शनिवार, 15 सितंबर 2012

महंगाई से जनता त्राहिं-त्राहिं

दिल्ली- मजबूर सरकार के लाचार प्रधानमंत्री ने आम लोगों के सिर पर एक बार फिर महंगाई का बम फोड़ दिया है। डीजल के दामों में पांच रुपए बढ़ोतरी कर सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आम आदमी से ज्यादा फिक्र तेल कंपनियों की है। सरकार यह भूल रही है कि इसी गरीब जनता की वजह से यूपीए सत्ता में है। और दिसबंर 2012 में कुछ राज्यों में चुनाव होने है। इसके बाद 2014 लोकसभा के लिए सरकार को इसी बेबस गरीब जनता के द्वार पर फिर जाना पड़ेगा, वोट मांगने। दिनों-दिनों एक-एक करके घोटाले सामने आ रहे हैं। सरकार में ईमानदार शख्स की पहचान रखने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आए दिन निकल रहे घोटालों और बढ़ती महंगाई के सामने बेबस और असहाय नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री की आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि पहले पेट्रोल, सीएनजी फिर डीजल के दामों में वृद्धि कर महंगाई में चार चांद लगा दिए। सवाल उठता है तेल कंपनियों का मुनाफा जरुरी है या फिर आम आदमी। अगर तेल कंपनियां आम आदमी से अधिक जरुरी हैं तो सरकार को आने वाले दिनों में गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। डीजल के दाम बढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र के परिवहन के भाड़े में इजाफा होना तय है। कपड़े, खाने-पीने की चीजों के दाम में आग लगेगी जिससे आम आदमी बहुत प्रभावित होगा। देश के कुछ हिस्सों में एक ओर जहां सूखा पड़ा है वहीं दूसरी तरफ बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। ऐसे समय में डीजल की मूल्य वृद्धि में बढ़ोतरी करना इंसाफी है। यह तो सरासर किसान, गरीब मजदूरों के साथ भद्दा मजाक है। हर महीने और प्रत्येक सप्ताह में महंगाई का बोलबाला रहा है। आइए अब आपको महंगाई दर का आकड़ा भी बताते हैं- जुलाई में महंगाई दर 6.8 प्रतिशत रही। अगस्त में महंगाई बढ़कर 7.55 प्रतिशत हो गई। इन आकड़ों से साबित होता है कि महंगाई से जनता में त्राहि-त्राहि मची हुई है। ना जाने कब जनता का गुस्सा फूट जाए कहा नही जा सकता। डीजल के दामों में बढ़ोतरी के बाद केंद्र सरकार ने एफडीआई का बम भी फोड़ दिया है। सरकार ने शुक्रवार को रिटेल में 51 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी प्रदान कर दी है। सरकार ने इसके साथ ही एकल ब्रांड रिटेल में भी सौ फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी है। यूपीए सरकार ने एयरलाइंस में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश को स्वीकृत कर लिया है। डीटीएच और केबल नेटवर्क में केंद्र सरकार ने 74 फीसदी तक विदेशी निवेश की मंजूरी दी है। कई राजनीतिक दलों ने सरकार के इस फैसले का भी विरोध किया है। दलों का कहना है कि इससे देश में भूखमरी फैल जाएगी। दुकान, व्यापारी बर्बाद हो जाएगे। इस फैसले से वालमार्ट और केयरफोर जैसी वैश्विक रिटेल कम्पनियां भारत में अपना स्टोर खोल हैं। कई वैश्विक कम्पनियों के भारत में पहले से स्टोर हैं, लेकिन उन्हें सीधे आम लोगों को उत्पाद बेचने का अधिकार अब तक नहीं था। वे दूसरे स्टोरों को माल बेच सकते थे। अब वे आम लोगों को भी माल बेच पाएंगे। इससे महंगाई में और इजाफा होगा। आने वाला समय बताएगा कि जनता 2जी स्पेक्ट्रम में 1.76 लाख करोड़ रुपयों और अब कोयला ब्लाक आवंटन मामले में उससे भी कहीं अधिक रकम के कथित भ्रष्टाचार का इतिहास बना चुकी इस सरकार को क्या जवाब देगी। कब तक जनता सहती रहेगी महंगाई का विष। जिसे सरकार पिलाते समय कहती है कि राजकोषीय घाटा कम करने के लिए मजबूरी में सरकार को कदम उठाया पड़ा। जाहिर सी बात है सूखों से किसानों की फसल बर्बाद हुई होगी, सरकार ने डीएपी खाद के दामों को पहले ही बढ़ा रखा है। ऐसे में किसानों की सुध लेने वाला कोई नही दिखता है। हां इतना जरुर है कि राजनीतिक पार्टियों को घर बैठा-बैठाया मुद्दा मिल गया है राजनीति करने का।

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