मंगलवार, 7 जून 2011

घूंघट में सन्यासी : भारत के इतिहास में पहली बार, बाबा रामदेव जी का अनोखा 'योग'-दान

Dr . Anwer Jamal With a delegation at Brahmakumari mission

इसमें कोई शक नहीं है कि मंदिरों और मज़ारों पर चढ़ावे में जो धन संपत्ति दान दी जाती है उसे वहाँ के ज़्यादातर व्यवस्थापक लोकसेवा में लगाने के बजाय अपनी ऐशो इशरत में ख़र्च करते हैं और यह सरासर धार्मिक भ्रष्टाचार है । इसे दूर करना भी उतना ही ज़रूरी है जितना कि विदेशों में जमा काले धन का राष्ट्रीयकरण करना।
...और यह काम बाबा रामदेव जी  के बस का है नहीं !

नकारा सरकार ने सोते हुवे निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज कर के जो बर्बर कार्यवाही की उसकी जितनी  निंदा की जाया कम ही है | आधी रात को दिल्ली पुलिस बल ने आक्रमण किया और सत्याग्रहियों को मैदान से बाहर निकाल फेंका ! कितने घायल हुए , कुछ गायब , बाबा रामदेव को सलवार - समीज में छुप कर भागना पडा ! वाह रे सरकार ! ये कैसी नकारा सरकार है  ?

28 टिप्पणियाँ:

गंगाधर ने कहा…

kutte ki dum kabhi sidhi nahi ho sakti.

गंगाधर ने कहा…

एक मुसलमान की सोच इससे अधिक कुछ नहीं हो सकती आप जैसे लोंगो से हम हिन्दुस्तानी कुछ और अपेक्षा नहीं कर सकते. क्योंकि आप अभी तक हिंदुस्तान में रहकर पाकिस्तानी चोला से बाहर निकल ही नहीं पाए . एक हिन्दू सन्यासी की सोच को आप स्वीकार ही नहीं सकते. हमारी नपुंसक सरकार का दोष है , आपका दोष नहीं है, जब हमारी सरकार ही आप लोंगो के तलवे चाटती है तो आप बोलेंगे कैसे नहीं. आपको शर्म तो आई नहीं होगी क्योंकि जिन सैकड़ो लोंगो पर लाठियां बरसाई गयी, वे महिलाये मुसलमान नहीं हिन्दू थी. दूर दूर से आये हजारो लोंगो के साथ जो क्रूरता दिखाई गयी, वह आप जैसे मुसलमानों को खुश करने के लिए ही तो हुआ. आप जैसे लोंगो का जो समर्थन करते है. मैं उनसे अपील करूँगा की वे अपनी बहन-बेटियों की शादी मुसलमानों में कर दे क्योंकि आपकी सोच कामयाब हुयी तो सबसे पहले उन्ही की बहन बेटियां आपका शिकार बनेंगी. आप जैसे राष्ट्रद्रोहियों से हम और क्या अपेक्षा करेंगे.

rubi sinha ने कहा…

भारत माँ को गाली देने वाले, वन्दे मातरम का विरोध करने वाले, कश्मीर में तिरंगा जलाने वाले, हिन्दू देवी देवताओ की खिल्ली उड़ने वाले आप जैसे लोंगो से यही उम्मीद है.

