मैं आंसू आंसू रोया हूँ
कुछ रातों से ना सोया हूँ,जो सीमाओं पर बिछुड़ गए
उनकी यादों में खोया हूँ
जो सुहागरात पर नयी नवेली दुल्हन को छोड़ कर चले गए
जो इकलौते होकर भी सीमा पर लड़ने चले गए
जो रण में शोलों के आगे लाश बिछाने चले गए
जो हँसते हँसते प्राणों की बलि चढ़ने चले गए
उन वीर शहीदों की कहानी,मैं लिखते लिखते रोया हूँ
जो सीमाओं पर बिछुड़ गए उनकी यादों में खोया हूँ
जो इकलौते होकर भी सीमा पर लड़ने चले गए
जो रण में शोलों के आगे लाश बिछाने चले गए
जो हँसते हँसते प्राणों की बलि चढ़ने चले गए
उन वीर शहीदों की कहानी,मैं लिखते लिखते रोया हूँ
जो सीमाओं पर बिछुड़ गए उनकी यादों में खोया हूँ
एक माँ अपने बेटे को लहू का टीका करती है
तुम्हारी हो दीर्घायु, ये दुआ हमेशा करती है
बेटे के इंतज़ार में निगाहें टक टक करती है
पर एक बिना सर की लाश आँगन में उतरती है
क्या बीती होगी माँ के दिल पर, ये सोच-सोच मैं रोया हूँ
जो सीमाओं पर बिछुड़ गए उनकी यादों में खोया हूँ
तुम्हारी हो दीर्घायु, ये दुआ हमेशा करती है
बेटे के इंतज़ार में निगाहें टक टक करती है
पर एक बिना सर की लाश आँगन में उतरती है
क्या बीती होगी माँ के दिल पर, ये सोच-सोच मैं रोया हूँ
जो सीमाओं पर बिछुड़ गए उनकी यादों में खोया हूँ
आज भी रक्षाबंधन पर बहन का हृदय जब रोता है
क्या कहती होगी माँ, जब बेटा पापा पापा कहकर रोता है
चुपके चुपके रोती होंगी आँखें, जब-जब करवा चौथ होता है
लग जाती होगी आग मन में, जब-जब सावन होता है
इस सावन की बारिशों में, मैं हरदम हरपल रोया हूँ
जो सीमाओं पर बिछुड़ गए उनकी यादों में खोया हूँ
क्या कहती होगी माँ, जब बेटा पापा पापा कहकर रोता है
चुपके चुपके रोती होंगी आँखें, जब-जब करवा चौथ होता है
लग जाती होगी आग मन में, जब-जब सावन होता है
इस सावन की बारिशों में, मैं हरदम हरपल रोया हूँ
जो सीमाओं पर बिछुड़ गए उनकी यादों में खोया हूँ
जो सीमाओ पर लड़ते रहे, केवल तिरंगे के लिए
ख़ून की नदियाँ बहाते रहे, केवल तिरंगे के लिए
जिनके प्राणों की आहुति भारत माँ पर बलिहारी है
उनके शौर्य के तेज से सूरज की किरणें भी हारी हैं
उन बेटों का बलिदान हर भारतवासी पर क़र्ज़ होगा
उन वीरों का नाम तो स्वर्ण अक्षर में दर्ज होगा
आज शहीदों की आत्माएँ पुकार रही है हिन्दुस्तान को
नौजवान तैयार हो जाये देश पर बलिदान को
उन शहीदों की चिताओं को मैं कन्धा देते देते रोया हूँ
जो सीमाओं पर बिछुड़ गए उनकी यादों में खोया हूँ.
ख़ून की नदियाँ बहाते रहे, केवल तिरंगे के लिए
जिनके प्राणों की आहुति भारत माँ पर बलिहारी है
उनके शौर्य के तेज से सूरज की किरणें भी हारी हैं
उन बेटों का बलिदान हर भारतवासी पर क़र्ज़ होगा
उन वीरों का नाम तो स्वर्ण अक्षर में दर्ज होगा
आज शहीदों की आत्माएँ पुकार रही है हिन्दुस्तान को
नौजवान तैयार हो जाये देश पर बलिदान को
उन शहीदों की चिताओं को मैं कन्धा देते देते रोया हूँ
जो सीमाओं पर बिछुड़ गए उनकी यादों में खोया हूँ.
- विभोर गुप्ता
vibhor14jul@gmail.com
12 टिप्पणियाँ:
आज शहीदों की आत्माएँ पुकार रही है हिन्दुस्तान को
नौजवान तैयार हो जाये देश पर बलिदान को
उन शहीदों की चिताओं को मैं कन्धा देते देते रोया हूँ
जो सीमाओं पर बिछुड़ गए उनकी यादों में खोया-
bahut man ko chhoo lene vali prerak kavita .aabhar
राष्ट्र प्रेम की भावना से ओत-प्रोत मर्मश्पर्सी कविता .........
कोटि-कोटि नमन है शहीदों को ..
राष्ट्र प्रेम की भावना से ओत-प्रोत मर्मश्पर्सी कविता
bahut sundar deshbhakti se ot-prot kavita.
मर्मश्पर्सी कविता
sundar post
shikha ji, surendar ji, harish ji, shalini ji, kirti ji, neha ji....
aap sabhi ka bhut bhut aabhar..
aasha hai aage bhi mera haunsla badhate rahe..
dhanywad
aapka
vibhor gupta
राष्ट्र प्रेम की भावना से ओत-प्रोत मर्मश्पर्सी कविता
आज भी रक्षाबंधन पर बहन का हृदय जब रोता है
क्या कहती होगी माँ, जब बेटा पापा पापा कहकर रोता है
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राष्ट्र प्रेम की भावना से ओत-प्रोत मर्मश्पर्सी कविता
जिनके प्राणों की आहुति भारत माँ पर बलिहारी है
उनके शौर्य के तेज से सूरज की किरणें भी हारी हैं
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bahut sundar rachna.
shri gangadhar ji, poonam singh ji, rubi sinha ji..
aapka bhut bhut aabhar vyakt karta hoon..
aatma ko chu kr man me deshprem v desh ke liy mar mitne ka bhav utpan krne vali kavita
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