खामोश आँखे तेरी,कहती हैं कितना कुछ,जब तलक उसकी भाषा,समझ ना आये.वे,खामोश सी लगती हैं,और जब,आती है समझ,भाषा तेरे आँखों की,बस, उसी पल,दिल चाक चाक सा हो जाता है .
बुधवार, 27 जुलाई 2011
मनु सृजन!!!: दिल चाक चाक सा हो जाता है .
7/27/2011 10:24:00 pm
Manoranjan Manu Shrivastav
3 comments
3 टिप्पणियाँ:
बहुत khoob .aapki कविता पढ़कर दिल चाक चाक हो गया .बधाई सुन्दर लेखन हेतु
sundar bhavpoorn prastuti.
सच में दिल चाक-चाक हो गया...
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