आशुतोष की कलम ने कहा…

इतिहास गवाह है..मर कर क्रांति सफल नहीं होती...कई क्रन्तिकारी भी पहले चुप कर भाग चुके हैं और जरुरत पड़ने पर सर में गोलिया भी उतारी हैं कुत्तों के और उनके तलवे चाटने वालों के..समय आया तो अंग्रेजी हिजड़ों के हाथ नहीं पड़ने की बजाय अपने कांपती में गोली भी मारने से नहीं डरे चंद्रशेखर आजाद...
आप लादेन के लिए नमाज पढने वालों का समर्थन करें..बाबा के लिए कम से कम ८० करोण हैं..मैंने सेकुलर दलाल कुत्तों को निकाल कर गणना की..
अनवर जमाल आप के पास यदि ज्ञान है उसका सदुपयोग करें ज्ञान के भौडे प्रदर्शन से बचें..
बाबा ने कम से कम किसी की हत्या नहीं की क्रांति जीवित रखने के लिए अपनी जान बचायी...हाँ शायद कश्मीर वाले सही हैं आप की नजर में...
आप जैसे कुछ लोगो की हर भगवा पहनने वाले को निचा दिखने की प्रवृत्ति ही एक खास संप्रदाय को गर्त में ले जाने का कारन है..पढ़े लिखे हैं आंकड़ों से गड़ना खुद कर लें...

देश अगर हो गया खड़ा तो त्राहि त्राहि हो जाएगी
१० जनपथ के हर कोने में महाप्रलय आ जाएगी..
कुत्तों की भी भोकने की आदत मुह में ही बिंध जाएगी..
रामदेव की आंधी से ये इटली क्या टकराएगी????

shyam gupta ने कहा…

अब सब कह ही चुके जो कहना चाहिए, क्या बचा कहने को ...
---सन्यासी तो सम-दृष्टि वाला होता है उसके लिए कुछ भी अपना-पराया, अछूत नहीं ...

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

@ भाई गंगाधर जी ! आपको हमसे कोई भी ग़लत आशा है ही क्यों ?
बाबा अपने लोगों को शाँत रखते और गिरफ़्तारी दे देते । थोड़ी देर बाद प्रशासन उन्हें रिहा कर देता लेकिन बाबा अपनी ज़िम्मेदारी को ठीक तरह अदा नहीं कर पाए और महिलाएं आदि पिट गईं ।
यह घटना निंदनीय और शोकनीय है लेकिन सुषमा स्वराज कल दिल्ली में सरे आम स्टेज पर ठुमके लगा रही हैं ।
ऐसे लोगों से आप कभी कुछ नहीं पूछते । आपकी शर्म , ग़ैरत और अक़्ल को आख़िर हो क्या गया ?
जो ख़ुदग़र्ज़ बाबा और बाबावादियों पर ज़ुल्म होने के बाद भी नाच सकते हैं । वे और उनके अनुयायी सच्चाई और ईमान को समझ ही कैसे सकते हैं

@ Rubi ji ! आपका स्वागत हैं । आप भी यदा कदा आते रहा कीजिए ।
धन्यवाद !

आप अपनी ज़हनियत के मुताबिक़ बातें कीजिए । आपकी बातों का बुरा हम मानेंगे नहीं क्योंकि हम किसी को पराया और दुश्मन मानते ही नहीं । हम सभी एक पिता मनु की संतान जो हैं ।

मालिक आपको भी प्यार करने वाला दिल दे ।

shyam gupta ने कहा…

एक ही पिता की दो संतानें --कुछ बिगड़ी और कुछ लायक भी होती हैं... ..राम और श्याम नहीं देखी...

गंगाधर ने कहा…

अनवर साहब क्या आपको लगता है की आधी रात को पुलिस वहा बाबा का स्वागत करने गयी थी. जो काम रात को हुआ वह दिन को भी तो हो सकता था. आपको हिन्दू साधू संतो की कमियां दिखाई देती है. जो लोग देश के कोने-कोने से आये थे उन्हें रात को भगा देना कहा तक उचित था. सरकार चाहती तो उन्हें रात को नहीं दिन को भी हटा सकती थी. यह सरकार का दमन चक्र था, पता नहीं कितने लोग गायब हो गए होंगे, रात को किसने कहा शरण ली होगी क्या सरकार ने यह सोचा. आप कहा सोचेंगे क्योंकि उनमे मुसलमान नहीं थे न, बाबा जो मांग कर रहे हैं वह अपने लिए नहीं देश के लिए कर रहे हैं. पर आपको इस देश से लगाव तो है नहीं. इतनी घटिया सोच किसी देश प्रेमी की नहीं हो सकती, और रही सुषमा स्वराज के ठुमके लगाने की बात तो वह देश भक्ति के गाने पर लोग झूम रहे थे, आप जैसे लोग उसे ठुमका लगाना ही कहेंगे. यह तो नहीं सुना होगा की गाना कौन सा बाज़ रहा था. यह देश है वीर जवानों का अलबेलो का मस्तानो का. इस पर तो प्रत्येक हिन्दुस्तानी को झूमना चाहिए. देश के नाम पर बलिदानियों ने झूमते हुए ही प्राणों की आहुति दे दी थी. अशफाकुल्लाह खान बनिए, वीर अब्दुल हमीद बनिए जनाब. लादेन और बाबर नहीं. जरा सोचिये जिस पाकिस्तान के नाम पर आप के भाई बंधू डांस करते हैं वहा पर आप आज भी मुजाहिर हैं.

