शनिवार, 28 मई 2011

बहुत बातें हो चुकीं थोडा कर्म हो जाए ?

"भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" के सभी लेखकों तथा पाठकों से एक अनुरोध करना चाहता हूँ, आप सभी के अपने अपने ब्लॉग हैं फिर भी आप इस मंच से जुड़े हुए हैं इसका क्या कारण है? जाहिर है आप एकता की शक्ति को पहचानते हैं और आप जानते हैं कि जो कार्य अकेले नहीं किया जा सकता वह कार्य समूह में रह कर भली-भाँती किया जा सकता है| ऐसे ही एक कार्य की आवश्यकता इस समय है और आप सभी का सहयोग चाहिए|

यदि आप "BBLM" के नियमित पाठक हैं तो आप ने कुछ दिन पहले आशुतोष जी का लेख पढ़ा ही होगा जिसमे उन्होंने एक विद्यार्थी के कष्ट को बयान किया था| विद्यार्थी का कहना है कि उनके स्कूल के एक शिक्षक कक्षा में अश्लील चुटकुले सुनाते हैं और कुछ ऐसा ही एक अध्यापिका के बारे में भी लिखा है|

पूरा लेख आप यहाँ पढ़ सकते हैं| कृपया कमेन्ट भी पढ़ें|

इस विद्यार्थी का ब्लॉग है हिन्दुस्थान हिंदुत्व समाजवादी प्रजातान्त्रिक संघ यह खुद को नौवीं कक्षा का विद्यार्थी बताता है और स्कूल का नाम लखनऊ पब्लिक स्कूल|

इस विद्यार्थी ने (इस प्रकार का संबोधन सिर्फ इसलिए क्यूंकि ये उम्र में मुझसे छोटे हैं) कहा है कि इनके विद्यालय में दो ऐसे अध्यापक हैं जो अश्लील बातें करते हैं| आशुतोष जी शायद सरल प्रवृत्ति के युवक हैं सो उन्होंने इसकी बात पर विश्वास कर लिया तथा उसकी इस पोस्ट को कई ब्लोगों पर चिपका दिया यानि कि उसका प्रचार किया|

पर मुझे इस विद्यार्थी की बात पर विश्वास नहीं है कारण-

१. मुझे विश्वास नहीं कि नौवीं कक्षा का एक विद्यार्थी इस प्रकार के लेख लिख सकता है जैसे कि इस ब्लॉग में लिखे हुए हैं हिन्दुस्थान हिंदुत्व समाजवादी प्रजातान्त्रिक संघ| पर यदि सच में ऐसा है तो बहुत खुशी की बात है क्यूंकि सच में हमारा देश तरक्की कर रहा है जिस दिन नौवीं कक्षा का विद्यार्थी इतना बुद्धिमान तथा निर्भय हो जायेगा उस दिन हमारे देश को किसी अन्ना हजारे अथवा महात्मा गांधी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी|

२. इस विद्यार्थी ने लिखा है "मेरी एक बार उनसे हिंदुत्व को लेकर बहस छिड़ गयी और उन्होंने मेरे पिताजी से यह शिकायत कर दी की मैं -मुस्लिम विरोधी हूँ जिसकी वजह से मुझे घर में फटकार मिली" इसके आगे बढते हुए आशुतोष जी ने लिखा है "उस बालक की विडम्बना देखिये की उसने अपने आज कल के तथाकथित विद्यालय में सनातन शिक्षा पद्धति की बात कही तो उसके घर तक शिकायत पहुंचा दी गयी विद्यालय द्वारा की आप का बालक गलत सोहबत में है....उसके बाहरी दुनिया से संचार के साधन कटवा दिए गए"

यदि इस विद्यार्थी के बाहरी दुनिया के संचार के साधन कटवा दिए गए हैं तो यह ब्लॉग पर लेख कहाँ से लिखता है?

