कभी
ऊपर,कभी नीचे
कभी दायें कभी बायें
कटीली झाड़ियों और
पत्थरों के बीच
चलती हुयी पग डंडियाँ
जीवन यात्रा का अनुभव
कराती
कहीं गहरी खाई
मौत का डर बताती
हवा में झूमते
देवदार के लम्बे पेड़
चहचहाते पक्षी
निरंतर
खुशी से जीने का
सन्देश देते
बिना थके चलने की
शक्ती देते
बादल पहाड़ों से
अठखेलियाँ करते
बिना हार माने
आगे बढ़ने की प्रेरणा
देते
मन करता
बिना हार माने
जीवन की पगडंडी पर
चलता रहूँ
हिम्मत से अपनी
मंजिल पर पहुँच
जाऊं
04-05-2011
808-15-05-11
7 टिप्पणियाँ:
bhut khubsurat rachna...
bhut khubsurat rachna...
Nice post.
प्यारे भाईयो ! आप ज्ञान की तलाश में हैं, एक दिन मंज़िल पर भी पहुंचेगे।
आपका स्वागत है हमारे दिल की दुनिया में हर दरवाज़े से।
Please see
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/father-manu-anwer-jamal_25.html
http://pyarimaan.blogspot.com/
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/islam-is-sanatan-by-anwer-jamal.html
आ ग़ैरियत के पर्दे इक बार फिर उठा दें
बिछड़ों को फिर मिला दें, नक्शे दूई मिटा दें
सूनी पड़ी है मुद्दत से दिल की बस्ती
आ इक नया शिवाला इस देस में बना दें
दुनिया के तीरथों से ऊंचा हो अपना तीरथ
दामाने आसमां से इसका कलस मिला दें
हर सुब्ह उठके गाएं मन्तर वो मीठे मीठे
सारे पुजारियों को ‘मै‘ पीत की पिला दें
शक्ति भी शांति भी भक्तों के गीत में है
धरती के बासियों की मुक्ति प्रीत में है
प्रकृति का सुंदर वर्णन !
अठखेलियाँ करते
बिना हार माने
आगे बढ़ने की प्रेरणा
देते
बहुत ही खूबसूरत रचना। दिल को छू गयी
बहुत ही खूबसूरत रचना। दिल को छू गयी
जीवन चलने का नाम...चलते रहो सुबहोशाम...की रास्ता कट जायेगा मितरा...रास्ता काटना है...मजिल तो तय है कि मिल ही जाएगी...
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