रविवार, 1 मई 2011

श्रधांजलि ..नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः । न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।

आज रविवार का दिन हैं..कल ब्लोगेर मीट से थोडा देर से आया..सुबह देर से नींद खुली तो मोबाइल में एक सन्देश देख कर स्तब्ध रह गया..
"हरीश जी के भतीजे श्री उपेंदर जी नहीं रहे"..मैंने बात तो नहीं की हरीश भाई से क्यूकी परिस्थितिया नहीं होंगी ऐसी इस समय ..
बस इतना ही कहूँगा इश्वर उपेन्द्र जी आत्मा को शांति दे और दुखी परिवर को इस परिस्थिति से बाहर आने की शक्ति..

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।


इस आत्माको शस्त्र काट नहीं सकते,आग जला नहीं सकती,
जल गला नहीं सकता और वायु सूखा नहीं सकता ...

श्रधांजलि

5 टिप्पणियाँ:

Swarajya karun ने कहा…

ह्रदय विदारक समाचार . दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि और शोक-संतप्त परिवार के प्रति संवेदना सहित ईश्वर से प्रार्थना है कि वे दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें और परिवार को यह अपार दुःख सहने की शक्ति दें .

मदन शर्मा ने कहा…

इश्वर उपेन्द्र जी आत्मा को शांति दे और दुखी परिवर को इस परिस्थिति से बाहर आने की शक्ति..

Archana Chaoji ने कहा…

विनम्र श्रद्धांजली...

Arunesh c dave ने कहा…

मनुष्य का जीवन तो नश्वर ही है लेकिन जब बड़ों से पहले छोटे स्वर्गारूढ़ हो जाते हैं तो ह्रुदय छलनी हो जाता है इश्वर हरीश जी एवं परिवार जनो कॊ दुख सहने की शक्ति दे ।

हल्ला बोल ने कहा…

हर जीव इस पृथ्वीलोक पर ईश्वर द्वारा सौंपे गए कार्यों को पूर्ण करने आता है, जब वे कार्य समाप्त हो जाते हैं तो उन्हें वापस बुलाकर ईश्वर दूसरे कार्य सौंप देता है. इसी को मौत कहते है. यह मृत्युलोक है, जो आया है उसे जाना ही होगा, परन्तु समय से पूर्व प्रस्थान दुःख देता है. .. ॐ शांति.

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