कल आधी रात बाबा रामदेव और उनके अनुयायियों के खिलाफ जो कार्रवाई हुई उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है। झूठ और छल-कपट की भी एक सीमा होती है भारत सरकार ने तो पराकाष्ठा ही पार कर दी। ये सरकार कायरों की सरकार है जो दिन के उजाले में बाबा के चरण चूमती है, फिर धोखा धड़ी से लैटर लिखवाती है और जब देखती हैं कि उनकी चाल नहीं चल रही तो बर्बरता पर उतर आती है। और आधी गए महिलाओं और बच्चो पर लाठीचार्ज का आदेश जारी करवा देती है। पंडाल में आग देती है। लगता ही नहीं यह देश अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का देश है। और ये सरकार उन्हें अपनी बपौती मानती है। लेकिन पर कर्म की बारी आती है तो जनरल डायर से दो कदम आगे निकल जाने का निश्चय कर लेती है। अरे अगर हिम्मत थी तो दिन के उजाले में बाबा को गिरफ्तार करके देखते। वे तो कल रात में कह भी रहे थे। तब पता चलता कि ऐसी हरकतों के क्या परिणाण होते हैं? फिर ऐसी कौन सी मज़बूरी आ गई कि बाबा के गेरूएं वस्त्र उतरवा कर अन्हें श्वेत वस्त्र पहनाए गए।
धिक्कार है ऐसी सरकार पर। आज मुझे लग ही नहीं रहा मैं एक ऐसे देश की नागरिक जो स्वयं को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश मानता है। घुटन महसूस हो रही। और ये कांग्रेसी चेहरे देखकर घृणा हो रही है। अरे झूठ बोलने की भी सीमा होती है। कहते हैं कि योग शिविर की और पांच हजार लोगों को आने की अनुमति थी। तो उस समय यह क्या कर रहे थे, जब लोग दिल्ली आ रहे थे। रोक क्यों नहीं दिया उसी समय। कह सकते थे दिल्ली में प्रवेश की आपको अनुमति नहीं है। पर डरते थे। समझ नहीं आता कि ऐसे कैसे हो सकता है बस एक सरकार को छोड़कर बाकी सारी दुनिया को पता था कि बाबा भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के लिए दिल्ली आ रहे है। लोगों से अपील की जा रही थी। हम लोग आपस में एक दूसरे से पूछ रहे थे आप कब जाएंगे राम लीला मैदान। और सरकार कहती है कि हमें पता नहीं था कि इतने लोग यहां आएंगे। कल जो हुआ उससे स्पष्ट है कि सरकार ने खुद ही अपने कफन पर अंतिम कील ठोक ली है। अब इसके सामने बहुत मुश्किल समय आने वाला है। जय प्रकाश आंदोलन को दबाने के लिए इंदिरा गांधी ने इमेरजेंसी लगाई थी। इस बार ये क्या करने वाले हैं वो सब चीजें निश्चित रूप से इन लोगों ने पहले से ही सोच रखी होगी। पूरी दुनिया जानती है कि गांधी परिवार का स्विस बैंक में खाता है इसलिए सरकार उस लिस्ट को प्रकाशित करने से घबराती है। कहते हैं बाबा को योग करना चाहिए, राजनीतिक योग नहीं। सरकार के मंत्री तो भांड़ हैं। बहुत देख ली इनकी भांडगिरी। लेकिन अब भी हम ऐसे ही खामोश रहे, तो यह देश के लिए उचित नहीं होगा। अब वक्त आ गया है कि लोग अपने घरों से बाहर निकले और इस सरकार को बताएं कि इनकी भांड़गिरी इनको मुबारक। हमें नहीं चाहिए यह भांड़गिरी। यह देश मान-सम्मान से जीने वालो का देश है। भाड़ों का नहीं।
सरकार को सदन का सयुक्त अधिवेशन बुलाकर हर चीज का खुलासा करना चाहिए। आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि सरकार को इस तरह की कार्रवाई करनी पड़ी। वह चाहती क्या है? अगर वह सोचती है कि ताकत के बल पर सबकुछ हासिल कर सकती है तो यह उसकी गलतफहमी है। अब वो समय आ गया कि पूरा देश समवेत स्वर में सरकार की इस हरकत के खिलाफ एकजुटता दिखाए।
-प्रतिभा वाजपेयी.
9 टिप्पणियाँ:
sarthak aalekh .aabhar
बहुत सही कहा...
जवाब तो देना ही पड़ेगा, सार्थक पोस्ट !
केंद्र सरकार की कायरता का यह एक नमूना है, यह सरकार हिन्दू विरोधी है. यदि किसी मुस्लिम का यह मंच होता तो ऐसा कदापि नहीं होता. उलेमा एक्सप्रेस लेकर दिल्ली जाते हैं तब कुछ नहीं होता. एक इसी महिला भारत माँ के सीने पर मूंग दल रही है और हिन्दू कायर होकर यह देख रहा है.
सार्थक पोस्ट !
नकारा सरकार ने सोते हुवे निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज कर के जो बर्बर कार्यवाही की उसकी जीतनी निंदा की जाया कम ही है | आधी रात को दिल्ली पुलिस बल ने आक्रमण किया और सत्याग्रहियों को मैदान से बाहर निकाल फेंका ! कितने घायल हुए , कुछ गायब , बाबा रामदेव को सलवार - समीज में छुप कर भागना पडा ! वाह रे सरकार ! ये कैसी नकारा सरकार है !
जहां तक हो सके रामदेव बाबा को भी राजनितिक पार्टिओं, आर एस एस , तथाकथित पाखण्ड एवं अवैज्ञानिकता पर आधारित कट्टरवादी हिन्दू संगठनों से दूर ही रहना चाहिए | ऐसे लोगों से उनकी छवि धूमिल ही होगी | महर्षि दयानंद सरस्वती जी जिन्होंने जिन्दगी भर हिन्दू धर्म में घुसे हुवे अंध विश्वास तथा अवैज्ञानिकता का विरोध किया तथा इसी लिए अपने प्राण की आहुति दी को अपना मानसिक गुरु मानने वाले स्वामी राम देव जी इन्ही तथाकथित कट्टर वादिओं से हाथ मिलाएं ये समझ में नहीं आता |
सत्य तभी निखार पर आता है जब उसमे किसी भी किस्म के झूठ की मिलावट न हो |आप लाख सच्चे हों किन्तु यदि आप झूठ और गलत लोगो के सहारे आगे बढ़ेंगे तो आप की गिनती भी उन्ही झूठों लोगों में की जायेगी
यदि यह सरकार हिंदू विरोधी है ाते आप 80 प्रतिशत हिंदूओं ने चूडियां क्यों पहन रखी है
आज भी भारत माँ गुलाम है वह कराह रही है. जाकिर नाईक जैसे लोग जब खुलेआम हजारो की भीड़ के सामने धर्मपरिवर्तन करते है तो उनकी सुरक्षा की जाती है और एक हिन्दू सन्यासी जब देश वाशियों के लिए लड़ रहा है तो उस पर लाठियां बरसाई जा रही है. पहले अंग्रेज शासन करते थे अब उनके पिट्ठू कर रहे हैं. और उन्हें इटली संभल रहा है. और हिन्दू सेकुलर {कायर} बना है.
yadi sabhi log dhrmik ho jay to jhagda mit jayega.
एक टिप्पणी भेजें