kirti hegde ने कहा…

क्या बात है अनवर भाई आपने एक बार फिर अपना घटियापन दिखा ही दिया. मैं उस काली रात को जाग रही थी और समाचार देख रही थी. जब पुलिस वहा पहुंची तो भयावह दृश्य था. जिस तरह लोंगो के साथ व्यव्हार किया गया वह अंग्रेजो की याद दिला रहा था. महिलाओ और वृद्धो को भी नहीं बख्शा पुलिस ने. रात को हमला बोलने का क्या मकसद हो सकता है, हो सकता है वे लोग बाबा को मार ही डालते. अपनी जान बचाने के लिए बाबा को जो उचित लगा उन्होंने किया. जरा सोचिये आप सो रहे हो और आपके घर पर hamla हो jay तो आप क्या karenge. कहेंगे aao bhaiya hame मार dalo क्योंकि ham bahadur है,. had है kaminepan की.

नीरज द्विवेदी ने कहा…

कीर्ति जी ... हमारे भाव अपने शब्दों में ब्यक्त करने के लिए धन्यवाद

भारतीय ब्लॉग लेखक मंच ने कहा…

हम सभी एक स्वतंत्र देश के नागरिक हैं, सभी को अपनी बात कहने का हक़ है, विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता सभी को है. अनवर भाई ने एक लेख लिखा , यह उनके अपने विचार हैं. इसे किसी धर्म और जाति से जोड़ना उचित नहीं है. आवश्यक नहीं है की सभी के विचार आपस में मिलते हो. यदि किसी को आपत्ति हो तो अपने विचार सभ्य भाषा में व्यक्त कर सकते हैं . आप सभी मेरे लिए सम्माननीय हैं. यह मंच आप सभी का है. यह मै कोई आदेश या निर्देश पारित नहीं कर रहा हूँ, बल्कि आप सभी से मैं निवेदन कर रहा हूँ की आपस में प्रेम बनाये रखे. विवाद हमेशा दूरियां पैदा करता है. आप सभी अपनी भावनाएं व्यक्त करे पर भाषा सभी होनी चाहिए. उम्मीद है आप सभी मंच की गरिमा बनाये रखेंगे.

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

@ कीर्ति भाई ! पूरी पोस्ट में मैंने कुछ भी आपत्तिजनक या असत्य नहीं लिखा बल्कि मदन शर्मा जी के शब्दों में इस घटना की निंदा भी की जिसकी वजह से भारत में किसी सन्यासी को पहली बार औरतों के कपड़े पहनने और अपना मुँह घूंघट में छिपाने के लिए मजबूर होना पड़ा ।
जब बाबा को ज़रूरत पड़ी तो कोई वीर जवान उनकी ढाल न बना और अब गाना 'यह देश है वीर जवानों का' बजाकर नाच रहे हैं ।
ताज्जुब है !
आपने सही कहा कि कमीनेपन की और बुज़दिली की हद कर दी है ख़ुदग़र्ज़ों ने ।

आशुतोष की कलम ने कहा…

@BBLM/harish singh
aap kis sabhyta ki baat karte hain...
ab kahan hain aap ke yogendra jo MULLA shabd likhne ke karan is had tak vivad khada kiye ki mujhe ye manch chhorna pada...


aap sabhi hindu virodhi mansikta sae grasit ho aur aaise logon ko Blog ki TRP badhane ke liye biryani paros rahe ho.....

kaha tha BBLM ka comment us samay jab yogendra se vivad chal raha tha,,,kya namaj padhne gaya tha????

