बुधवार, 27 जुलाई 2011

मनु सृजन!!!: दिल चाक चाक सा हो जाता है .

खामोश आँखे तेरी,
कहती हैं कितना कुछ,
जब तलक उसकी भाषा,
समझ ना आये.
वे,
खामोश सी लगती हैं,
और जब,
आती है समझ,
भाषा तेरे आँखों की,
बस, उसी पल,
दिल चाक चाक सा हो जाता है .

3 टिप्पणियाँ:

Shikha Kaushik ने कहा…

बहुत khoob .aapki कविता पढ़कर दिल चाक चाक हो गया .बधाई सुन्दर लेखन हेतु

Shalini kaushik ने कहा…

sundar bhavpoorn prastuti.

विभूति" ने कहा…

सच में दिल चाक-चाक हो गया...

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