
मेरे मन बनकर तू डमरू
करता जा डम-डम-डम
तेरी डम -डम में गूंजेंगी
मेरे भोले की बम-बम
मेरे मन बनकर तू ......
मेरा भोला सब भक्तों के
है सारे कष्ट मिटाता
वो भक्तों की रक्षा हित
है कालकूट पी जाता
मेरी जिह्वा करती चल तू
शिव महिमा का ही वर्णन
मेरे मन ..........................
मेरा भोला कितना भोला
नागों का हार पहनता
वो जटाजूट में अपने
गंगा को धारण करता
मैं कण -कण में करती हूँ
शिव-शंकर का ही दर्शन .
मेरे बन ................
सावन में कांवड़ लेकर जो
गंगाजल लेने जाते
लाकर शिवलिंग पर उसको
श्रृद्धा सहित चढाते
हर इच्छा पूरी होती
पावन हो जाता जीवन .
मेरे मन बनकर.....
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शिव
-शक्ति ज्योत समाई ;
इनके दर्शन से भक्तों ने
भय से मुक्ति पाई ;
गौरी-शंकर के चरणों में
तन -मन-धन सब अर्पण
मेरे मन बनकर .....
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
12/14/2011 03:18:00 pm
Shikha Kaushik



2 टिप्पणियाँ:
अच्छी लगी रचना
madan ji -hardik dhanyvad
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