमेन्ट दे देते हैं. आशुतोष जी की पहली पोस्ट में आपने हिटलरशाही रवैया अपनाया. और अब कह दिया की आपकी बेटी के साथ जो हुआ वह गलत है.
यह किसी आशुतोष या योगेन्द्र या पूनम की बेटी की बात नहीं बल्कि कश्मीर में हिन्दुओ के साथ जो हुआ वह आम हिन्दुस्तानी की बेटी की बात है.
हमारे ख्याल से आशुतोष जी की यही बात ठीक है. एक बात बताईये आज गोधरा- गुजरात की बात सब करते हैं. मोदी का विरोध सब करते हैं. पर कोई मुस्लमान उनका विरोध क्यों नहीं करता जहा पर आज भी हिन्दुओ को प्रताड़ित किया जाता है. गुजरात में मुसलमान प्रगति के मार्ग का हिस्सा बने हैं. गुजरात के मुसलमानों को अब कोई शिकायत नहीं है. वे उस घटना को महज एक हादसा मानकर भूल चुके है. मैं गयी थी गुजरात वहा पर मुस्लमान अब उसकी चर्चा भी नहीं करना चाहता. पर कश्मीर में जो हो रहा है. उसके बारे में कोई क्यों नहीं बोलता. वहा के मुख्यमंत्री दोषी क्यों नहीं है. दंगे फसाद के दौरान जो घटनाये होती हैं वह एक हादसा होता है. जिसका पछतावा सभी को होता है. आज अपने ही देश में कोई भी स्थान बता दीजिये जहाँ. मुसलमानों की संख्या जादा हो और वहां रहने वाला हिन्दू खुलेमन से अपना त्यौहार मना पाता हो. मैं आपको अनगिनत ऐसे स्थान बतौंगी जहाँ. हिन्दुओ के बीच रहने वाला मुस्लमान अपने त्यौहार ही नहीं मनाता बल्कि उसका त्यौहार हिन्दू भी मनाता है. यह कैसा भेदभाव है. अपनी मानसिकता बदले लोग.
सही बात है जो मुसलमान खुद को बाबर की औलाद मने वो गद्दार है. जबकि यहाँ रहने वाले लगभग सभी मुस्लमान पहले हिन्दू ही था . मैं खुद जानती हु ऐसे कई मुस्लिम भाइयों को जो जिनके पूर्वज हिन्दू थे.
आप सभी की जानकारी के लिए, जब पूनम बहन ने ये प्रसंग छेड़ दिया तो बताता चलूँ..आज पाकिस्तान की जी हजुरी और कश्मीर को अलग देश बनाने की मांग करने वाले फारुख अब्दुल्ला जी के बाबा हिन्दू थे..
उन्ही के शब्दों में.." हमने किसी कारणवश अपनी पूजा पद्धति बदली है आदर्श नहीं"
"Life is like a cardiogram,
It always has ups n downs ,...!
If it is steady,
It dies .. So accept the ups n downs positively ..! 1
[Have a nice day, Ram-Ram, Namaskaar,]
By "jha shastri" Meerut [UP]
आषुतोश को बधाए दी जानी चाहिये कि इतनी सुन्दर पोस्ट लिखी...एक दम सटीक.
--इसमें किसी धर्म के नहीं अपितु इस्लामिक अत्याचारियों की बात की गई है, क्या इतिहास लिखना मना है?...यदि मुसलमान लिख सक्ते हैं हिन्दू धर्म के विरुद्ध तो हिन्दू क्यों नहीं...
---"ईश्वर की द्रिष्टि में रहेंगे एक सब ही,
मन्दिर गिरेगा तो गिरेगी मस्ज़िद भी,
किन्तु तू ठहर पडताल करूंगा मैं..."---राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त के खन्ड काव्य - सिद्ध राज जय सिन्ह से...
बहुत बहुत धन्यवाद् गुरुदेव..
यहाँ इतिहास लिखने वाले को साम्प्रदायिक कहते है..अच्छा लगा कुछ लोग सत्यता से घबराते नहीं है..
अल्लाहताला के रहमोकरम से इस्लाम में इतनी कूबत है की आशुतोष जैसे काफिरों की इस्लाम को नापाक कहने वाले ब्लॉग को बंद करा दे..सभी मुश्लिम भाई आ जाओ इस्लाम की हिफाजत करें और इस काफ़िर को सबक सिखाएं..
हिंदी कविता-कुछ अनकही कुछ विस्मृत स्मृतियाँ /Ashutosh Nath Tiwari: जेहाद
आशुतोष की कलम से....: भारतीय मुसलमान,इस्लाम और आतंकवाद..
यदि मुसलमान लिख सक्ते हैं हिन्दू धर्म के विरुद्ध तो हिन्दू क्यों नहीं..
यदि मुसलमान लिख सक्ते हैं हिन्दू धर्म के विरुद्ध तो हिन्दू क्यों नहीं..
यदि मुसलमान लिख सक्ते हैं हिन्दू धर्म के विरुद्ध तो हिन्दू क्यों नहीं..
यदि मुसलमान लिख सक्ते हैं हिन्दू धर्म के विरुद्ध तो हिन्दू क्यों नहीं..
बिल्कुल ठीक लिखा है आपने। इसमें किसी धर्म का अपमान कहाँ होता है? क्या मुसलमान इस तथ्य से अवगत नहीं हैं? मैंने अपने एक ब्लॉग में संभावना रखी थी कि क्या भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश फिर से एक नहीं हो सकते? मैं कहता हूँ बिल्कुल हो सकते हैं। जरूरत बस इतनी है कि हम अपनी पुरानी गलतियाँ सुधारने की हिम्मत दिखाएँ न कि उन्हें दुहरातेँ रहें। अब भी समय है कि हम चेतेँ और देखें कि विश्व में छोटे और विभाजित देशों की क्या स्थिति है? जो आतंक फैला रहे हैं उनका निश्चित रूप से कोई धर्म नहीं है। वे सिर्फ मानसिक रोगी हैं जिनका उचित इलाज किया जाना जरूरी और समयोचित है।
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