बुधवार, 3 अगस्त 2011

हम तो यूँ जिया करते हैं


हम तो यूँ  जिया करते हैं
लहरों मे बहा करते हैं
कस्तियाँ भी घबरा जाये
हम इस तरह सेलाबो में
साहिल से मिला करते हैं
हम तो यूँ जिया करते हैं |
हरपाल खुश रहकर
आकाश कि सोच रख
ऊचाई छुआ करते है
हम तो यूँ जिया करते है |
कदम अपने सम्भाल
रास्तो पे चला करते हैं
मंजिलो को पाने की हम
कोशिशे किया करते हैं
हम तो यूँ जिया करते हैं |
खुद को रुला अपनी हंसी
दुनिया को दे ख़ुशी से
अब मस्त रहा करते हैं
हम तो यूँ जिया करते हैं |
नदी से निकल सागर की
गहराई से मिला करते हैं
अब हम वक़्त के साथ
उम्मीद लिए चला करते हैं
हम तो यूँ  जिया  करते हैं |
-दीप्ति शर्मा 

2 टिप्पणियाँ:

ana ने कहा…

bahut achchhi prastuti ......abhar

saurabh dubey ने कहा…

acchi rachna

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