इधर रामदेव और उनके आन्दोलन पे काफी कुछ लिखा जा रहा है ....एक बात पे सभी लेखक सहमत है ...फिर वो चाहे अंग्रेजी के हों या हिंदी के .....कि बाबा आठवीं फेल है ......8th drop out .....अब मैं आपको बता दूं कि बाबा ने स्कूल ( अगर आप उसे स्कूल मानें तो ) आठवीं में छोड़ दिया और गुरुकुल खानपुर चले गए ......... फिर वहां 20 साल तक उन्होंने संस्कृत का व्याकरण , litrature और दर्शन शास्त्र ...philosophy पढ़ा .......संस्कृत की पढ़ाई अष्टाध्यायी से शुरू होती है और महाभाष्य पे ख़तम पे होती है .इसमें बेहद brilliant students भी कम से कम दस साल लगाते है ..वैसे महाभाष्य के लिए तो सुना है की 20 साल भी कम हैं .....और महाभाष्य पढ़े student के सामने ये PhD लोग बच्चे लगते हैं ......अब हमारे मीडिया के ये पढ़े लिखे ( BA ) भाई लोग अगर बाबा को आठवीं फेल लिखते हैं अगर ,तो उनकी बुद्धि पर तरस आता है मुझे ......बीस साल तक संस्कृत litrature और grammar पढ़ा लिखा आदमी ....उसे ये लोग 8th dropout लिखते हैं ......यानि संस्कृत कोई subject ही नहीं और पढ़ा लिखा वो जो कॉलेज से BA की डिग्री ले ........और एक बात बता दूं आप लोगों को ...पिछले ,महीने मुझे एक हफ्ता एक गुरुकुल में रहने का मौका मिला ...वहां का स्टुडेंट रोज़ सुबह 3 .45 पे उठता है .........और कोई उठाता नहीं है जनाब ....अपने से उठता है ......रोज़ 8 से 10 घंटे स्वाध्याय करता है .....10 साल तक .......exam गुरु जी लेते हैं..... कहीं से कोई question पेपर नहीं आता .......नक़ल मार के कॉपी नहीं भरता है .......और संस्कृत litrature और philosophy पढने के लिए तो 50 साल भी कम हैं .
जहाँ तक बात योग की है तो योग मात्र चार आसन और deep breathing मात्र नहीं है ......ये एक जीवन दर्शन है ........यानि एक संपूर्ण जीवन शैली है ....जो आपके thought process और stress level को regulate करती है ...आपके life style में changes लाती है .......अब आपकी पूरी medical science खुद कहती है की सारी problems की जड़ ये stress और life style ही है .....इसे योग से ठीक किया जा सकता है ........योग को इस से सरल भाषा में नहीं समझाया जा सकता .......पर इसे फील करने के लिए आपको इसे करना पड़ेगा ....इस से पहले मैं भी ये सारी बातें सिर्फ सुनता था .......पिछले एक महीने से योग कर रहा हूँ ....6 किलो वज़न कम हो चुका है ....बिना किसी dieting के.........स्ट्रेस गायब है जिंदगी से ........मैं अपने जीवन में आनंद महसूस कर रहा हूँ ...वैसे मैंने सुना है की आनंद की अनुभूति कोकीन का shot लेने के बाद भी होती है .......अब ये आप को decide करना है कि आपको कौन सा आनंद चाहिए ......किसी आदमी के लिए कुटिया में भी आनंद ही आनंद है और अपने मुकेश भाई अम्बानी को अपने उस 23 मंजिला घर में भी आनंद मिला या नहीं मैं कह नहीं सकता ........और आज मुझे ये भी पढने को मिला कि बाबा के ज़्यादातर समर्थक intellectually challenged lower middle class लोग हैं ......मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ .....की हम सब लोग जो उस दिन रामलीला मैदान में भूखे प्यासे बैठे थे ...रात भर पुलिस से पिटते रहे ......अगले दिन धूप में...... 41 डिग्री में ....सारा दिन अपने दोस्तों को ढूंढते रहे ........( तकरीबन सबके फोन बंद हो चुके थे ..चार्ज न होने के कारण ) हम लोग वाकई intellectuals नहीं है ....intellectual होते तो अपने बेडरूम में ac 16 डिग्री पे चला के सोते ...देश तो जैसे तैसे चल ही रहा है .......intellectual वो होता है जो morning walk पे भी अपनी SUV में जाता है .......जिसकी लड़की की शादी में 850 dishes serve होती हैं जिसमे 25 किस्म के तो पुलाव होते हैं .......हम दाल भात खाने वाले लोग ........हमें बात बात में कंधे उचका के oh noooo ....oh shit कहना तक नहीं आता .......हम भोजपुरी और हरयाणवी में बात करने वाले लोग .......हम कहाँ के intellectual .....
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
3 टिप्पणियाँ:
तीखा और धारदार व्यंग्य . कुर्सी के दलालों की करतूतों को बेनकाब करता है यह शानदार आलेख.
बधाई और आभार.
बेशक यो गी अपनी महिता है, उसमें कोई दोरया नहीं, मगर उन्होंने कुछ ऐसी मांगें रख दीं, जो साबित करती हैं कि बाबा वाकई आठवीं फेल है
जब से डिग्री लेना ही बुद्धिमत्ता बन गया है तब से ही यह अनर्गल प्रलाप प्रारम्भ हो गए हैं। अगर डिग्री की ही बात करें तब तो सोनिया, राहुल आदि सभी से पूछ लेनी चाहिए कि वे कौन सी जमात तक पढें हैं। असल बात यह है कि आज यह सो काल्ड बुद्धिजीवी वर्ग भ्रष्टाचार में पूर्णतया लिप्त है और यह नहीं चाहता कि कभी इस देश से भ्रष्टाचार समाप्त हो। यह नहीं चाहता कि देश के नागरिक एक समान हो। आपने बहुत कुछ कह दिया है इसलिए कुछ शेष बचा नहीं है। बस इन डिग्रीधारियों को कुछ ज्ञान मिल जाए तो अच्छा हो।
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