आप, मैं और हम सभी आज इन्हीं तथाकथित विद्यालयों से शिक्षा पाकर निकले हैं और आशुतोष जी खुद इंजीनियर हैं और पूरे यकीन के साथ किसी गुरुकुल में नहीं पढ़े हैं|

फिर भी मैंने सोचा कि क्यूँ ना पता लगाया जाए कि यह विद्यार्थी झूठ बोल रहा है या नहीं? उसके लिए मैंने इससे यह जानकारी माँगी -

नाम-
स्कूल का नंबर-
सहपाठियों का नंबर-
इस समय किस कक्षा के विद्यार्थी हैं?
तथा पिछले तीन बर्षों में तुम्हारी क्लास में क्या स्थिति है?
इसके पापा का नंबर-

इनमे से किसी भी प्रकार की जानकारी ना तो इस विद्यार्थी ने दी और न ही आशुतोष जी ने|

मैंने लखनऊ पब्लिक स्कूल की साइट छानी तो पता चला कि यह काफी बड़ा स्कूल है तथा इसकी कुल ६ ब्रांच हैं, साउथ सिटी, रायबरेली, LDA सेक्टर D, LDA सेक्टर I, जानकी पुरम तथा गोमती नगर| इस साइट पर अध्यापकों का विवरण नहीं दिया गया है और ना ही किसी प्रकार का फोन नंबर दिया गया है जिससे संपर्क करके जानकारी प्राप्त की जा सके कि जिन अध्यापकों पर यह इल्जाम लगाया गया है वो सच में वहाँ पढाते भी हैं या नहीं|

यदि यह विद्यार्थी यह बताये कि ये किस ब्रांच में पढता है तथा प्रिंसिपल का नंबर प्रदान करे तो यह जानकारी प्राप्त की जा सकती है|

आशुतोष जी से जब मैंने कहा कि आपने सत्य का पता करने का प्रयास किया या नहीं तो उनका कहना था- "@योगेन्द्र भाई:
आप इतने समझदार हैं..आप क्या चाहते हैं की में इस बालक के पिता और स्कूल में जाऊं..स्कूल में जाऊंगा तो स्कुल से बाहर कर दिया जाएगा पिता के पास जाऊंगा तो पिता से इसे झिडकी या कुछ और मिलेगी..क्युकी एक पिता अपने पुत्र को कैसे भी सिर्फ सफल देखना चाहेगा चाहे मैकाले की गाथा गा के..वो क्यों चाहेगा की कोई क्रांति या राष्ट्र की बात करे???...में ये तहकीकात करके इस बालक को और मुसीबत में नहीं डाल सकता ..जानकारी के लिए बता दूँ ये ९ वीं में पढता है..और शयद इश्वरप्रदत्त गुणों के कारण खेलने और घुमने की उम्र में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की बात करने का अपराध कर रहा है."

डरपोक कभी भी समाज में बदलाब का माध्यम नहीं बने हैं

यह जून का महीना है, जुलाई से सभी स्कूलों में एडमिशन प्रारंभ हो जायेंगे यानि कि अभी समय नहीं निकला है अभी स्कूल से निकाले जाने पर अथवा स्वेच्छा से छोड़े जाने पर पढाई में किसी प्रकार का विघ्न नहीं आएगा, कहीं भी एडमिशन मिल जाएगा, अतः स्कूल से निकाले जाने की चिंता करने की आकाश्यकता नहीं है| इस समय निर्भय हो कर जांच पड़ताल की जा सकती है|

रही बात पिता की झिडकी की तो इतना निर्भय हो कर लिखने बाला अपने पिता की झिडकी से डरता है ये बात मैं मान ही नहीं सकता, और जब तुम बलिदानी भगत सिंह जी को अपना आइडल मानते हो तो डंडों से भी नहीं डरना चाहिए झिडकी क्या चीज है| एक बात और आशुतोष जी से पूछना चाहूँगा जब आप कुछ कर ही नहीं सकते तो व्यर्थ गाल बजाने का क्या औचित्य? और एक बात ध्यान रखें कि आप अकेले नहीं हैं पूरा "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" आपके साथ है आप अकेले कुछ नहीं कर सकते पर हम मिल कर उस अध्यापक को अथवा इस विद्यार्थी को सजा दिलवा कर ही रहेंगे|

