गुरुवार, 23 जून 2011

कट ऑफ का आतंक

अवनीश कुमार
मेरे एक दोस्त के भाई ने इंटरमिडिएट में 90 प्रतिशत अंक पाए। जब उसने मुझे बताया तो मुझे लगा कि इसका कहीं भी एडमिशन हो सकता है। हर कॉलेज इसको एडमिशन दे सकता है। लेकिन इस बार की कट ऑफ को देखकर मुझे उस लड़के पर थोड़ा तरस जरूर आ रहा है। हालांकि उसे एडमिशन तो मिल जाएगा, लेकिन जिस तरह से उसके सपने थे। शायद इस कट ऑफ के चक्कर में वे जरूर धूमिल हुए होगे। यह हाल किसी एक का नहीं बल्कि ऐसे बहुत से छात्रों का है। इस साल की कट ऑफ को देखकर हर किसी के होश उड़े हुए हैं। खासकर उन बच्चों के माता-पिता को ज्यादा हैरानी हो रही होगी, जिन्होंने अपने बच्चे के मार्क्स 90 प्रतिशत आने पर पूरे मोहल्ले में मिठाई बांटी होगी। क्योंकि इतने नंबर आने पर भी उनका बच्चा कट ऑफ लिस्ट में काफी पीछे रह गया है।
आज का समय काफी बदल गया है। हर किसी को 100 में से 100 चाहिए। पहले भी बच्चे पढ़ा करते थे। पर उस टाइम की पढ़ाई और आज की पढ़ाई बहुत ही बदल गई है, क्योंकि तब कोई कट ऑफ नहीं होती थी। पहले अगर कोई लडका या लड़की 70 प्रतिशत तक मार्क्स पा लेता था, तो पूरे जिले तक में उसका नाम फैल जाता था। और उससे सब की उम्मीदे लगी रहती थी कि यह बच्चा जरूर कुछ कर दिखाएगा। पर इस बार की कट ऑफ को देखकर बहुत से छात्रों के अरमानों पर पानी तो फिर ही गया होगा। साथ ही वें छात्र अंदर से डर गये होगे। जो 2012 में 12वीं के एग्जाम देंगे।
हालांकि मानव एवं संसाधन मंत्री कपिल सिब्ब्ल ने इस मामले को चिंताजनक बताते हुए ग्रेड्ग सिस्टम लागू करने की बात कही है, लेकिन कॉलेजो के रवैये से तो यही लग रहा है कि वे ग्रेडिंग सिस्टम नहीं चाहते है। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि उन्हें 100 प्रतिशत वाले छात्र मिल रहे हैं। बहरहाल यह साल तो गया लेकिन आने वाले साल की चिंता बच्चों और उनके माता-पिता को जरूर हो रही होगी।

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