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

बदतमीज़ी किसी मसले का हल नहीं है।
@ आदरणीय गंगाधर भाई साहब ! जब घोड़े को दाग़ा जाता है तो वह बिलबिलाकर हिनहिनाता ही है। सच सुनकर भी ऐसे ही लगता है जैसे किसी ने पिघला हुआ सीसा कानों में उंडेल दिया हो।
आपकी पीड़ा को हम समझ सकते हैं।
अब देखिए हमारी शराफ़त हम यहां घोड़े की जगह गधे की मिसाल भी दे सकते थे लेकिन नहीं क्योंकि हमें अपनी बात कहनी है किसी को ज़लील नहीं करना है।
गुफ़्तगू का सलीक़ा आप हमसे सीखिए जनाब।
बदतमीज़ी किसी मसले का हल नहीं है।
पाकिस्तान के बारे में आप मेरी यह पोस्ट पढ़िए और उसके बाद सोचिए कि आप ख़ामख्वाह पाकिस्तान का नाम लेकर हमारा पारा हाई क्यों करना चाहते हैं ?
हम अपने क्रोध पर संयम रखते हैं। हम किसी के भड़काए से नहीं भड़कते। हम तभी भड़कते हैं जबकि हम भड़कना चाहते हैं। ब्लॉगिंग के शुरूआती दिनों में हमें यह बात हासिल नहीं थी लेकिन बाद में हमने संयम का गुण अपने अंदर विकसित कर लिया। आप भी कर लीजिए।
आपकी स्वस्थ आलोचना का हम स्वागत करते हैं।
इस रचना में कोई ग़लत या झूठ बात लिखी हो तो आप उसे चिन्हित करें। हम क्षमा याचना सहित उसे तुरंत वापस ले लेंगे।

Pakistan is a failed state पाकिस्तान नफ़रत में अंधा हो गया है। उसने 4 बार इन्डिया पर अटैक किया और चारों बार हारा। कश्मीर के मसले को भी मुसलमानों ने ही बिगाड़ा है।

poonam singh ने कहा…

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय, तोड़े से फिर न जुटे, जुटे गांठ पद जाय.

तेजवानी गिरधर ने कहा…

हजारों सत्याग्रहियों को पिटता देख दो घंटे तक औरतों के कपडे में दुबक कर बैठना और भाग जाना भी शर्मनाक है

shyam gupta ने कहा…

----घोड़े की जगह गधा कैसे कहोगे, घोड़े ही दागे जाते हैं गधे नहीं ?...और मनुष्य अपने मतलब के लिए ये दागने वाला अनुचित कर्म करता है..क्या आप सत्याग्रहियों को दागना चाहते हैं....अनुचित उदाहरण देकर क्या सिद्ध होता है....अनुचित मानसिकता , मंतव्य , विचार ....
---वो लोग क्या रात को वहाँ मौजूद थे जो ढाल बनाते ..क्या मूर्खतापूर्ण तर्क है...इसीलिये तो रात में चोरों, डाकुओं की तरह सरकार/ पुलिस ने ये कार्यवाही की ताकि कोइ ढाल न बन सके व बावा को चुपचाप मारा जा सके...न रहे बांस न बजे भ्रष्टाचार की बांसुरी ...

shyam gupta ने कहा…

---कैसा संयम.....
--शाहरुख खान , सलमान खान, अनवर जमाल अब सलीम...सभी मुसलमां ही क्यों बाबा के विरुद्ध बोल रहे हैं ...क्या एक भी उनके पक्ष में नहीं ...क्या यह एकांगी सोच नहीं ...क्या जबाव.है..???????????

