बुधवार, 8 जून 2011

शाहरूख़ ख़ान ने बाबा रामदेव जी को जो सलाह दी थी वह ठीक थी कि आदमी वही काम करे जिसे करना वह जानता है Shahrukh Khan


हम बिल्कुल नहीं चाहते कि किसी भी सत्याग्रही को सताया जाए लेकिन हम यह भी नहीं चाहते कि सत्याग्रही पुलिस के जवानों पर गमले आदि फेकें। पुलिस के जवान भी हमारे ही हैं और वे वही करते हैं जिसका उन्हें आदेश मिलता है। जो नेता आदेश देते हैं वे भी हमारे द्वारा ही चुने हुए होते हैं। यह एक जटिल प्रक्रिया है। इन्हीं नेताओं में से कुछ का रूपया विदेशी बैंकों में जमा है। ये लोग आसानी से यह पैसा देश में लाने वाले नहीं हैं। यह बात हमें पता है तो बाबा रामदेव जी को भी पता होनी चाहिए थी। उन्होंने यह कैसे समझ लिया था कि जैसे ही चार्टर्ड प्लेन से उतर कर मैं अनशन करूंगा, वैसे ही सरकार विदेश से काला धन वापस लाने पर आमादा हो जाएगी ?
यह बाबा का  भोलापन ही था और यह इस वजह से था कि वह इस गंदी राजनीति के हथकंडों को नहीं जानते थे। बाबा ने उस क्षेत्र में क़दम रखा जिस क्षेत्र की क ख ग भी वे नहीं जानते थे और इसी वजह से उन्हें मंच से छलांग लगाकर औरतों बीच छिपना पड़ा। उन्हें लगा कि पुलिस उन्हें मारने के लिए आई है। जबकि ऐसा नहीं होता। कांग्रेस को सबसे ज़्यादा डर बीजेपी के सत्ता में आने से लगता है। बीजेपी के नेता आए दिन अनशन करते रहते हैं और कांग्रेस की भेजी हुई पुलिस उन्हें गिरफ़्तार करती रहती है और फिर छोड़ देती है। अपने शासन काल में बीजेपी ने यही कांग्रेस के साथ किया। यह एक रूटीन का काम है। आप बताइये कि कांग्रेस ने बीजेपी के और बीजेपी ने कांग्रेस के कितने नेता आज तक मारे हैं ?
एक भी नहीं !
बाबा ने सदा स्वागत सत्कार और जय जयकार ही देखा था। बड़े बड़े आई जी और डीजीपी को अपने चरण छूते ही देखा था।
पुलिस का असली रूप क्या होता है ?
इसे वह जानते ही न थे। इसीलिए उन्होंने हालात का ग़लत अंदाज़ा लगाया और फिर ग़लत ही फ़ैसला लिया और अपनी सारी प्रतिष्ठा धूल में मिला बैठे।
बाबा को जानना चाहिए कि राजनीति में कोई सांपनाथ है तो कोई नागनाथ। कम यहां कोई भी नहीं है। बाबा राजनीति को इन सांपों और नागों से मुक्त कराना चाहते हैं तो बेशक कराएं लेकिन पहले उन्हें सांप और नाग का फन कुचलने का हुनर सीखना होगा। उसके बिना वह यह काम न कर पाएंगे। हमें बाबा के मक़सद से विरोध नहीं है लेकिन उनके तरीक़े से ज़रूर असहमति है।
अगर कल को कपिल सिब्बल बिना जाने ही लोगों को योगासन कराने लग जाएं तो वे लोगों की जान से खेलने वाले माने जाएंगे। ठीक यही बात बाबा रामदेव जी के बारे में कही जाएगी कि अपने पीछे भीड़ जुटाने मात्र से ही कोई भी आदमी नेता नहीं बन जाता जब तक कि वह अपने अंदर नेतृत्व के गुण विकसित न करे और किसी अनुभवी नेता से राजनीति और कूटनीति का व्यवहारिक ज्ञान हासिल न कर ले। ऐसा किए बिना भीड़ जुटाने वाला आदमी लोगों की जान से खेलने वाला माना जाएगा। इस तरह के काम करने से हालात सुधरने के बजाय और ज़्यादा बिगड़ जाएंगे। हमें अपने देश और समाज में सुधार लाना है न कि दुनिया को अपने ऊपर हंसने का मौक़ा देना है। 4 जून के बाद से लेकर आज तक बाबा ने जो भी किया है उससे सन्यास आश्रम की गरिमा को भी ठेस लगी है और देश की छवि भी ख़राब हुई है।
पुरी के शंकराचार्य जी ने भी बाबा रामदेव को ही इस गड़बड़ी के लिए ज़िम्मेदार माना है।

पुरी के शंकराचार्य बोले, रामदेव हैं ‘कायर’!नई दिल्ली। पुरी के शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद तीर्थ ने योगगुरु रामदेव पर कायराना हरकत करने का आरोप लगाते हुए उनकी निंदा की है और कहा कि उन्हें देशवासियों से अपने कृत्य के लिये माफी मांगनी चाहिए।
“रामदेव एक भटके हुए धोखेबाज संन्यासी हैं!” 

