शनिवार, 26 नवंबर 2011

बेटी ....प्रेमकाव्य-महाकाव्य. सप्तम सुमनान्जलि---वात्सल्य .......डा श्याम गुप्त....





3 टिप्पणियाँ:

देवेंद्र ने कहा…

अति सुंदर भावप्रद गीत। सचमुच बेटियाँ बड़े भाग्य से व बड़ी प्यारी होती हैं।

Shikha Kaushik ने कहा…

जो कहें परायाधन तुझको,
वे तो सबही अज्ञानी हैं |
तुम उपवन की कोकिल मैना ,
चहको, करलो मनमानी है ||
bahut sundar .aabhar

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद देवेन्द्र जी व शिखा जी....

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