खुशनसीबी से इस मंच पर कुछ वकील भी जुड़े हुए हैं, जिनसे गुजारिश करूँगा कि किसी कानूनी आवश्यकता पड़ने पर मदद करें तथा इस समय कानूनी रूप से किन किन चीजों की आवश्यकता है यह भी बताएं जिससे उन सभी चीजों की व्यवस्था की जा सके|

मैंने आशुतोष जी से कहा कि उस विद्यार्थी का वीडियो बना कर डालें| तो blogtakniki जी ने आगे लिखा है "आप वीडियो बनाने मै मास्टर हो, तो जरुरी नहीं कि सभी को इस काम में महारथ हासिल हो" इसका जबाब यह है कि मैं जिस प्रकार के वीडियो बनाता हूँ उसमे मेहनत चाहिए बहुत काम करना पड़ता है मैं मानता हूँ कि ऐसे वीडियो बनाना आसान नहीं होता पर किसी का इंटरव्यू करते समय सिर्फ कैमरे को हाथ में पकडे रहना होता है जिसके लिए इस क्षेत्र में मास्टर डिग्री नहीं चाहिए|

कुछ और तथ्य-
यह विद्यार्थी नौवीं कक्षा में पढता है, जिसके पास इंटरनेट, कम्प्यूटर है तथा बहुत अच्छे स्कूल में पढता है तो इसकी घर की स्थिति आर्थिक रूप से बहुत ही बढ़िया है और इसमें कोई शक नहीं कि इसके पास ठीक-ठाक मोबाइल हो, क्या यह अश्लील बातें करते हुए अध्यापक का वीडियो नहीं बना सकता जिससे उस अध्यापक को तुरंत बाहर किया जा सके|

मैं शिक्षा के उत्थान के लिए प्रयासरत हूँ इसलिए जब भी शिक्षा व्यवस्था में कोई खामी दिखाई देती है तो शांत नहीं बैठा जाता| आज मौका है दो अध्यापकों अथवा एक विद्यार्थी को दण्डित करने का मैं इसको गंवाना नहीं चाहता| आप सभी से एक गुजारिश है इस मंच ने आपको और मुझे शक्ति दी है संगठन की शक्ति| इस मंच को ऑफिस के लंच टाइम में राष्ट्र तथा देश के मुद्दे पर होने वाली चर्चा की तरह इस्तेमाल ना करें बल्कि चर्चा से आगे ले जाकर कर्म पर ध्यान दें| तो आज मौका है यदि आप में से कुछ लोग लखनऊ में रहते हैं तो आप इस बालक से मिल सकते हैं और वस्तुस्थिति का पता लगा सकते हैं, स्कूल में जा सकते हैं| यदि आर्थिक मदद की आवश्यकता पड़े तो १०० सदस्य तथा २५० से अधिक फोलोवर यदि 100 रु. भी जमा करेंगे तो बहुत जरूरत से ज्यादा रुपये जमा हो जायेंगे|

इस विद्यार्थी से भी कहूँगा कि अब डरना छोड दो बहुत लोग तुम्हारे साथ हैं, अब यदि कोई गलत है तो वह स्कूल से निकल कर ही रहेगा| यदि तुम सही हो तो जितनी जानकारी तुमसे माँगी गयी है वो 2 दिन के अंदर यहाँ कमेन्ट में दे दो अन्यथा यह माना जायेगा कि तुम झूठ बोल रहे हो और तुम्हारी सभी बातें निराधार हैं|

