मंगल यादव, दिल्ली
2-जी स्पेक्ट्रम, आदर्श सोसाइटी और खेल घोटाले के बाद के अब यूपी में 10 हजार करोड़ रुपये का राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाला एक बार फिर रोंगटे खडा कर दिया है। देश में हो रहे घोटाला दर घोटाला ने साबित कर दिया है कि सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो जनता का पैसा राजनेता और सीनियर अधिकारी मिलकर लूटेगे ही।
उत्तर प्रदेश में मामले की जांच कर रहे कैग के रिपोर्ट में सामने आया है कि वर्ष 2005-11 के बीच 8,657 करोड़ रुपये केंद्र की तरफ से जारी हुए। इसमें से 5,700 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई है। वर्ष 2009-11 तक स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाने मे 944 करोड़ रुपए खर्च किए गए। जिनके निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल किया गया। राजनेता और अधिकारी मनमाने ढंग से मनपसंद ठेकेदारों को ठेके दिये। ठेकेदारो ने दावा किया कि अस्पतालों को भूकंप रोधी बनाया गया है। लेकिन कैग की रिपोर्ट में पाया गया कि 6 महीने में ही अस्पतालों की छत दरक गई। और कुछ अस्पतालों की फर्श भी चटक गई। कैग ने निरीक्षण में पाया गया कि 5 जिलों में स्वास्थ्य उपकेंद्र के निर्माण में सीमेंट, सरिया और गिट्टी का इस्तेमाल ढाई से 112 गुना ज्यादा किया गया। रिपोर्ट के अनुसार कई स्वास्थ्य केंद्र तो अभी भी अघूरे पडे हुए हैं। जिसमे कुछ लोग अपने व्यक्तिगत कार्य में प्रयोग कर रहे हैं।
कैग ने जांच में पाया कि चार छह गुना दवाएं और अन्य सामान महंगे खरीदे गए। कई उपकरणों की खरीद का भुगतान आज भी नहीं हो पाया है। रिपोर्ट से पता चला है कि मरीजों के जांच हेतु बीपी उपकरण 2500 रुपए में खरीदा गया जबकि उपकरण का वास्तविक कीमत लगभग 550 रुपए है। इसी तरह टेलीविजन को 22 हजार रुपए में खरीदा गया जबकि इसकी कीमत 10 हजार रुपए तक है।
कैग की रिपोर्ट में सामने आया कि मुरादाबाद जिले के दिलारी ब्लॉक के कुमारिया जुबला स्वास्थ्य उपकेंद्र में भूसा और पुआल रखा हुआ पाया गया। जबकि बरेली के भोजीपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भरी हुई बोरियां मिली। एटा जिले के अलीगंज ब्लॉक के फरसौली स्वास्थ्य उपकेंद्र में कुछ लोग आलू रखे हुए हैं।
अब बात जब आगे बढ़ चुकी है तो सीबीआई एचआरएचएम घोटाले की जांच में जुट गई है। इसी सिलसिले मे सीबीआई ने दिल्ली समेत यूपी के कई जिलों में एक साथ छापे मारे। और पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा समेत कुछ अधिकारियों और ठेकेदारों से पूछताछ भी की है। इसी मामले को लेकर अनंत मिश्र और बाबू सिंह कुशवाहा की माया सरकार से छुट्टी हो चुकी है। सीबीआई ने एचआरएचएम घोटाले में अब तक आठ मामले दर्ज किए हैं।
सीबीआई जांच से आहत के आरोपी सुनील वर्मा ने 23 जनवरी को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। जल निगम के सीएंडडीएस में प्रोजेक्ट मैनेजर सुनील पर 13.4 करोड़ की लागत से 134 अस्पतालों के अपग्रेडेशन में 5.46 करोड़ गड़बड़ी करने का आरोप था। इस मामले में अब तक चार आरोपियों की मौत हो चुकी है। अक्टूबर 2010 में सीएमओ डॉ. विनोद आर्य और अप्रैल 2011 में सीएमओ बीपी सिंह की हत्या हो चुकी है। जबकि डिप्टी सीएमओ डॉ. वाईएस सचान की संदिग्ध हालत में जेल में मौत हो चुकी है।
अब देखना दिलचस्प होगा एनआरएचएम घोटाले में सीबीआई जांच में क्या नया मोड़ आता है। जनता के 10 हजार करोड़ के घोटालेबाज कब सलाखों के पीछे जायेंगे और कब इन लूटेरों को सजा मिलेगी। जीवन रक्षक हेतु अस्पताल बनाने में घोटालेबाजों को जनता कभी माफ नहीं करेगी। जनता लूटती गई और जनसेवक राजनेता और अधिकारी जनता को लूटते गए। जांच के नाम पर समय खिचता जा रहा और चुनावों में जनता जाति धर्म के नाम पर वोट देकर खुद को लूटने का मौका देती जायेगी।
गुरुवार, 26 जनवरी 2012
एनआरएचएम घोटाला अभी और लेगा बलि !
1/26/2012 02:04:00 am
mangal yadav
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