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

अनवर अपना घटियापन सिर्फ अपने ब्लॉग तक ही सीमित रखो, उसको BBLM पर मत दिखाओ|

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

@आशुतोष जी: आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मैं इस वक्त अपने घर में होने वाले एक कार्यक्रम में व्यस्त हूँ इसलिए आज ही इस लेख को पढ़ पाया हूँ| हालांकि मैंने इस लेख को कल ही अनवर के ब्लॉग पर पढ़ लिया था और वहाँ पर कमेन्ट भी किया था, पहले उसको पढ़ कर आइये| पर उसने यह लेख BBLM पर भी लिख दिया है इसकी जानकारी मुझे नहीं थी|

मेरे बारे में लिखने से पहले अनवर के ब्लॉग पर भी हो आते तो आपको शिकायत नहीं होती|


@भारतीय ब्लॉग लेखक मंच: यदि आपको इस घटिया लेख पर कोई आपत्ति नहीं है तो मुझे इस मंच से ही आपत्ति है| जब मैंने आशुतोष जी की बात का विरोध किया था तब आप कहाँ थे? तब भी तो आप यही बात कह सकते थे कि यहाँ सभी को अपने विचार व्यक्त करने का पूरा हक है|

मैंने प्रारंभ में ही स्पष्ट कर दिया था को मैं इस मंच से इसलिए जुड रहा हूँ क्यूंकि मैं इसको एक साहित्यिक मंच मानता हूँ, और इसलिए आशुतोष जी के लेखों का मैंने यहाँ पर विरोध किया था, उनके ब्लॉग पर इस मामले में कोई कमेन्ट नहीं किया था|

आपका मंच भी धीरे धीरे धर्म पर कीचड उछालने के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा है, और अफ़सोस है कि आपको इससे कोई आपत्ति नहीं है| आपका यह कमेन्ट मुझे पसंद नहीं|

यदि इस मंच पर ऐसे ही लेख आने हैं तो मैं इस मंच को छोडना चाहता हूँ, आप या तो 15/June/11 तक अनवर को इस मंच से निष्काषित करें अथवा मुझे तकनीकी सलाहकार के पद से मुक्त करें, आपके पास सात दिन हैं, यदि अनवर को इस मंच से नहीं हटाया गया तो मैं इस मंच को छोड दूँगा|

और मैं आपको 7 दिन पूर्व बता चुका हूँ, आप आसानी से किसी अन्य तकनीकी सलाहकार को 7 दिन में ढूंढ सकते हैं|

