रविवार, 5 जून 2011

हर पल की खुशियां तू जीले.....डा श्याम गुप्त....

हर पल की खुशियां तू जीले,
जाने कल आये ना आये |
कल जो करना आज ही करले,
कल जाने क्या ना होजाए ||     ----हर पल की खुशियाँ.......  

पल पल परिवर्तन का मौसम,
जो कल था वह आज नहीं है |
आज अभी है, कल न रहेगा,
इस जग का अंदाज़ यही है ||

प्रेम-प्रीति को रीति बनाकर,
स्वार्थ भूल परमार्थ सजाकर |
अपना-पराया भूल, खुशी से-
जीले, कल आये ना आये ||     ----हर पल की....

कल के लिए आज को खोना,
इन बातों में तथ्य नहीं है |
आज करे सो अब ही करले,
सुधी जनों का कथ्य यही है ||

कल पर कोई काम न छोडो ,
आज का काम अभी कर डालें |
उचित समय पर उचित कार्य हो ,
जाने कल आये ना आये ||        ----हर पल की......

बचपन बीते आये जवानी,
और बुढापा भी आता है |
हर पल का जीवन न जिए तो,
बीता पल मन तरसाता है ||

बचपन में बचपन की खुशियाँ ,
शोख जवानी की सौगातें |
खुशी खुशी निष्काम कर्म से,
सजती हों परमार्थ की बातें ||

वृद्धावस्था  फिर न डराए,
चाहे कुछ भी कल होजाए |
जीवन खुशी खुशी जीले तो,
कल का डर फिर नहीं सताए ||   ......हर पल की खुशियाँ ......

6 टिप्पणियाँ:

विभूति" ने कहा…

bhut hi sarthak postive soch se bhari rachna...

Vaanbhatt ने कहा…

हर पल यहाँ जी भर जियो
जो है समां कल हो ना हो...

गंगाधर ने कहा…

यहाँ ख़ुशी से जीने कौन देता है साहब, यहाँ तो बोलने की भी आज़ादी नहीं है. हम तो आज भी गुलाम हैं.

kirti hegde ने कहा…

gr8

poonam singh ने कहा…

aabhar

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद पूनम जी,कीर्ति,गंगाधर,बाण भट्ट व सुषमा जी....

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