गुरुवार, 8 मार्च 2012

मनु सृजन!!!: होली है ! होली है !

लोग झुण्ड में चिल्लाते जा रहे थे - होली है ! होली है !

भईया जी छत की मुंडेर से झांकते हुए बोले - हाँ है ! हाँ हैं !
झुण्ड में से किसी ने रंग का गुब्बारा मारा - बुरा न मनो, बुरा न मानो,
भईया जी की वाइफ खिड़की का परदा सरकते हुए बोली - अईसे कईसे मान लेंगे ! अईसे कईसे मान लेंगे ! 

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