मैं "कर्म ही पूजा है" "कर्म करो फल की चिंता मत करो" महावाक्यों को अपने जीवन में उतारने का पिछले 5 बर्षों से प्रयत्न कर रहा हूँ इसलिए सिर्फ बोलना तथा सिर्फ बोलने वाले लोग पसंद नहीं करता| आपके पास कर्म करने का मौका है आज दिखा दो कि ब्लोगिंग से भी कुछ बेहतरीन किया जा सकता है| जिससे ब्लोगिंग सिर्फ अभिव्यक्ति का माध्यम भर ना रह कर समाज में बदलाब का माध्यम बन जाए| आज इस छोटे से बदलाब से शुरू करते हैं और धीरे धीरे बड़े बदलाब की तरफ कदम उठाते हैं|

7 टिप्पणियाँ:

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

माफी चाहूंगा, पहला कमेंट गल्‍ती से हो गया था, इसलिए उसे डिलीट करना पडा।


योगेन्‍द्र जी, यह लड्का मुझे टोटल फ्राड लग रहा है। मैं पिछले 15 सालों से बच्‍चों के लिए लिखता हूं और बच्‍चों के मनोविज्ञान में रूचि रखता हूं। कक्षा 9 का विद्यार्थी इस तरह की बातें नहीं कर सकता। और हॉं, अगर यह सच बोल रहा है, तो मैं इससे मिलना चाहूंगा। यह मुझे zakirlko@gmail.com पर मेल कर सकता है। अगर यह मेल न भी करे, तो सिर्फ इतना बता दे कि एलपीएस की किस ब्रांच में पढता है। बाकी तो मैं पता ही लगा लूंगा।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

बिलकुल सही लिखा आपने ...सिर्फ गाल बजाने से कुछ नहीं होने वाला ! लिखने के साथ-साथ जहाँ कहीं भी , किसी के साथ , कुछ भी गलत हो रहा है तो उसे हमें रोकने का पूरा प्रयास करना होगा | रही इस विद्यार्थी की बात ....... जब उसका चिंतन इतना प्रखर है तो उसे निडर होकर अपनी बात सामने लानी चाहिए | यदि उसमे इतना भी साहस नहीं है तो फिर बड़ी-बड़ी बातें करने से कोई फायदा नहीं |

Shalini kaushik ने कहा…

yogendra ji ,
pahli bat to ye ki aaj ke pragatisheel yug me jo n ho jaye vah kam hai.aaj ke bachche bahut tez ho rahe hain aur n keval sahi baton me balki galat baton me bhi me ye nahi kah rahi hoon ki vah vidhyarthi sahi hai kyonki main n to usse mili hoon aur n uske bare me kuchh janti hoon .kintu maine aaj ke bachchon kee tezi dekhi hai ki ve bade badon ke kan kat lete hain hamere kshetr me ek ladka jo sadak par theek tarah se chal bhi nahi sakta tha vah rat ko khidki se ghus kar ek ghar me chori karta pakda gaya tha jabki vah ghar doosri manjil par tha.isliye main is vishay me aapse sahmat nahi hoon.doosri bat aashutosh jo ko chahiye tha ki pahle mamle ki sahi janch padtal karte rtabhi kuchh likhte kyonki jab taq dono paksh samne n hon faisla sahi ho hi nahi sakta.aur jab taq bat kee poori sachchai samne n ho kam se kam blog jagat me uska prachar nahi hona chahiye.

आशुतोष की कलम ने कहा…

एक बात योगेन्द्र जी जो आप चाहते हैं...फिर दोहराता हूँ....मैं आप सब से क्षमाँ मांगता हूँ इस लेख को लिखने के लिए.

इस विवाद के शुरू होते ही योगेन्द्र जी की पहली टिपण्णी पर ही मैंने सबसे क्षमा मांग लिया था और अप्रमाणिक होने की सजा के रूप में इस मंच से स्वेछा से चला गया था...(क्युकी शयद अभिस्ठ वो बालक नहीं आशुतोष को हटाना था) मे नहीं चाहता था मुझे कोई बेआबरू करके निकाले..मगर उसके बाद भी हमले जारी रहे..