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

हम यहां बाबा रामदेव जी की केवल राजनीतिक गतिविधियों की सफलता का विश्लेषण कर रहे हैं, कृप्या यह ध्यान रहे
@ श्रीमान डा. श्याम गुप्ता जी ! सेना में गधा और घोड़ा ही नहीं बल्कि ख़च्चर तक दाग़े जाते हैं। दाग़ने से हम भी सहमत नहीं हैं। यहां बात उन लोगों की हो रही है जो कुएं के मेंढक बनकर जी रहे हैं और दूसरों को भी अपने जैसा ही बनाना चाहते हैं और चाहते हैं कि दूसरे लोग भी उनकी तरह ही अयोग्य लोगों को अपना नेता मान लिया जाए। जब सच उनके सामने रखा जाता है तो वे उसे सुनना नहीं चाहते और ऐसे दाग़े गए घोड़े की मानिंद बिदकते हैं।
यहां हमने किसी धर्म की मान्यता का न तो विरोध किया है और न ही समर्थन।
यहां हमने मात्र एक घटना को सामने रखा है जिसे सैकड़ों ब्लॉगर्स ने लिखा है।
हम यहां बाबा रामदेव जी की केवल राजनीतिक गतिविधियों की सफलता का विश्लेषण कर रहे हैं, कृप्या यह ध्यान रहे।
क्या ऐसा करना कोई जुर्म है।
अगर यहां उनके समर्थन में पोस्ट लिखी जा सकती है तो फिर उनके विरोध में क्यों नहीं ? जबकि उनका विरोध राजनीतिक, सहित्यिक और स्वयं धर्म जगत की जानी मानी हस्तियां भी कर रही हों। हमें मानसिक दिवालियेपन से मुक्त होकर तर्क के आधार पर सोचना सीखना होगा। ब्लॉगिंग का मक़सद भी यही है।
ब्लैकमेलर ब्लॉगिंग को सार्थक दिशा कभी नहीं दे सकते।
अब बात करते हैं मुददे की...
बाबा रामदेव जी ने भ्रष्टाचार के खि़लाफ़ ऐतिहासिक सत्याग्रह किया। उनकी नीयत कितनी भी नेक क्यों न हो लेकिन उनका तरीक़ा ग़लत रहा है। यह एक खुली हुई सच्चाई है। हम बिल्कुल नहीं चाहते कि किसी भी सत्याग्रही को सताया जाए लेकिन हम यह भी नहीं चाहते कि सत्याग्रही पुलिस के जवानों पर गमले आदि फेकें। पुलिस के जवान भी हमारे ही हैं और वे वही करते हैं जिसका उन्हें आदेश मिलता है। जो नेता आदेश देते हैं वे भी हमारे द्वारा ही चुने हुए होते हैं। यह एक जटिल प्रक्रिया है। इन्हीं नेताओं में से कुछ का रूपया विदेशी बैंकों में जमा है। ये लोग आसानी से यह पैसा देश में लाने वाले नहीं हैं। यह बात हमें पता है तो बाबा रामदेव जी को भी पता होनी चाहिए थी। उन्होंने यह कैसे समझ लिया था कि जैसे ही चार्टर्ड प्लेन से उतर कर मैं अनशन करूंगा, वैसे ही सरकार विदेश से काला धन वापस लाने पर आमादा हो जाएगी ?
यह बाबा का भोलापन ही था और यह इस वजह से था कि वह इस गंदी राजनीति के हथकंडों को नहीं जानते थे। बाबा ने उस क्षेत्र में क़दम रखा जिस क्षेत्र की क ख ग भी वे नहीं जानते थे और इसी वजह से उन्हें मंच से छलांग लगाकर औरतों बीच छिपना पड़ा। उन्हें लगा कि पुलिस उन्हें मारने के लिए आई है। जबकि ऐसा नहीं होता। कांग्रेस को सबसे ज़्यादा डर बीजेपी के सत्ता में आने से लगता है। बीजेपी के नेता आए दिन अनशन करते रहते हैं और कांग्रेस की भेजी हुई पुलिस उन्हें गिरफ़्तार करती रहती है और फिर छोड़ देती है। अपने शासन काल में बीजेपी ने यही कांग्रेस के साथ किया। यह एक रूटीन का काम है। आप बताइये कि कांग्रेस ने बीजेपी के और बीजेपी ने कांग्रेस के कितने नेता आज तक मारे हैं ?
एक भी नहीं !
बाबा ने सदा स्वागत सत्कार और जय जयकार ही देखा था। बड़े बड़े आई जी और डीजीपी को अपने चरण छूते ही देखा था।
पुलिस का असली रूप क्या होता है ?
इसे वह जानते ही न थे। इसीलिए उन्होंने हालात का ग़लत अंदाज़ा लगाया और फिर ग़लत ही फ़ैसला लिया और अपनी सारी प्रतिष्ठा धूल में मिला बैठे।
बाबा को जानना चाहिए कि राजनीति में कोई सांपनाथ है तो कोई नागनाथ। कम यहां कोई भी नहीं है। बाबा राजनीति को इन सांपों और नागों से मुक्त कराना चाहते हैं तो बेशक कराएं लेकिन पहले उन्हें सांप और नाग का फन कुचलने का हुनर सीखना होगा। उसके बिना वह यह काम न कर पाएंगे। हमें बाबा के मक़सद से विरोध नहीं है लेकिन उनके तरीक़े से ज़रूर असहमति है। ...

