रविवार, 27 मार्च 2011

हे !चित्रकार-धिक्कार है


हे !चित्रकार
तुम्हे लज्जा नहीं आयी ?
जब तुमने एक स्त्री का
निर्वस्त्र चित्र बनाया ?

क्या उस समय
तुम्हें यह भी स्मरण
नहीं रहा कि
''तुम ''एक ''स्त्री ''
के गर्भ से उत्पन्न हुए हो ?

तुम्हरी तूलिका भी
तो स्त्रीलिंग है !
उसी से पूछ लेते
और कला को कलंकित
करने वाले
जरा इस पर भी
तो ध्यान देते
''कला की देवी भी
स्त्री है ''

धिक्कार है पुरुष की
इस सोच पर जो
स्त्री को निर्वस्त्र कर
अपना लक्ष्य साधता है
बस इसी तरह पुरुष
स्त्री के लिए बनाई गयी
हर सीमा को लांघता है ,

एक बात सुनो
तुमने विचारों को
लक्ष्य कर कोई कृति
क्यों नहीं बनाई,
तुम स्त्री देह में
ही उलझकर क्यों रह गए ?
तुम तो पुरुष हो न !
तुम्हारे पास तो मेधा
है ,स्त्री की तरह
तुम्हारी  अक्ल भी
घुटनों में चली गयी
थी क्या ?

तुमने वैसे कोई
नया काम तो नहीं
कर दिया जो तुमने
अपनी रचना को
प्रदर्शनी में
रख दिया ,
तुमने तो दुशासन
का ही अनुसरण किया है ,
'अरुंधती' को 'द्रौपदी '
की भांति जनता
की सभा में निर्वस्त्र
करने का प्रयास ,

फिर कहती हूँ
धिक्कार है तुम पर ,
तुम्हारी पुरुष सोच पर ;
तुम्हरी कला पर ;
तुमने ये दुष्कर्म किया
तुम्हरी माता ने
नौ माह तुम्हे
गर्भ में रखकर
व्यर्थ ही जन्म दिया !

12 टिप्पणियाँ:

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

बहुत सार्थक रचना ...

ऐसे व्यक्ति कलाकार नहीं वरन विकृत मानसिकता के शिकार हैं |

हर व्यक्ति को इन्हें ---धिक्कार कहना चाहिए

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सही व् सशक्त प्रस्तुति.

हरीश सिंह ने कहा…

विचार योग्य कविता, शिखाजी आपने अपनी पोस्ट में लेबल नहीं लगाया था. मैंने संपादन कर दिया है. स्वागत

Shalini kaushik ने कहा…

lebal ke liye aabhar.shikha ki aur se.

shyam gupta ने कहा…

सही है एसे कलाकार कला के नाम पर धब्बा होते हैं, विक्रत मानसिकता वाले...

Deepak Saini ने कहा…

aise log kalakar ke naam par dhabba hai
sarthak kavita
shubhkamnaye

kirti hegde ने कहा…

एसे कलाकार कला के नाम पर धब्बा होते हैं, विक्रत मानसिकता वाले...

नेहा भाटिया ने कहा…

sahi kaha shikha sochna hoga.

गंगाधर ने कहा…

सही कहा आपने जिस माँ के गर्भ में नौ माह रहकर इस दुनिया में साँस ली, उसी माँ रुपी नारी को बदनाम करने वाले लोग कलाकार नहीं शैतान हैं.

poonam singh ने कहा…

बहुत सही व् सशक्त प्रस्तुति.

Shikha Kaushik ने कहा…

utsah vardhan ke liye aur satya ko satya kahne ke sahas ke liye aap sabhi ka bahut bahut aabhar..

आशुतोष की कलम ने कहा…

मैं किसी पर व्यक्तिगत आरोप नहीं लगा रहा मगर कुछ कवितायेँ एम एफ हुसैन जैसे गद्दार के लिए भी समर्पित होनी चाहिए जिसने हिन्दू देवी देवताओं के नग्न चित्र बनायें है..उसके सामने तो हमारी व्योस्था मिमिया रही है की भारत आओ और भारतमाता का नंगा चित्र बनाओ...ये अरुन्धिती भी तो एक देशद्रोही ही है..मगर उसकी नगन तस्वीर नहीं बनानी चाहिए..उसको तो हुसैन के देश भेज देना चाहिए था...

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