देख कर समझ गया
माँ की चिट्ठी आयी है
छोटे,छोटे मोती से,
अक्षरों से सजी हुयी
अनमोल सौगात आयी है
प्यार का सन्देश लाई है
खाने से पहनने तक
स्वास्थ्य से आराम तक
नसीहत आयी है
पास रहूँ या दूर
दिन रात
मेरी चिंता में घुलती
पल पल
याद मुझे करती
निरंतर
दुआ भगवान् से करती
माँ आज
चिट्ठी बन कर आयी है
आँखों में
स्नेह के आंसू लाई है
02-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
5 टिप्पणियाँ:
sundar rachna, aabhar
सुंदर रचना
माँ, यह एक ऐसा शब्द है जो रोम रोम को प्रफुल्लित कर देता है. बहुत अच्छी रचना ,आभार
सुन्दर रचना.
bhavpoorn rachna,,,,,,
maaa to aakhir maaa hi hoti hai.
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