जमाने में अब एक लहर आ रही है ,
सुनहरे रंगों भरी इक सहर आ रही है ,
कोई देखे ना देखे इसके ज़लाल को ,
बन के जलजला और कहर आ रही है ,
जो समझते है इसे सिर्फ पत्तों का धुवां ,
तपिश उसकी सबको अभी से नजर आ रही है ,
हिल जाएँगी उनकी भी इमानो की चूलें ,
अब तक जो वक़्त से बे-असर आ रही हैं ,
वो बे-जुबां भी अब बोलने लगे हैं ,ज़नाब ,
'कमलेश'अब जंतर-मन्तर से , सही खबर आ रही है
बुधवार, 13 अप्रैल 2011
परिवर्तन की लहर ...!!
4/13/2011 08:44:00 pm
कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹
8 comments
8 टिप्पणियाँ:
sundar abhivyakti, abhar.
jantar-mantar se khabar aa rahi hai...per bakaul sameer ji saanp doorben liye baithe hain...
आभार इन खूबसूरत लाइनों को पढवाने के लिए ! आपको शुभकामनायें !!
बदलाव तो आनी ही है | जब पाप का घड़ा भर जाता है तो फूटने में भी देर नही होता |
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सुन्दर प्रस्तुति धन्यवाद |
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एक अच्छी कविता के लिए मेरे ब्लॉग पे आप आमंत्रित हैं |
www.akashsingh307.blogspot.com
लहर तो है....अब देखिये लहर कहां तक पहुंच पाती है..
कविता अच्छी लगी, सार्थक संदेश देती है !
bhut hi khubsurat panktiya hai...
bahut sahi bhai bahut sahi kaha, aasha aap mere blog apr bhi najar daalenge and commment bhi....http://prabhat-wwwprabhatkumarbhardwaj.blogspot.com/
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