403—73-03-11
ना सवाल पैसे का
ना सवाल शोहरत का
सवाल इंसानियत का,
सवाल आस्था का
जो रखता विश्वाश इनमें
कहाँ पैसे और
शोहरत की सोचता
निरंतर ध्यान
इश्वर में लगाता
कर्म अपना करता
इश्वर ध्यान उसका
रखता
जो चाहता उसे
मिलता
चैन से सोता,चैन से
जीता
रहता
11—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
3 टिप्पणियाँ:
सुन्दर आध्यात्मिक कविता के लिए हार्दिक बधाई।
अच्छी प्रस्तुति |बधाई
अच्छी प्रस्तुति |बधाई
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