भारत माँ को नमन
अपनी जमीन सबसे प्यारी है ;
अपना गगन सबसे प्यारा है ;
बहती सुगन्धित मोहक पवन ;
इसके नज़ारे चुराते हैं मन ;
सबसे है प्यारा अपना वतन ;
करते हैं भारत माँ को नमन
वन्देमातरम !वन्देमातरम !
करते हैं भारत माँ ! को नमन .
उत्तर में इसके हिमालय खड़ा ;
दक्षिण में सागर सा पहरी अड़ा ;
पूरब में इसके खाड़ी बड़ी ;
पश्चिम का अर्णव करे चौकसी ;
कैसे सफल हो कोई दुश्मन !
करते हैं भारत माँ को नमन !
वन्देमातरम !वन्देमातरम !
करते हैं भारत माँ! को नमन .
हम तो सभी से बस इतना कहें ;
हिन्दू मुसलमान मिलकर रहें ;
नफरत की आंधी अब न चले;
प्रेम का दरिया दिलों में बहे ;
चारों दिशाओं में हो अमन ;
करते हैं भारत माँ! को नमन !
वन्देमातरम!वन्देमातरम!
करते हैं भारत माँ !को नमन .
जय हिंद !
शिखा कौशिक
7 टिप्पणियाँ:
हम तो सभी से बस इतना कहें
हिन्दू मुसलमान मिलकर रहें
vande mataram
सुन्दर...
वन्देमातरम!वन्देमातरम!
करते हैं भारत माँ !को नमन .
जय हिंद !
shikha ke blogs me pareshani ke chalte ye sundar kavita mujhe yahan dalni padi hai ye mere liye garv ka vishay hai.kavita unki aawaz me bahut bhavpoorn ban padi hai.
अति सुन्दर .....
जय हिंद................वन्दे मातरम्
कोटि-कोटि नमन अपने भारत वर्ष को ...
भरा नहीं जो भावों से , बहती जिसमें रसधार नहीं,
वो हृदय नहीं पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं
सुंदर रचना
भारत माता को नमन
shikha ki aur se aap sabhi ko utsah vardhan hetu hardik dhanyawad.
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