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

...अगर कल को कपिल सिब्बल बिना जाने ही लोगों को योगासन कराने लग जाएं तो वे लोगों की जान से खेलने वाले माने जाएंगे। ठीक यही बात बाबा रामदेव जी के बारे में कही जाएगी कि अपने पीछे भीड़ जुटाने मात्र से ही कोई भी आदमी नेता नहीं बन जाता जब तक कि वह अपने अंदर नेतृत्व के गुण विकसित न करे और किसी अनुभवी नेता से राजनीति और कूटनीति का व्यवहारिक ज्ञान हासिल न कर ले। ऐसा किए बिना भीड़ जुटाने वाला आदमी लोगों की जान से खेलने वाला माना जाएगा। इस तरह के काम करने से हालात सुधरने के बजाय और ज़्यादा बिगड़ जाएंगे। हमें अपने देश और समाज में सुधार लाना है न कि दुनिया को अपने ऊपर हंसने का मौक़ा देना है। 4 जून के बाद से लेकर आज तक बाबा ने जो भी किया है उससे सन्यास आश्रम की गरिमा को भी ठेस लगी है और देश की छवि भी ख़राब हुई है।
पुरी के शंकराचार्य जी ने भी बाबा रामदेव को ही इस गड़बड़ी के लिए ज़िम्मेदार माना है।
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पुरी के शंकराचार्य बोले, रामदेव हैं ‘कायर’!नई दिल्ली

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

सभी मुसलमां ही क्यों बाबा के विरुद्ध बोल रहे हैं ...क्या एक भी उनके पक्ष में नहीं ...क्या यह एकांगी सोच नहीं ...क्या जबाव.है..?
@ श्रीमान डा. श्याम गुप्ता जी ! पुरी के शंकराचार्य जी का बयान तो हमने आपको दिखा ही दिया है जिसमें उन्होंने बाबा रामदेव जी की राजनीतिक गतिविधियों का विरोध किया है। आपको शायद इसका पता नहीं था और न ही आपको यह पता है कुछ मुसलमान बाबा जी के साथ भी हैं। उन्हीं में से एक नाम है अयोध्या के मशहूर हाशिम साहब का। आप मुसलमानों पर बेवजह इल्ज़ाम न लगाएं। हो सकता है कि आपका फ़ैसला सही हो और मुसलमानों का ग़लत या फिर अब तक के हालात के आधार पर देखा जाए तो मुसलमानों का फ़ैसला भी सही हो सकता है आपका ग़लत। ऐसे में हम केवल तर्क-वितर्क के ज़रिए ही सही फ़ैसले तक पहुंच सकते हैं और अगर किसी एक विचार पर एकमत न भी हों तो हरेक आज़ाद है। आप चाहें तो आप बाबा रामदेव जी के नेतृत्व में परिवर्तन के संघर्ष करें और हमें उनके अलावा कोई और सही लगे तो हम उसे आज़मा लें। लोकतंत्र हमें यह अधिकार देता है तो इसमें इल्ज़ामबाज़ी की ज़रूरत क्या है ?
कि मुसलमान साथ क्यों नहीं दे रहे हैं।
भाई साहब ! मुसलमान आज किस पार्टी में नहीं हैं ?
किसी में कम और किसी में ज़्यादा हैं लेकिन हैं सब में। समय के साथ यदि बाबा ने अपनी क्षमता सिद्ध कर दी तो मुसलमान उनके साथ भी आ जाएंगे लेकिन बाबा अपनी योग्यता का प्रमाण तो दें।
अयोध्या। योगगुरु बाबा रामदेव पर दिल्ली में हुए पुलिसिया दु‌र्व्यवहार से बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाशिम अंसारी गहरे नाराज हैं। उन्होंने कांग्रेस की नीतियों को लोकतंत्र विरोधी बताकर अगले चुनावों में उसे मुंहतोड़ जवाब देने का ऐलान किया है। ...