आप के द्वारा मांगी गयी कोई जानकारी नहीं देगा वो बालक ये मेरा आदेश या अनुरोध दोनों है उसे...क्युकी आप सभी गणमान्य हैं और एक १४ बर्षीय बालक की विवशता समझ सकते हैं..जानते हैं की डरेगा ...उम्र भी कम है,विचार क्रन्तिकारी है तो क्या घर बार से निकलवाने का प्रबंध कर लें हम....योगेन्द्र जी आप बड़े ज्ञानी है, विद्यालय बदलने में आज कल समस्याए आती है जानते होंगे ...और क्यों वो विद्यालय बदलेंगे उसके माँ बाप जब वो उस विद्यालय की विचारधारा से संतुस्ट हैं...

इसलिए आशुतोष को ठिकाने लगाने के लिए उसको आगे किया जा रहा है...बंधू में तो पहले से ही अदना सा इन्सान आप सभी महारथियों और विद्वानों से क्या मुकाबला कर सकता.....पलायन कर गया डर से..
"में मइके चली जाउंगी...........वाला प्रस्ताव योगेन्द्र भाई ने रखा और हमारे घर के मुखिया ने अनुमोदन किया की मेरे लए वो विशेषण उपयुक्त है..."

जरा आप ही सोचे आप के बच्चे के समर्थन या विरोध में पत्रकार या ब्लोगेर आने लगे तो आप की प्रतिक्रिया क्या होगी..स्वाभाविक है की की भी पिता यही कहेगा की इन फालतू के चक्करों से बाहर आ के पढाई करो..
बात लोगों के साथ होने की आप सभी भी जानते हैं आप के सहयोग की एक सीमा है शाम को उसे अपने परिवार के साथ ही रहना है..जो पहले से ही आप की इस पूछ ताछ से मानसिक रूप से आजिज आ चूका होगा...

में अदना सा प्राणी कोई लोबिंग नहीं कर सकता..
रही बात उसके लिखने पर संदेह करने की तो ये आप की स्वेछा ..आरोप लगाने वाले तो बात करने के बाद भी ये कह सकते है आशुतोष तुम भी लेख खुद नही लिखते तुम्हे लिखकर कोई और देता है...कहाँ कहाँ सफाई देता फिरू..

अगर बात उल जलूल गलत या निराधार लिखने की तो ये पोस्ट मैंने लगायी है बेशक आप मुझे उल जलूल या अप्रमाणिक कह ले मगर बच्चे के साथ अन्याय होगा उसकी सत्ता पर प्रश्न उठाना ...इसके पीछे क्या सुनुयोजित मकसद है ये भी में जानता हूँ....मुझे लगता है तात्क्षानिक रूप से उस मकसद में सफल भी हो गए..
.
अब आखिरी बात जो शयद off the record कहनी थी एक सदस्य से: आप जो चाहते थे वो मिल गया ...शायद संसाधनों का समुचित उपयोग और दोहन हो चुका है

आप सब का पुनः धन्यवाद्...
इस टिपण्णी को मेरी तरफ से इस अध्याय के अंत में लिया जाए और अनुरोध है एक अप्रमाणिक लेखक का की इसका प्रतिउत्तर न दिया जाए..क्युकी आगे से में कुछ अपने बचाव में नहीं लिख सकूँगा

हरीश सिंह ने कहा…

आशुतोष जी और योगेन्द्र जी, आप दोनों मेरे छोटे भाई हैं. विचारो में मतभेद होना असंभव नहीं है. किसी बात को लेकर आपस में मनमुटाव अच्छी बात नहीं है. सार्थक बहस का मैं भी सदैव पक्षधर रहा हूँ, पर यह सार्थक बहस नहीं है. आप दोनों की बातों में निजी प्रतिद्वंदिता परिलक्षित हो रही है, लिहाजा आप दोनों लोंगो से अनुरोध है की इस विषय पर अब कोई चर्चा नहीं करेंगे.

rubi sinha ने कहा…

bematab ki bakwas prem se rahiye

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