भूतो का सरदार ड्रैकुला सरकारी अस्पताल में एक गंदे से बेड पे रुग्ण अवस्था में पड़ा था . खून की कमी के कारण उसका चेहरा पीला पड़ा था. ये वही ड्रैकुला है, जिसका चेहरा एक दम लाल हुआ करता था , लोगो का खून पि पि के.
अस्पताल में वो अपनी घड़ियाँ गिन रहा था. उसके सारे संगी साथी उसका साथ छोड़ के चले गए थे. अब एक पिलपिले ड्रैकुला के भला कोई डरता है है क्या ? अब इस महंगाई के ज़माने में उसके रिश्तेदारों को अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा था, वो भला ड्रैकुला के लिए ताज़ा खून कहा से इन्तेजाम करते. कमजोरी के वजह से ड्रैकुला चिडचिडा हो गया था. उसके साथी उसके पीठ पिच्छे उसे ड्रैकुला के वजाए, क्रेकुला कहा करते थे.
सरकारी अस्पताल में उसकी देख रेख करने करने वाला कोई भी नहीं था, प्राइवेट में वो इलाज करा नहीं सकता था. उसके रिश्तेदारों ने उसे सम्पति से बेदखल कर दिया था. अब वो महंगा इलाज तो करा नहीं सकता था. वो अपने जीवन की अंतिम घड़ियाँ गिन रहा था. उसके प्राण पखेरू कभी भी उड़ सकते थे. पर वे थे की उड़ ही नहीं रहे थे.
पर कहते हैं न, जाको राखे साइयां मार सके न कोय. उस अस्पताल में एक बहुत ही दयालु डॉक्टर विजित पे आई. उसे ड्रैकुला की दयनीय स्थिति नहीं देखी गयी. वो उसके पास उसका जाने लगी की, एक नर्स बोली उसके पास मत जाइये . बहुत ही कमीना मरीज़ है वो, अकेले में नर्सो के गले में दांते गढ़ा देता है. इस अस्पताल की कोई नर्स उसके नजदीक नहीं जाती.
"तो एक मरीज़ को ऐसे मरने के लिए छोड़ दोगे तुम लोग? लेडिस के बदले जेंट्स नर्स भेजो उसके पास." डॉक्टर गुस्साई.
"भेजा था . उसको भी दांत काट लिया. पता नहीं कैसा टेस्ट है इसका. औरत मर्द का कोई फर्क ही नहीं है इसके लिए." नर्स बोली. डॉक्टर , नर्स की बातो पे ध्यान दिये बगैर ड्रैकुला के बेड की तरफ बढ चुकी थी.
उसके पास पहुँच के डॉक्टर वाली मुस्कान , जिसे देख के ही मरीज़ को लगता है की अब मेरी बीमारी ठीक हो जाएगी, के साथ बोली - "हल्लो ! मैं इस अस्पताल की नयी डॉक्टर हूँ. आप अब बिलकुल मत घबडाइये. अब आपके इलाज में कोई कमी नहीं होगी"
ड्रैकुला मन ही मन हंसा " सरकारी अस्पताल में, प्राइवेट अस्पताल वाली डाईलॉक मार रही है".
डॉक्टर ने पूछा - "आपका नाम क्या है? "
ड्रैकुला ने सोचा , सीधे सीधे अपना नाम बता दिया तो, ये भी डर के चली जाएगी . मेरा फिर इलाज नहीं हो पायेगा. उसने अपने नेचर के विपरीत , पुरे पेशेंस के साथ डॉक्टर को समझाया की वो ड्रैकुला है. ड्रैकुला का नाम सुन के डॉक्टर ज़रा सी भी नहीं डरी तो, ड्रैकुला को ताज्जुब हुआ .
उसने कारण पूछा तो डॉक्टर बोली - "हम डॉक्टर, को किसी से डरने की क्या जरुरत है. हमारा काम है लोगो की सेवा करना. उसकी जान बचाना. अब वो चाहे इन्सान हो या हैवान . और फिर मैं भारतीय हूँ, और आप हमारे मेहमान हुए. "
"आपकी बात सुन के दिल को थोड़ी तसल्ली मिली" - ड्रैकुला बोला - "वैसे मैं जानता हूँ , की आप भारतीय लोग अपने देश में आये किसी की भी बहुत इज्ज़त करते हो, उसकी सेवा सुश्रुवा करते हो. चाहे वो इन्सान हो या हैवान. मैंने कसाब के बारे में बहुत पढ़ा है."
कसाब को मेहमान जैसी इज्ज़त देने की बात सुन के एक आम भारतीय की तरह डॉक्टर झेंप गयी. वो बात को बदलते हुए पूछी - "वो सब छोडिये. ये बताइए, आप भारत कैसे आये? और आपकी ये हालत कैसे हो गयी?"
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क्रमशः .............
9/20/2011 04:34:00 am
Manoranjan Manu Shrivastav



2 टिप्पणियाँ:
आतंकवाद के विरुद्ध सरकार की नीतियों पर सटीक व्यंग्य .......सार्थक आलेख
सरकारी अस्पताल में तो आजकल एक ही चर्चित नाम भर्ती है। आगे जानेंगे कि कौन है ड्रेकुला।
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