शुक्रवार, 11 मार्च 2011

आलोक मोहन जी आपने सही कहा, बाबा संस्कृति हमारे समाज के लिए अति-घातक है!

लेखक: आलोक मोहन

आप ने अपने ब्लॉग पर सही लिखा है जिसका समर्थन करने के लिए मैं यहाँ पर आपने द्वारा लिखी पोस्ट को साभार दोबारा प्रस्तुत कर रहा हूँ....!!!

आलोक जी आपने बिलकुल सही कहा की बाबा संस्कृति हमारे समाज के लिए घटक है, ये बाबा अपने आपको ईश्वर बताने की होड़ में लगे हैं लेकिन हकीकत ये है की ये अपनी जेब गर्म करने में लगे हैं और अंध भक्त इन्हें ईश्वर का दर्जा दिए हुए हैं. इंडिया टीवी ने सत्य साईं बाबा के चमत्कारों की ऐसी वात लगी लेकिन अंधी जनता कब समझेगी इसे !
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क्लीन शेव भगवान्
आज कल रोज़-रोज़ एक नयी ख़बर आ रही है, बाबा छेड़छाड़ करते पकडे गए ,बाबा 2 महिलायों के साथ सेक्स करते पकड़े गए, या फलाँ बाबा सेक्स रैकेट चला रहे थे, कोई बाबा अपराधियों को शरण दे रहा है तो कोई अरबों की सम्पति के साथ पकड़ा जाता है.

उनका मूल कारण ये है कि प्राचीन संत स्वामी दयानद ,स्वामी विवेकानंद , कबीर और गौतम बुद्ध की तरह न तो इनमे नियत है, न तप है और न ही साधना !

डांसिंग भगवान्
आज आधे से ज़्यादा बाबा गवैये हैं, ये राम कृष्ण के भजन गाते गाते कब बेवकूफ भक्तो के भगवान् बन गए, पता ही नही चला. भक्त लोग बाबा का गाना सुनकर बस झूमने लगते है ऐसा माहोल ही बना दिया जाता. सजावट ही इतनी सुंदर होती है की दूर-दूर से लोग बाबा का दर्शन करने चले आते है बाबा की बाते सुनकर भक्त खो जाते है. बाबा क्या बता रहे है न कोई विचार न विमर्श, बाबा बस राधे राधे कहते गए भक्तो के उपर ज्ञान बरस रहा है.

सेक्स स्कैंडल वाले भगवान्
लीला में लीन बाबा
आज के बाबा की भी जलवे है बैठने के लिए सोने का भव्य सिंहासन ,आने जाने के लिए महँगी गाडिया और हेलीकाप्टर!! इनके आश्रम देख लो ताज महल भी फीका लगे, गुरू नानक, दयानद आदि ने भव्य आश्रम नहीं बनवाए। माया के मोह में लिपटे आजकल के बाबा, काहे के बाबा? ये बाबा क्या किसी को सच दिखाएंगे? उनकी तो खुद की आंखों पर ऐश-ओ-आराम, सेक्स और ताकत का पर्दा पड़ा हैभोले-भाले भक्तों से कहते है कि भोग विलास से दूर रहो, खुद सेक्स स्कैंडल में पकड़े जाते हैं। और इस बार तो हद ही हो गई। एक बाबा सेक्स रैकेट ही चलाने लगा। मुझे इस बात से तकलीफ नहीं कि बाबा अभी शरीर सुख या आलीशान जीवन के मोह से दूर नहीं हो पाए। यह तो मानव की सहज वृत्ति है। लेकिन भगवा पहनकर तो बेवकूफ बनाने वाली बात ही कही जाएगी।

नियनानद स्वामी
ऐसे एक बाबा जय गुरुदेव उर्फ़ तुलसी राम ने मथुरा की गरीब किसानो की भूमि दबा रखी है. भक्त लोग अपने बाबा के कहने पर हजारो एकड़ जमीन पर रातो रात किसानी कर देते है, ये सब भक्त लोग अपने उपकार(श्रम दान ) के लिए करते है, इतनी मेहनत अपने खेत में कभी ही की हो, पर यहाँ मामला दुसरे लोक में जगह पाने की है, फिर वही बाबा की खेत का एक गन्ना 50 में बिकता है बाबा उसे भगवान् का प्रसाद बताते है भक्त ही ख़रीदते है.

ज्ञान के नाम पर कुछ कान में बुदबुदाया जाता है और कहा जाता है बाबा जी कि मूर्ति के सामने अकेले कोने में बैठ कर जाप करे, न वो तो नाम किसी और को ना बताये और न ही कोई आपको पूजा करते सुन ले.

ये कैसा ज्ञान है ,जो कान में कहाँ सुना जाता है ,ज्ञान सबके सामने बोलता है वो सबका का कल्याण चाहता है जैसे विवेकानंद! 

