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शाबास ---महिलायें ज्ञान-विज्ञान के लिए उन्नति शिखर की ओर बढ़ रही हैं | आप यह चाहते हैं .---->
.....या....
<-----यह.....
----.इसमें शाबास की क्या बात है, सिर्फ कच्छा पहने युवा लडकियों की तस्वीर ...यहीं से प्रारम्भ होता है मांसलता पर रीझने-रिझाने का दौर...पहले खेल के नाम पर ...फिर फैशन शो...फिर देह-प्रदर्शन...फिर...मधुमिता...कविता.. अंजलि ------हम क्या चाहते हैं.....समाज नारी से क्या चाहता है...उसे कहाँ देखना चाहता है ....नारी स्वयं क्या चाहती है..??
.....या....
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----.इसमें शाबास की क्या बात है, सिर्फ कच्छा पहने युवा लडकियों की तस्वीर ...यहीं से प्रारम्भ होता है मांसलता पर रीझने-रिझाने का दौर...पहले खेल के नाम पर ...फिर फैशन शो...फिर देह-प्रदर्शन...फिर...मधुमिता...कविता.. अंजलि ------हम क्या चाहते हैं.....समाज नारी से क्या चाहता है...उसे कहाँ देखना चाहता है ....नारी स्वयं क्या चाहती है..??
-----और ये भी तो हैं एथलीट....कहाँ है इनका देह-दर्शन ..
6 टिप्पणियाँ:
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 26-09-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
धन्यवाद गाफिल जी .....
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच-बहुत खूब !
आपका काम प्रभावित करता है !
बधाई !
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यह प्रविष्टियां अच्छी लगीं-
*छिद्रान्वेषण ...एक भाव-विषय .. दो रूप -----हम क्या चाहते हैं.......ड़ा श्याम गुप्त...
*'युवा-मन' को सशक्त करते : अमित कुमार यादव
*बोल रे परिंदे...कहाँ जाएगा तू......
*सरकार ने दिखाया गरीबों को ठेंगा
*कुर्सी और टोपी में फर्क
जो तेरा है वो तेरा तो नहीं है.....!!!
=======सभी लेखकों को बधाई========
आभार ||
आपकी इस प्रस्तुति पर
बहुत-बहुत बधाई ||
अंग प्रदर्शन भारतीय सभ्यता और संस्कृति को तार तार कर रहा है.सही बात उठाई गई है पोस्ट पर.
धन्यवाद ओम जी, रविकर एवं कुसुमेश जी....
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