आशुतोष की कलम ने कहा…

@ Harish khan : kuch dino ki gatividhiyon ko dekhkar nam sujhata hun is manch ka

Pakistani blog lekhak manch
baba virodhi blog lekhak manch
hinduvirodhi blog lekhak manch


kyuki sahi logo ko to daba diya jata hai...

बेनामी ने कहा…

vivadit lekhko ko bahar nikale manch

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

कोई मास्टर माइंड पहले लेख में कमी तो बताए
विवादित लेखक को बाहर निकालने की मांग भी बेनामी बनकर की जा रही है तो इसका मतलब साफ़ है कि पूरे लेख में कोई भी कमी है नहीं लेकिन न तो यहां कुछेक को सच हज़म हो रहा है और न ही मुसलमान की मौजूदगी। मुसलमान और वह भी सच बोलने वाला जिससे कि अपना नक़ली तिलिस्म ढह रहा है, उसे अलग-थलग डालने की असफल क़वायद है यह धमकियां और बेकार की मांग। यहां नहीं कही जाएंगी तो दूसरी जगह कह दी जाएंगी। सच्ची बात जो दूसरे हिंदू भी कह रहे हैं और ख़ूब खुलकर कह रहे हैं। शंकराचार्य और पढ़े-लिखे पंडित कह रहे हैं, उन्हें यहां क्यों नहीं कहा जा सकता ?
जब बाबा के समर्थक मुसलमानों का भरपूर समर्थन न मिलने पर मुसलमानों की देशभक्ति नाप रहे हैं और सवाल पर सवाल कर रहे हैं कि ‘कोई भी मुसलमान बाबा रामदेव जी का समर्थन क्यों नहीं कर रहा है ?‘
तो फिर बाबा रामदेव की कार्यप्रणाली का जायज़ा लेकर उसे सही या ग़लत बताना हरेक की ज़िम्मेदारी हो जाती है। यह ज़िम्मेदारी यहां कोई अदा नहीं कर रहा था। बस बाबा के समर्थन में वे उनकी राजनीतिक समझ को परखना भी पाप समझ रहे थे।
क्या किसी को भी हम बिना परखे ही मात्र आपके कहने भर से ही अपना नेता मान लें ?
आप में से कोई भी इस मंच पर बाबा को बेहतरीन नेता न कहे वर्ना हमें सच कहना पड़ेगा और बाबा के बारे में सच क्या है ?
यह जानिए आप श्री राजेश त्रिपाठी जी की क़लम से, यह मुसलमान नहीं हैं और न ही पाकिस्तान प्रेम का ठप्पा ही कोई इन पर लगा सकता है।
बौरा गये हैं बाबा रामदेव
प्रधानमंत्री को राष्ट्रधर्म सिखाने चले थे, खुद भूल बैठे राष्ट्रधर्म!
-राजेश त्रिपाठी


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अफ़सोस कि बातें राष्ट्रप्रेम की करते हैं और सारी दुनिया को एक परिवार बताते हैं बल्कि कण-कण में भगवान तक भी बताना नहीं भूलते इसके बावजूद मुसलमान से नफ़रत करते हैं और सच की तरफ़ से आंख-कान बंद करके समझ लेते हैं कि अगर हम नहीं देखेंगे तो कोई भी नहीं देखेगा। यह सब काम राष्ट्र को नुक्सान पहुंचाने वाले हैं। सच की बुनियाद पर हम सब को साझा हितों के लिए मिलकर काम करना चाहिए। धमकी और ब्लेकमेलिंग से आप कायरों को दबा सकते हैं किसी क्षत्रिय को नहीं और सच्चे को तो बिल्कुल भी नहीं।
मालिक आप पर और हम सब पर अपनी दया करे।
आमीन !

आशुतोष की कलम ने कहा…

योगेन्द्र जी, मैं १५ तारीख के इंतजार में हू

आशुतोष की कलम ने कहा…

१५ तारीख हो गयी आज..शायद २ घंटे बात बीत जाये
न तो ये पोस्ट हटी न ही..............

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