------ प्रेम के विभिन्न भाव होते हैं , प्रेम को किसी एक तुला द्वारा नहीं तौला जा सकता , किसी एक नियम द्वारा नियमित नहीं किया जासकता ; वह एक विहंगम भाव है | प्रस्तुत है- पंचम -सुमनान्जलि..समष्टि-प्रेम ....जिसमें देश व राष्ट्र -प्रेम , विश्व-वन्धुत्व व मानव-प्रेम निहित ...७ गीत व कवितायें ...... देव दानव मानव, मानव धर्म, विश्व बंधुत्व , गीत लिखो देश के, बंदेमातरम , उठा तिरंगा हाथों में व ऐ कलम अब छेड़ दो.... प्रस्तुत की जायेंगीं | प्रस्तुत है ......प्रथम कविता ...
....देव मानव दानव ....
मूर्ति देव है जन जीवन का,
मनीषियों का देव ह्रदय है,
समदर्शी हित सभी देव हैं ||
देव वही जो सबको देते,
देव वही जो सब कुछ देते |
जो सबको बस देता जाए,
वह जग में देवता कहाए |
सूरज जो गर्मी देता है,
और उजाला देता रहता |
चन्दा भी शीतलता देता,
बादल वर्षा करता रहता ||
सागर से मिलते हैं मोती,
नदिया जल देती रहती है |
धरती जाने क्या क्या देती,
सब कुछ वह देती रहती है ||
बृक्ष भला कब फल खाते हैं,
पुष्प कहाँ निज खुशबू लेते |
कांटे भी तो देते ही हैं ,
दुःख के साथ सीख देदेते ||
शास्त्र तभी तो यह कहता है,
देव-तत्व सबमें रहता है |
जग में जो कुछ भी बसता है,
कुछ न कुछ देता रहता है ||
सारी दुनिया देती रहती ,
मानव लेता ही रहता है |
यदि लेकर के हो कृतज्ञ, फिर-
प्रभु इच्छाएं भर देता है ||
जो कृतज्ञ होकर लेता है,
सिर्फ जरूरत भर लेता है |
निज सुख खातिर कष्ट नहीं,
जो , देने वाले को देता है ||
'जग हरियाली युक्त बनाएं-
और प्रदूषण मुक्त बनाएं |'-
जो यह सब भी चिंता करते,
उऋण रहें देवों के ऋण से ||
जो प्रसन्न देवों को रखते,
उनको ही कहते हैं मानव |
अति-सुख अभिलाषा के कारण,
उन्हें सताएं , वे हैं दानव ||
लालच और लोभ के कारण ,
प्रकृति का दोहन जो करते |
वे जो अति भोगी मानव हैं,
कष्ट सभी देवों को देते ||
करें प्रदूषण युक्त धरा को,
अज्ञानी लोभी जो मानव |
मानव पद से वे गिर जाते,
वे सब कहलाते हैं दानव ||
6 टिप्पणियाँ:
'जग हरियाली युक्त बनाएं-
और प्रदूषण मुक्त बनाएं |'-
जो यह सब भी चिंता करते,
उऋण रहें देवों के ऋण से ||
कविता के भाव और में इतना खो गया था कि अपनी टिपण्णी लिखे बिना ही पोस्ट कर दिया.जैसे कि किसी ने पत्र रखे बिना ही लिफाफा पोस्ट कर दिया हो.पर्यावरण पर इतनी सुन्दर काविता पहले कभी नहीं पढ़ी.गजब कि रचना धर्मिता है.गजब का शब्दों पर अधिकार है.मन झूम उठा.
सुन्दर काविता
धन्यवाद अरुण जी....
धन्यवाद हरीश जी....
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