लोग मंदिर,
मस्जिद में मुझे ढूंढते
धर्म के ठेकेदारों से
धर्म के ठेकेदारों से
पता मेरा पूंछते
निरंतर नए तरीकों से
निरंतर नए तरीकों से
मुझे खोजते
फिर भी मुझे पाते नहीं
मैं इंसान के दिल में रहता
ईमान और इंसानियत में
फिर भी मुझे पाते नहीं
मैं इंसान के दिल में रहता
ईमान और इंसानियत में
बसता
लालच से नफरत मुझे
सूरज बन
लालच से नफरत मुझे
सूरज बन
उजाला दिन में करता
रात को
रात को
चाँद बन कर निकलता
जो दिल से ढूंढता,
जो दिल से ढूंढता,
सिर्फ उसे मिलता
17-04-2011
696-120-04-11
9 टिप्पणियाँ:
sashakta vichar......uttam abhivyakti
bahut sahi vichar. swagat.
सभी धर्मों से ऊपर मानव धर्म को दर्शाती सुन्दर कविता
yahan bhi khuda milega, vahan bhi khuda milega...jahan nahin khuda hai, vahan kal khuda milega...courtesy municipal corporation... andar bhi khuda pada hai maloom hua...
सभी धर्मों से ऊपर मानव धर्म को दर्शाती सुन्दर कविता
khuda ka sunishchit sathan hryday me hai...
खुबसूरत रचना! दिल से आभार आपका....
खुबसूरत रचना! दिल से आभार आपका....
खुबसूरत रचना! दिल से आभार आपका....
एक टिप्पणी भेजें