प्रेम -- किसी एक तुला द्वारा नहीं तौला जा सकता, किसी एक नियम द्वारा नियमित नहीं किया जा सकता; वह एक विहंगम भाव है | षष्ठ सुमनान्जलि में रस -श्रृंगार के गीतों को पोस्ट किया गया था | प्रस्तुत है सप्तम सुमनांजलि ...वात्सल्य..... इस खंड में वात्सल्य रस सम्बंधित पांच गीतों को रखा गया है ....बेटी, पुत्र, पुत्र-वधु , माँ, बेटे का फोन .......| प्रस्तुत है द्वितीय गीत ...पुत्र ...
यादों के झूले में जब जब ,
मन पींगें भरता है |
मन में तेरे प्रिय बचपन का,
वह स्वप्न उभरता है ||
कारों से खेला करना , वह-
बचपन , रोना- गाना |
ठंडा ठंडा कोल्ड-ड्रिंक सब,
गट गट गट पी जाना ||
तेज तेज वह ट्राई-साइकल ,
चारों और घुमाना |
स्कूटर की ही भाँति,घरर-घर ,
करके स्टार्ट कराना ||
यादों के मेले में, मन का-
वह अक्स उभरता है |
मन में तेरे प्रिय बचपन का,
वह स्वप्न उभरता है ||
वह मशीन खाना खाने की ,
यादें जो आती हैं |
खाना ठीक तरह से खाना ,
मम्मी समझाती हैं ||
पैसे वाले उस नेकर का,
इतिहास निखरता है |
मन में प्रिय ! तेरे बचपन का ,
वह अक्स उभरता है ||
दूर रह रहे हो, कैसे हो ,
मन भर भर आता है |
मम्मी का दिल तो उड़ उड़ कर ,
आने को करता है ||
बातें फोटो फोन से भला ,
दिल कब तक भरता है |
मन में प्रिय तेरे बचपन का ,
वह स्वप्न उभरता है ||
1 टिप्पणियाँ:
bahut sundar .badhai
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