सोमवार, 9 मई 2011

न काहू से दोस्ती न कहू से बैर

दोस्तों शिखा जी की पोस्ट पर टिपण्णी कर रहा था, कुछ अधिक हो गया तो आपसे भी गूफ्तगू कर लूं.

ब्लोगर सम्मान परम्परा का ढकोसला बंद कीजिये !'  शिखा जी की पोस्ट


आज पहली बार किसी की प्रशंसा खुले दिल से करने की हो रही है. शिखा जी एक कहावत बहुत पहले सुनी थी. "आन्हर बांटे रेवड़ी, घूमी घूमी के खाई." आप जानती हैं मैं मार्च माह से ही काफी परेशान  चल रहा हूँ. निश्चित रूप से जिस दौर से मैं गुजर रहा हूँ. ऐसे दौर में नेट पर बैठना मुमकिन नहीं है. फिर भी आपने सुना ही होगा, चोर चोरी से जाय पर हेरा-फेरी से न जाय. जब भी समय मिलता मैं यहाँ आ जाता और किसी न किसी ब्लॉग पर टिपण्णी करता और चल देता. लिखने का मन नहीं हो रहा था. कल यानि ७ मई  की शाम को मेल चेक कर रहा था तो देखा लखनऊ में कोई सम्मान समारोह है. इसके पहले रविन्द्र जी ने अपना समारोह रखा था और सम्मान भी लिया था, शिखा जी, आज जब आपकी पोस्ट पढ़ी तो आप पर बहुत ही गुस्सा आया, यदि आप सामने होती तो निश्चित रूप से आपका और हमारा झगडा हो जाता, आपकी लेखनी मैं इतना पसंद करता था की आपको महाभारत जितवा दिया, हो सकता है दूसरी महाभारत की  बाज़ी भी आप जीत जाती. पर आप ने तो हमें ही धोखा दे दिया. और हद है आपका साथ आशुतोष और शालिनी जी भी दे रही हैं. आप लोंगो ने मेरे साथ विश्वासघात किया, मैं सोचा था की १५  मई को धमाके दार पोस्ट के साथ वापसी करूँगा.
पर जो बातें मैं लिखने वाला था उसे आपने ही लिख दिया. खैर छोडिये जो करना था आपने कर दिया, मैं लेट हो जाता, वाही कम आपने समय पर किया, लोहा गरम था भैया आपने चला दी कुल्हाड़ी, अब लगी की नहीं भगवान  जाने..  

मुझे भी समझ में नहीं आया की सम्मान किस बात का. ....
अब वह बाते तो मैं नहीं लिख सकता पर कुछ प्रश्न आप से  कर रहा हूँ.... आशा है जवाब मिलेगा.. कम से कम आप तो जरुर जवाब दीजियेगा....
@ आपने कहा सम्मान देने का आधार क्या है.........? और मैं कह रहा हूँ सम्मान समारोह ही कहा था.......?
@ रविन्द्र जी का  कार्यक्रम " पुस्तक बिमोचन" का था और सलीम का कार्यक्रम इस्लामिक समारोह था. यदि नहीं तो जवाब दीजिये..............>
@ यदि हिंदी ब्लोगरो का कार्यक्रम था तो पोस्टर और बैनर उर्दू में क्यों लिखे गए थे..?
@ कार्यक्रम की रूपरेखा निश्चित तौर पर बहुत पहले बनी होगी. पर LBA  और AIBA  और जुड़े ब्लोगरो को सूचना समय से क्यों नहीं दी गयी. यदि दी गयी थी तो विरोध क्यों हुवा और कितने ब्लागर इस कार्यक्रम में पहुंचे. क्या मौजूदा दौर में सिर्फ सलीम और अनवर ही दो ब्लागर है जो सम्मान के काबिल है और किसी ब्लोगर का सम्मान नहीं है. कार्यक्रम के फोटो खुद ही इस कार्यक्रम की पोल खोल रहे हैं. तक़रीर को ब्लागर सम्मान समारोह क्यों कहा जा रहा है. अरे भैया लोग अब लोग उतना बेवकूफ नहीं बाटें हो..  " अरे भैया कहे फ़ोकट का मगजमारी करे खुद पकाय लेव खुद ही खाय लेव"
@ इस तरह हर ब्लोगर चाहेगा की वह 5 नेताओ को बुलाये 2  पत्रकार बुलाये हो गया सम्मान समारोह. यदि हमें ऐसा करना हो लखनऊ तो छोडिये, भदोही में ही उससे अच्छा कार्यक्रम कर लू, दू चाट ठे मंत्री नहीं बलिकी बम्बईया से कुछ नचनिया भी  बुला लूं.
@ हम तो शिखा जी बहुत गालियाँ खाते हैं. कभी सलीम या अनवर बिना सुनाये देते हैं तो कुछ लोग चिल्ला चिल्ला के दे जाते हैं. हिन्दू के खिलाफ बोला तो " सेकुलर" कहाया, मुसलमान के खिलाफ बोला तो "सांप्रदायिक"  कहा गया, बस यही एक परेशानी है. सच बोलने वाले के सामने..
@ आईये कुछ ब्लोगर सम्मान की घोषणा मैं करता हूँ. ..
???????????   सबसे चर्चित ब्लागर  २०११  हरीश सिंह .... अब बताईये २०१० में मुझे कोई नहीं जानता था. बमुश्किल दो चार लोंगो को छोड़ कर. और २०११ में कोई एक नाम बताईये जो उभर कर आये हो और व्यक्तिगत परेशनियों को झेलते हुए चर्चा में बना......... कम से कम भी तो जाने कौन धुरंधर है. 
?????????????  सबसे सहनशील ब्लागर २०११  हरीश सिंह....... अब बताईये हमें लोंगो ने गालियाँ दी, जयचंद कहा, गद्दार कहा और मैं सबको अपना भाई बनाकर समझाता रहा और माफ़ करता रहा . जबकि मुझे यह भी पता था की परदे के पीछे से मुझे गालियाँ कौन दिलवा रहा है. और यह सिलसिला अभी तक जारी है... कुछ लोग जब सामान्य मामलो पर फ़ोन करते रहते थे और अब नेट पर भी बात नहीं करना चाहते क्यों मुझे यह भी पता है...... पर मुझे सबकुछ मालूम होते हुए भी किसी से शिकायत नहीं है.
?????????? सबसे सक्रिय  ब्लागर   २०११  हरीश सिंह ......... ११ फ़रवरी २०११ को मैंने "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की नीव रखी और इतने कम समय में जितने समर्थक हमने अपने प्रेम व व्यवहार के दम पर बनाये, क्या कोई ब्लागर पूरे ब्लॉग जगत में ऐसा है जो किसी भी सामुदायिक मंच के लिए यह कारनामा कर दिखाया है. यदि है तो उसे मैं "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच " की तरफ से सम्मान देने के साथ २००० रूपये का नगद पुरस्कार भी देता हूँ. अपना दावा वह ५ दिन के अन्दर करे,
@ शिखा जी, ब्लॉग पुरस्कार का चयन कैसे होता है यह  मैं लोंगो को दिखाऊंगा. ..
@ सच तो यह है की ब्लॉग के नाम पर हो रही राजनीती ब्लोगिंग को ख़तम कर रही है. पहले ब्लागर  अपनी पहचान खुद बनाये . कोई ऐसा कार्यक्रम बताईये जहाँ किसी ब्लोगर को बुलाकर लोंगो को गर्व हुवा हो की भाई हमारे कार्यक्रम में ब्लागर  आया है. जिस तरह नेता कैमरा लटकाए पत्रकारों को देखकर खुश होता है उसी तरह ब्लागर पत्रकारों को बुलाकर खुश होता है. हम तो पत्रकारों और छुटभैये नेताओ से भी गए गुजरे हैं. जो हम उनको सम्मान देते है. किस बात का सम्मान ले रहो हो यारों. जिस ब्लागर ने जिस उपलब्धता पर पुरस्कार लिया है मुझे अपनी खाशियत बताये यदि उसमे दम है तो मैं उससे अच्छी खाशियत का ब्लागर ढूंढ के लाऊंगा . यह पोस्ट मैं अपने ब्लॉग पर ब्लोगिंग माफिया की श्रेणी में रखूँगा क्योंकि मेरी निगाह में यह माफियागिरी ही है,.
शिखा जी मैं यह टिपण्णी लिख रहा था पर क्या करें पोस्ट बन गयी. और हमारी बाते ख़त्म भी नहीं हुयी. फ़िलहाल एक अच्छी पोस्ट के लिए बधाई. अब रहा नहीं गया लिख दिया पर आपकी राय पढने १५ मई को ही आ पाउँगा. ॐ शांति ..
" बड़े भैयियो माफ़ कर दिहा यारां.. क्या करे बिना कहे हो जाता है मितरां, आदत नू परेशां होवे.

14 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

खट्टा-मीठा-तीखा पचाने की आदत डालनी चाहिए!
सम्मान ही तो किया है!
अपमानित तो नहीं किया?

shyam gupta ने कहा…

ब्लोग्गिन्ग अपने विचार व साहित्य को अन्य के सम्मुख रखने के लिये है न कि ब्लोगर वर्गीकरण, सम्मानीकरण जैसे घटिया कार्यों के लिये जो व्यर्थ के वितन्डे, विवाद व भाई-भतीजावाद,भ्रष्टाचार व आपसी झगडे उत्पन्न करते हैं..

आशुतोष की कलम ने कहा…

मैं किसी ब्लॉग समारोह को समझ नहीं पता हूँ पता नहीं ये किस समारोह की बात हो रही है दिल्ली वाले,लखनऊ वाले या कहीं और वाले..

चलिए एक कहानी सुना देता हूँ....

मुझे एक कहानी याद आती है..एक लड़का अपने स्कूल की रेस में प्रथम आया ....घर पर शील्ड ले कर आया फोटो खिचवाए..बैंड बजवाये

पापा ने पूछा कितने समय में पूरी की रेस..

बेटा १ घंटे में १०० मीटर ..

पापा: तो प्रथम कैसे आये..

बेटा: रेस मैं ही करा रहा था और दौड़ने वाला भी में ही था अकेला..

पापा: शाबास तुम नाम रोशन करोगे मेरा..ऐसे ही रेस करते रहो जब शील्ड से घर भर जाएगा तो भंगार वाले से अच्छा पैसा मिलेगा..

Shalini kaushik ने कहा…

hareesh ji vishvasghati kee aur se sabse pahle namaskar sweekar kiziye.aise vishvas ghat to ham karte hi rahenge .sach ke liye jeete hain aur isi ke liye marte rahenge.

आशुतोष की कलम ने कहा…

शालिनी जी आज जा के हरीश जी को लेख लिखने का मन कर रहा है..अभी एक बड़ी विपत्ति से निकल कर आयें हैं इसलिए कटु नहीं बोलना चाहता था मगर रोक नहीं पा रहा हूँ
सेकुलर बनने का परिणाम यही होता है..आप तो घूम घूम का भाईचारे का सन्देश दे रहे थे...
अरे हरीश जी इन्होने हमेशा से उल्टा किया है आप ने भाईचारा बोला तो उन्होंने चारे के रूप में भाइयों को इस्तेमाल कर खा लिया...
आज आप को आप के भाईजान लोग भी गाली देते हैं और शायद हम भी समर्थन नहीं कर पते..
एक काम करें चलिए एक सांप्रदायिक ब्लोग्गेर्स मीट(या हिन्दू ब्लोग्गेर्स मिट) करा लें,..आप का सेकुलर पाप धुल जाएगा..