शंकराचार्य ने आज यहां बातचीत में कहा कि रामदेव ने जिस तरह अपने अनुयायियों से सरकार से की गई डील को छिपाया और फिर गिरफ्तारी से बचने के लिए महिलाओं के बीच छिपकर तथा उनके वस्त्र पहनकर जो कायराना हरकत की उसके बाद उन्हें भगवा वस्त्र पहनने और क्रान्तिकारियों का नाम लेने का कोई हक नहीं रह जाता।
अब बाबा रामदेव की सम्पत्ति पर सरकार की नजर! 

स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा कि रामदेव अब अपने कृत्यों से बेनकाब हो गए हैं तथा अब उन्हें भगवा वस्त्र पुन धारण नहीं करना चाहिए।
उनकी इस हरकत से भगवाधारी साधु-संतों की छवि धूमिल हुई है।
बाबा रामदेव ‘संघ’ का मुखौटा हैं: कांग्रेस 

उन्होंने केन्द्र सरकार से देश भर के आश्रमों की तलाशी लेकर उनमें छिपे देशी-विदेशी गुनहगारों को बाहर निकालने तथा रामदेव के साथी बालकृष्ण पर अविलम्ब सख्त कार्रवाई करने की मांग की।
इस वेबाईट से साभार : http://josh18.in.com/showstory.php?id=1072952
समय ने साबित कर दिया है कि शाहरूख़ ख़ान ने बाबा रामदेव जी को जो सलाह दी थी वह ठीक थी कि आदमी वही काम करे जिसे करना वह जानता है।  

12 टिप्पणियाँ:

आशुतोष की कलम ने कहा…

Pakistani deshdrohiyon sae isse jyada kya ummid aap kar sakte hain...
ye khate hindusthan ki hain bajate pakistan ki hai..
anwar bhai ye sharukh aap jaisa deshbhkat nahi hai...isne pahle bhi apne deshdroh ke namune dikhaye hain janta ko..
kyu ek deshdrohi ka samarthan kar apni lekhni ki beijjati khud kar rahe hain

Swarajya karun ने कहा…

उस ठुमकेबाज ने कहा था कि जिसका जो काम है ,उसे केवल वही करना चाहिए . अगर इस नचैये की बातें सच होती तो वकील,डाक्टर ,इंजीनियर जैसे लोग कभी सांसद ,विधायक और मंत्री नहीं बन पाएंगे. हमारे प्रधानमंत्रीजी एक अर्थ-शास्त्री हैं,क्या उन्हें केवल अर्थ-शास्त्र पढ़ने और पढाने तक सीमित रहना चाहिए ? श्री कपिल सिब्बल एक वकील हैं ,रियल लाइफ को छोड़कर सिर्फ 'रील लाइफ' में जीने वाले किसी ऐरे-गैरे की बात मान लें तो सिब्बल साहब को भी केवल वकालत करना चाहिए ! चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथप्रताप सिंह जैसे नेता किसान थे , फिर तो उन्हें भी प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए था.देश के अधिकाँश सांसद-विधायक किसान हैं,अगर वे शाहारुख खान का कहना मान लें तो देश की संसद और विधान -सभाओं में सन्नाटा छा जाए ! फिर हमारे लोकतंत्र का क्या होगा ?

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

@ आदरणीय आशुतोष जी ! ग़लत आदमी भी सही बात कह सकता है । रावण को सबसे बड़े दुष्ट के रूप में जाना जाता है लेकिन उसके प्राण निकलने के समय श्री रामचंद्र जी ने लक्ष्मण को उसके पास ज्ञान पाने के लिए भेजा । यह प्रसिद्ध है। एक तरफ़ तो हम वसुधैव कुटुबंकम् का नारा लगाएं और दूसरी ओर अपने ही देशवासियों को पाकिस्तानी और ग़द्दार कहें मात्र मुसलमान होने के कारण तो यह ठीक नहीं है ।
कृप्या विचार कीजिए !

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

@ Swarajya karun ! हाँ , बिल्कुल । अगर माननीय मनमोहन सिंह जी एक अर्थशास्त्री ही बने रहते तो वह उचित था । प्रधानमंत्री बन जाने का यह मतलब नहीं है कि वह एक कुशल नेता हैं । मनमोहन जी के काल में देश को बर्बाद होते हुए हम देख ही रहे हैं । दीगर जिन लोगोँ के नाम आपने लिए हैं वे भी अक्षम निकले और देश को अपने राजनैतिक प्रयोगों की भेंट चढ़ा दिया।
हरेक पार्टी और नेता से ख़ुद को अलग करके सोचिए कि राजनीति के इन साँपों का फन कुचलने के लिए कैसा आदमी चाहिए और उसमें क्या क्या गुण होने चाहिएं।
तब हमारे मन में एक सही छवि बनेगी और वैसी छवि वाला नेता ही हमारे देश के लिए वास्तव में कुछ कर सकता है ।