कुछ बाबा अपने आप को जगत गुरु कहलवाते है जैसे अपने कृपालु जी महाराज, रोज़ ही भगवान से हाथ मिला के आते है , अगला पिछला सब जानते है, उनके ही आश्रम में भगदड़ मची बहुत लोग मारे गए, वो न बताया भगवान् है ने, कुछ संस्कृत में रट लिए है बाबा ने और बस भक्तो को लगता है बाबा को सब पता है, उनका बेडा वो बैठे बैठे पार लगा देगे.

जडेजा भगवान् गिरफ़्तारी के बाद
जडेजा भगवान् --तब
लेकिन बाबा को बाबा बनाने में गलती लोगों की अंधभक्ति की भी है। सोचने की बात है कि जो बाबा अपनी ही भलाई में लगा हुआ है वह तुम्हारा भला कैसे कर सकता है? जो बाबा खुद लालच से उबर नहीं पाया वह तुमको क्या सिखा सकता है? जो बाबा आम आदमी और खास आदमी में फर्क करता है, वह क्या भेद मिटाएगा? लेकिन मूढ़मति लोगों को तर्क नहीं समझ आते.

11 टिप्पणियाँ:

Asha Lata Saxena ने कहा…

कई सत्य उजागर करती रचना |बधाई
आशा

निर्मला कपिला ने कहा…

बिलकुल दोश हमारा ही है। धन्यवाद।

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

सत्य को उजागर करते इस लेख के लिए हार्दिक बधाई ...

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

अंध समर्थन उचित नहीं , हमें ढोंगी बाबाओं और संतों के बीच का भेद समझकर ही उनका अनुयायी बनना चाहिए |

हरीश सिंह ने कहा…

सनातन धर्म जो सभी धर्मो की जननी है, जिसे आज हिन्दू कहने लगे है, उसे बदनाम करने का कार्य ऐसे ही पाखंडी बाबाओ ने किया है. हमरे देश में साधू, संतो का सम्मान था, उनकी आवाज़ हमेशा पत्थर की लकीर होती थी, क्योंकि उनमे तेजबल था. तप था, त्याग की भावना थी, वे जंगलो में रहते थे, उन्हें धन मान सम्मान की लालसा नहीं थी. आज पाखंडियों ने वही वेश-भूषा धारण कर स्वांग रचा और उन तपस्वियों को बदनाम कर दिया, आज हिन्दू धर्म में जो भ्रान्तिया फैली है वह उसी की देन है. धर्म जोड़ने के नाम पर इन्ही पाखंडियों ने धर्म का सर्वनाश करके रख दिया है. आज यदि कोई भी धर्म पर अंगुली उठाता है तो उसका मौका आखिर किसने दिया है. इन्ही पाखंडियों ने.... यह खुद को भगवान घोषित करते है और दूसरे को मोह माया त्याग करने की बात करते है और चलते है एसी वाहन में, बाहर गर्मी लगती है, जहा प्रवचन करेंगे वहा एसी लगेगा कूलर लगेगा और बेवकूफ भक्त पसीने से लथपथ होकर हाथ जोड़े जयकारा लगायेंगे........ सुरक्षा घेरे में चलने वाले ए कथित भगवान जब खुद ही अशुरक्षित है तो भक्तो की रक्षा कौन करेगा. जब इनकी पोल खुलती है तो. उन्ही मूढ़ भक्तो का मोह हिन्दू धर्म से उठ जाता है. घृणित कार्य यह करें और बदनाम हो धर्म....... यदि धर्म परिवर्तन की घटनाये बढ़ी है तो दोष न तो इस्लाम का है और न ही ईसाई मिशनरियों का. बेवजह लोग दूसरे धर्मो को बदनाम करते हैं. सरकार को चाहिए की इन सभी आश्रमों की उच्चस्तरीय जाँच कराये. और धर्म को बदनाम करने वाले सभी पाखंडियों का पोल खोकर अंध भक्तो के समक्ष सच्चाई रखे ताकि हिन्दू धर्म बदनाम होने बच सके....
आपकी पोस्ट अति प्रशासनीय है....... मूढ़ भक्तो को इससे सबक लेनी चाहिए.

सत्य गौतम ने कहा…

आलोक जी से पहले हम भी इसी मुद्दे पर बहुत बार लिख चुके हैं । दोष आज के बाबाओं का क्या है ?
सदैव से आश्रमों में यही होता आया है ।

kirti hegde ने कहा…

समाज का आईना. असली राष्ट्रद्रोही .......

गंगाधर ने कहा…

सत्य बोलना पाप है. .. बाबा लोग नाराज हो जायेंगे सलीम भाई. श्राप दे दिए तब क्या होगा.... अच्छी प्रस्तुति.

अहसास की परतें - समीक्षा ने कहा…

खुश खबरी, ओसामा मारा गया। सलीम मुझे दुःख है तुम्हारे व्यक्तिगत हानि पर।

अहसास की परतें - समीक्षा ने कहा…

अब सलीम क्या करेगा?

Alok Mohan ने कहा…

सोच रहा हूँ फिर से लेखन में आ जाऊ

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