चलिए एक सांप्रदायिक(हिन्दू) ब्लॉगर की और से आप को एक पुरस्कार..
" सर्वोच्च सेकुलर ब्लॉगर"
अब नींद से जगे हरीश भाई...समय आ गया है

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

मुझे लगता है ब्लागर्स सम्मान तो एक बहाना है सभी के एक साथ एक जगह मिलने का। जाहिर इससे फायदा ही होगा। मेरी व्यक्तिगत राय है, मै किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता।

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

हां और रही मेरी बात.. मैं तो अकेले भी दौड़ता हूं तो सेकेंड आता हूं। हाहाहहा

हल्ला बोल ने कहा…

हिन्दू इसीलिए कमजोर है क्योंकि वाह सच बोलना चाहता ही नहीं, हमें मजबूत होना है. तो हमें अपने स्वाभिमान को जगाना होगा,. जिन मुसलमानों के डर से हम कायर यानि सेकुलर बने हैं उन्ही से सीखना होगा.की एकता क्या होती है, धर्म के प्रति समर्पण क्या होता है. और कैसे हमारे स्वाभिमान की रक्षा होती है.

हरीश सिंह ने कहा…

मयंक जी, मैं नहीं कहता की सम्मान समारोह आयोजित नहीं होने चाहिए. ब्लॉग जगत की पहचान के लिए यह आवश्यक है. पर जो भी कार्यक्रम हुए हमें नहीं लगता कोई हमारा {ब्लोगर} का सम्मान कर रहा है, बल्कि हम ही नेताओ और पत्रकारों का कर रहे हैं. आखिर हमारी अलग पहचान कैसे बनेगी जब हम खुद पिछलग्गू बने रहेंगे. सब चीजे पचा लेना भी पेट के लिए नुकसानदेह है.

हरीश सिंह ने कहा…

डॉ. गुप्ता जी आपसे खुछ हद तक सहमत.

हरीश सिंह ने कहा…

शालिनी जी आपको शुक्रिया एक सही मुद्दा बेबाकी के साथ उठाने के लिए. आपका पुनः स्वागत

हरीश सिंह ने कहा…

आशुतोष जी पहले आप समझ लीजिये की सेकुलर और धार्मिक में क्या फर्क है. मैंने कब कहा की मैं सेकुलर हू. भैया जी मुझे कायर न बनाईये मैं एक निष्ठावान हिन्दू हूँ. तभी प्रेम व इंसानियत की भाषा बोलता हूँ. हमें जो संस्कार मिले हैं वही बात मैं कहता हूँ. "हल्ला बोल" पर मेरे लिखे लेख पढ़े, कहा से लगा की मैं सेकुलर हूँ. मैं उन सभी के लिए बुरा हूँ जो देश की अस्मिता से खिलवाड़ करते हैं. मैं उनके लिए बुरा हूँ जो भारत में रहकर पाकिस्तान की आवाज़ बुलंद करते हैं. मेरी दुश्मनी धर्म के आधार पर नहीं, आचरण और विचारो के आधार पर होती है.. खैर जाने दीजिये. मुझे पोस्ट नहीं लिखनी है. आपका पुरस्कार स्वीकार है भाई, कब दे रहे हैं. बहुमत का जमाना है, सेकुलर अधिक हैं, कही किसी पार्टी ने टिकट दे दिया तो मेरी निकल पड़ेगी.

हरीश सिंह ने कहा…

सबसे चालक तो महेंद्र जी हैं भाई, आपने तो फिक्स कर लिया की आपका स्थान दूसरा है, बिना रेस लगाये जीत, वाह क्या बात है.

हरीश सिंह ने कहा…

भाई हल्ला बोल महाशय, क्यों सबको सांप्रदायिक बना रहे है. आपके ब्लॉग पर आने के लिए भारत माँ की सवारी चाहिए. यानि शेर का कलेजा, वह सबके पास नहीं होता. आप बार-बार हमारे यहाँ आ रहे हैं. भैया यहाँ हल्ला मत मचयियेगा. हमारे ब्लोगर बन्धु जिस दिन आपक विरोध किये, मैं उस दिन से आपके कमेन्ट गायब करना शुरू कर दूंगा.
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