इतना आसान नहीं है,
एक सपने को बुनना,
एक सपना देखना..
और उसके सच होने से पहले,उस सपने को तोड़ देना.
इतना आसान नहीं है,
टूटे सपने के लिये उदास होना..
मगर इतना आसान भी नहीं है,
उस सपने की वेदना को सहना,
एक रिसते घाव को,यूँ ही छोड़ देना..
उम्र भर रह रह कर उठती हुई,
उस घाव की टीस को साथ लिये रहना..
इतना आसान भी नहीं है...
इतना आसान नहीं है,अपने आप से भागना..
अपने हाथों से अपने जिस्म के..
किसी हिस्से को काटना..
मगर,
मगर,
कोई रिसते घाव के साथ,कब तक जिये,
टूटे सपनो के लिए,कब तक पीड़ा सहे..
फिर भी सपने तो सपने होते हैं,
फिर भी सपने तो सपने होते हैं,
ये पहले भी आते रहें हें,
आगे भी बुने जायेंगे...
कुछ चेहरों को हंसी,
तो कुछ को अंतस की,अनन्त काल की पीड़ा दे जायेंगे...
इतना आसान नहीं है,
इस पीड़ा से पार पाना,
इतना आसान नहीं है,
जिन्दगी से हार जाना..
"आशुतोष नाथ तिवारी"
14 टिप्पणियाँ:
खूबसूरत अभिव्यक्ति ..सपनों के टूटने की पीड़ा को बखूबी उभारा है
SAPANE NEEND SE BADE HOTE HAIN. AAPNE SAPNE KA JO BIMBAANKAN KIYA HAI, VAH MARMIK HAI. AAP HAMARE BLOG PAR AAYE, MUJHE KHUSHI HAI. AASHAA HAI KI MERE BLOG KI NEXT RACHNA PADHANE JAROOR AAYENGE...........!
भावभरी रचना।
सपनों के आने और टूटने की सुंदर व्याख्या।
शुभकामनाएं आपको
le ke har subah naye sapne main uthi hu,
tut jaate hai mager shaam ke vaado ki tarah....
खूबसूरत अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
inschay hi itna aasan nahin hai peeda se paar pana, per jindagi se har maan lena bhi sambhav nahin hai. khoobsoorat rachna...
आप सभी का बहुत बहुत आभार सपने की पीड़ा समझने के लिए..
आशुतोष भाई बहुत खूबसूरत की है आप ने ।
लेकिन जिन्दगी का कड़वा सच यह भी है कि लोग
जिन्दगी से भागने के लिए गलत रास्ता भी चुन बैठते हैं।
है पीडा की सीमा यह, दुख का चिर सुख होजाना....
मंगल जी..श्याम जी..बहुत बहुत आभार
आशुतोष जी,
बहुत ही मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति.
सपनों की पीड़ा को बहुत ही ख़ूबसूरती से व्यक्त किया है आपने.
दिल छूने के लिए आभार.
भावभरी रचना।
आसान नहीं है,
एक सपने को बुनना,
एक सपना देखना..
और उसके सच होने से पहले,उस सपने को तोड़ देना...
is dard ko is soch ko sahna aasaan nahi hai
सपने तो सपने हैं टूट जायें या संवर जायें चिरप्रतीक्षीत रहते हैं और आंखों को आबाद करते हैं.....
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