Swarajya karun ने कहा…

भाई साहब ! चाहे कोई भी व्यक्ति देश का नेता बने, वह मूल रूप से तो किसी न किसी रोजगार-व्यवसाय से जुड़ा होगा. किसी न किसी व्यावसायिक पृष्ठभूमि से ज़रूर होगा .लोकतंत्र में किसी दल अथवा संस्था का नेतृत्व करने से किसी को रोका नहीं जा सकता .सब अपनी बात जनता के सामने रख सकते हैं . जनता जिसे नेतृत्व सौंपेगी ,वही नेता यानी पञ्च-सरपंच ,पार्षद ,सासंद ,विधायक आदि बनकर लोगों का नेतृत्व करेगा. राजनीति पर किसी का एकाधिकार लोकतंत्र में नहीं हो सकता . अगर एकाधिकार हुआ तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा ,तानाशाही आ जाएगी ,जिसने चार जून की आधी रात दिल्ली के रामलीला मैदान में निहत्थी जनता पर ज़ुल्म ढा कर अपने आने का संकेत दे ही दिया है.

आशुतोष की कलम ने कहा…

@ DR. ANWER JAMAL
chaliye aap ne sahrukh pakistan khan ko galat aadmi man liya..dhanyawad..
ab bharat men bahut se sahi aadmi pade hain ray dene ke liye .
kyu hum galat ki baton ko mane...ye to wahi hua ki Chor gawahi dene aata hai chori ki..use to kanun bhi nahi manta..

is galat aadmi ko pakistan ka ticket de kar chalta karne men sahyog kare anwar bhai...

shyam gupta ने कहा…

सभी जानते हैं कि रावण एक विद्वान था, जैसे कपिल सिब्बल...पर वह राज्य मद में अंधा होकर दुष्ट होगया था जैसे कपिल सिब्बल...यदि कपिल सिब्बल से कोइ वकालत सीखना चाहे तो अच्छा ही होगा जैसे लक्षमन ने किया...
--और अनवर जी सही छवि के गुणों का वर्णन तो करें
--स्वराज्य करुण ने सही ही तो कहा..

shyam gupta ने कहा…

---पुरी के शंकराचार्य/ या शंकराचार्यों ने अब तक कितने कार्य समाज के लिए किये या करवाए हैं, वे कब भ्रष्टाचार पर बोले ....सिर्फ बड़े बड़े मठों के मठाधीश बनकर, सिल्क का कुर्ता पहन कर बड़े बड़े लोगों के यहाँ दो शब्द बोलकर कोइ संत नहीं बन जाता....उन्होंने अब तक क्यों नहीं अन्याय व भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाई ...वे भूल रहे हैं कि जब अति होजाती है तो विदान व शास्त्र्ग्य लोगों का ही दायित्व है कि वे आवाज उठायें.....यदि शास्त्रों का ज्ञान सामान्य जन के व्यवहार व सुविधार्थ काम न आये तो उसका क्या लाभ...
--ये उनकी व्यावसायिक विरोध भावना बोल रही है.

Saleem Khan ने कहा…

are re re baba na baba !

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

@ आदरणीय आशुतोष जी ! इस पोस्ट के ज़रिए एक अच्छा काम हो गया है और वह यह कि हम दोनों ही सहमत हो गए हैं कि शाहरूख़ ख़ान एक ग़लत आदमी है और हम आपके प्रेम में इसके लिए भी तैयार हैं कि उन्हें पाकिस्तान भेज दिया जाए टिकट सहित ।

अब ये अपने डा. श्याम गुप्ता जी पुरी के शंकराचार्य जी को भी ग़लत बता रहे हैं । क्या हम इनसे भी सहमत हो जाएँ ?
इन शंकराचार्य जी को और इनमें आस्था रखने वालों को नेपाल भेजा जाए या कहीं और ?

हक़ीक़त ये है कि इन दोनों के फ़ॉलोअर्स पूरी दुनिया में करोड़ों हैं । हम दोनों के हिलाए से ये दोनों इंच भर न हिलेंगे लेकिन इनके मुरीद हम दोनों को ऊपर भेज देंगे बिना टिकट ही ।

हमें बेहतर और व्यवहारिक बातें सोचनी चाहिए ताकि कोई राह निकले ।

shyam gupta ने कहा…

फोलोअर्स तो शराब-शबाव के भी करोड़ों है...क्या जायज़ माँ लोगे ...
---फोलोअर्स की क्वालिटी भी होनी चाहिए....

Vaanbhatt ने कहा…

पर उपदेश कुशल बहुतेरे...शाहरुख़ खान क्रिकेट में कबड्डी क्यों खेल रहा है...चार पैसे क्या मिले खुद को समझ बैठे ख़ुदा...और कमेन्ट कर दिया...सही गलत का फैसला करने वाले हम कौन होते हैं...सच्चे फांसी चढ़ते देखे...झूठा मौज मनाये...सब कहते ये रब की माया...मै कहता अन्याय...ओये की मै झूठ बोलता...कोई ना...

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