१. हंसाने वाले मुस्कराहट दे ,,
खुद भी मुस्कुराते हैं .
तो क्या यूँ सबको रुलाने वाले भी,,,
कभी किसी के लिए आंसूं बहाते हैं
२.मैं हूँ उन लहरों की तरह
जो ऊँचाई छुआ करती हैं
मिल जातीं हैं रेत से पर
खुद के अस्तित्व को कायम रखती हैं |
दीप्ति शर्मा
भारतीय ब्लोगरों तथा लेखकों का एक सशक्त परिवार
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें