शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

झूठी प्रशंसा की महिमा ..................शिव शंकर

महिलायें झूठी प्रशंसा की भूखी होती है ,अमूमन देखा जाता है की पुरुष अकसर महिलाओं को रिझाने के लिए उनकी झूठी तारीफ कर देते है और महिलायें अपनी प्रशंसा सुनकर फुले नहीं समाती ।
अभी कुछ ही दिनों की बात है एक हमारे मित्र ने हमें बताया की मेरी पुरानी प्रेमिका जो की 10 साल बाद मेरे सम्पर्क में आयी है ,10 साल तक उन दोनों में कोई सम्पर्क नहीं था न फ़ोन से न किसी भी माध्यम से क्योंकि शादी के बाद लडकी अपने परिवार के साथ पुणे में रहने लगी
लेकिन हमारे मित्र ने अंतरजाल (internet ) पे सर्च कर अपनी पुरानी प्रेमिका को ढूंढ़ निकाला और दोनों में चैटिंग के माध्यम से बाते हुई दोनों ने एक दुसरे को ईमेल किया और अपनी अपनी बातें एक दुसरे से शेयर की लड़की ने बात को आगे बढ़ाने के बजाय उसे पुरानी कहानी मान कर भूलने की सलाह दी ,लेकिन हमारे मित्र की झूठी प्रशंसा में फस कर वे रिश्ते को आगे बढ़ाने पर मजबूर हो गयी मित्र महोदय ने उनकी तारीफ में कहां की इतने सालो में मै तुम्हे भूल नहीं पाया ऐसा अकसर मेरे साथ (मित्र ) होता था की मैं अतीत की यादों में खो जाता और तुम हरदम मेरे पास ही होती थी ,बहुत चाहा की तुम्हें याद न करु, लेकिन मेरे दिल में तुम्हारे लिए एक अलग प्यार ,सम्मान था जो चाहते हुए भी मैं तुम्हें अपने दिल से नहीं निकाल पाया प्रिय
हलांकि मेरे मित्र के द्वारा कहीं बातो में सच्चाई नहीं थी वो शरारत बस अंतरजाल पर पुरानी प्रेमिका को सर्च किया और खोजने में सफल भी हो गया
अब ऐसी घटना अक्सर हमें देखने को मिल जाती है की महिलायें पुरुषों के ऐसी झूठी तारीफ में उलझ कर अपना भला बुरा भी नहीं सोच पाती और उनके झांसे में आ जाती हैं
समाज में अब ये बात आम हो गयी हैं की महिलाओं को अपनी बात मनवाना हो तो उनकी झूठी तारीफ बढ़ चढ़ कर किया जाये तो वो ख़ुशी से झूम जाती हैअब देखिये न प्रेमिकाओं को रिझाने में प्रेमी उसकी झूठी तारीफ करने में पीछे नहीं रहता रूठी पत्नी को मनाने में भी पति महोदय भी इसी झूठी प्रशंसा का सहारा लेते हैं और वे सभी महिलाओं को अपने पक्ष में करने में सफल भी हो जाते है
खैर ये तो रही रिश्ते को दूर तक ले जाने के लिए महिलाओं की झूठी तारीफ पुरुष समाज द्वारा किया जाना, लेकिन ये नुख्से तो आज ब्लॉग की दुनिया में भी देखने को मिल रहा है
ब्लॉग जगत में कुछ डा. महिला ब्लोगर है जो अपने द्वारा लिखे लेख पर प्रशंसा पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है उनके ब्लॉग पर आप जाते ही देखेगें की उनके लिखे लेख पर भारी मात्र में टिप्पणियाँ मिली हैं जिसमें आपको उस महान लेखिका के विपक्ष में कोई कमेन्ट नहीं मिलेगा ,कमेन्ट करने वाले अधिकांश आशिक मिजाज लोग गलत लेख पर भी बिना पढ़े वाह वाह करते पाए जाते है जिससे उस महिला लेखिका को बुरा न लगे
उनके कमेन्ट को पढकर महिला ब्लोगर प्रसन्न हो जाती है और उन्हें धन्यवाद कहती है ,पुरुष महोदय मुस्कराते हुए सोचते है झूठी प्रशंसा कर बेचारी को ख़ुशी दे दिया
लेकिन कुछ ऐसे पुरुष वर्ग भी है जो महिला ब्लोगर द्वारा लिखे लेख पर आपत्ति जताया और उसके विपक्ष में कमेन्ट किया लेकिन वो कमेन्ट महिला ब्लोगर को पसंद नहीं आया महिला ब्लोगर ने उस कमेन्ट को अभद्र कहते हुए कहा की ऐसे किये गये कमेन्ट मै अपने ब्लॉग पर नहीं प्रकाशित करुगी क्योकि उन्हें झूठी तारीफ सुनने की आदत जो हो गई है इसीलिए विपक्ष में की गई टिपण्णी उन्हें अभद्र लगती है
उस महिला ब्लोगर द्वारा एक पोस्ट लिखी जाती है और वो महिला पुरुष ब्लोगरो से अनुरोध करती है की उन्हें अगर मेरा लेख पसंद न आये तो वो मेरे ब्लॉग पर न आये क्योकि न पसंद करने वाले लोग मानसिक रूप से विकलांग है
अब ये बात तो सच लगने लगी है की महिलायें झूठी प्रशंसा की कायल होती है, उनके भले के लिए किया गया निंदा भी उन्हें बुरा लगता है वे अपनी गलती को सुधरने के बजाय उस सच बात को नकारते हुए अपनी झूठी प्रशंसा में मग्न हो जाती है महिलाओं को अपने हित में कही बातो को स्वीकारना चाहिए और अपने विवेक से काम लेते हुए लोगो के झूठी बातो में नहीं आना चाहिए महिलाओं को समझना चाहिए की जो वाह वाह झूठी करते है उनके तुलना में सच में की गई आलोचना करने वाले सही है

अब पुरुष वर्ग से ये अपील है की महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदले और उनकी झूठी तारीफ करने के बजाय सच को बया करे, जिससे महिलाये अपने अंदर की कमी को सुधार सके झूठी तारीफ से उसे ज्ञात ही नही होगा की उसके अंदर दोष क्या है ?
पुरुष वर्ग को आगे की पंक्तियों से सिख लेनी चाहिए जो इस प्रकार है-

भारती वांग्मय सदा से ही नारी की महानता व गुणगान करता रहा है सनातन ग्रंथो ने स्वीकारा हैं की बिना शक्ति के स्वयं शिव भी शव के समान हैं भारतीय समाज आज भी विद्वान् पुरुष को चरण स्पर्श का आदेश दिया जाता है वही गुरु व पिता कन्या को देवी मान कर पैर पूजता है

अत : पुरुष वर्ग इन बातो से सिख लेते हुए नारी का सम्मान करें, उन्हें भोग की वस्तु न समझते हुए सम्मान व इज्जत दें नारी पुरे समाज की जननी है उनके साथ छल -कपट दुखदायी है

15 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

सशक्त चिंतन..

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

shiv bhai,

ye bat poori nari jagat par laagoo nahin hoti. han kuchh jaise logon ka aap jikra kar rahe hain ho skati hain lekin apavad sabhi jagah hain. prashansa to purushon ko bhi pasand hoti hai. kaun nahin chahta ki usake kiye ki sab sarahen basharte kivah usa kaabil ho.

Mithilesh dubey ने कहा…

सही कहा ये महिला ब्लोगर जो अपनी निंदा नहीं सुन सकती केवल वह वाही कि ही उम्मीद करेंगी तो ये अपने लेख को और मजबूती से पेश नहीं कर पायेगी .आप ने सही नब्ज पकड़ा है.
सार्थक प्रस्तुति . आभार

shyam gupta ने कहा…

---सही कहा शिवशंकर जी...
---किसी ने कहा भी है व किसी ने ब्लोग पर पूछा भी थाकि....कहावत--"पुरुष नारी की इच्छा करता है व नारी पुरुष की इच्छा की इच्छा"--क क्या अर्थ है??
---यही अर्थ है कि नारी सदैवे ही यह इच्छा करती है कि पुरुशः उसकी इच्छा करे...उसे चाहे,सराहे...प्रशंसा करे....
---हं अपवाद भी होते हैं...मानव व्यवहार में कोई भी नियम सार्वभौम नहीं होता...

शिव शंकर ने कहा…

आदरणीय रेखा जी,
आप ने सही कहा ये बात पूरी नारी जाति पर लागु नही होता लेकिन मैंने लेख में ये भी कहा है की निंदा करने वाले इंसान से इतना द्वेष ठीक नहीं झूठी प्रशंसा करने वाले लोगो से सावधान रहे वे आपका हित चाहते तो आपके कमियों को छुपाने के वजाय आपके सामने रखते और आप उसमें सुधर करने की कोशिश करती . महिलाओं को झूठी प्रशंसाओं से बचने की आवश्यकता है और ये ब्लॉग जगत में भी देखने को मिल रहा है .कमी बताने वालो को मानसिक रोगी और अपने पोस्ट पर आने से मना भी किया जा रहा है जो कष्टकारी है .
आदरणीय रेखा जी आप ने अपनी राय दी इसके लिए आपका आभार .

शिव शंकर ने कहा…

आदरणीय गुप्ता जी ,
आपकी उपस्थिति बहुत दिनों बाद हुई शायद आप व्यस्त होंगे आपने समर्थन किया इसके लिए धन्यवाद .
आपने मेरा कहने का भाव समझ लिया और इशारा भी आभार .

saurabh dubey ने कहा…

सही कह रहे हो

हरीश सिंह ने कहा…

हमारे मित्र की झूठी प्रशंसा में फस कर वे रिश्ते को आगे बढ़ाने पर मजबूर हो गयी । मित्र महोदय ने उनकी तारीफ में कहां की इतने सालो में मै तुम्हे भूल नहीं पाया ऐसा अकसर मेरे साथ (मित्र ) होता था की मैं अतीत की यादों में खो जाता और तुम हरदम मेरे पास ही होती थी ,बहुत चाहा की तुम्हें याद न करु, लेकिन मेरे दिल में तुम्हारे लिए एक अलग प्यार ,सम्मान था जो चाहते हुए भी मैं तुम्हें अपने दिल से नहीं निकाल पाया प्रिय ।
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यही लिखा है न आपने, हमारी समझ में एक बात नहीं आती पुरुष समाज नारी के प्रति अपनी सोच को बदल क्यों नहीं पाता. एक नारी ही है जो पुरुष को जन्म ही नहीं देती बल्कि उसे पाल पोश कर इस लायक बनाती की है वह बड़ा होकर समाज में गर्व से सर उठा सके. परन्तु वही पुरुष नारी को आगे बढ़ना नहीं देखना चाहता, हम कितने विकृत हो गए है, हमारी मानसिकता कितनी दूषित है की हम पुरुष और नारी का बस एक ही रिश्ता देखते है, .. एक स्त्री जब किसी किसी क्षेत्र में आगे बढती है पुरुष उसे बर्दास्त नहीं कर पाता यह कैसी मानसिकता है. किसी ऑफिस में काम वाली महिला यदि अपने सहकर्मी से बात करने लगे तो उसका मतलब ही लोग गलत निकाल लेते है. आखिर क्यों क्या एक महिला और एक पुरुष का बस एक ही रिश्ता होता है............शिव भाई इन खोखली विचारधारा से आगे आये और देखे आज की नारी किसी भी मामले में पुरुषो से कम नहीं है............. हमें लगता है की ब्लॉग जगत में जिस तरह आज महिलाएं अपना वर्चस्व बना रही है वह आप को पसंद नहीं आ रहा है. ...... और दूसरी बात आप फिर भविष्यवाणी करने लगे है......... आप कैसे जान गए आपके मित्र ने क्या बाते कही हमें अफ़सोस होता है उन लोंगो की मानसिकता पर जो नारियों को आगे बढ़ते नहीं देख पाते....हद तो यह है की कुछ लोग आपका समर्थन भी कर रहे है. .

हरीश सिंह ने कहा…

आपने लिखा है महिला ब्लोगर अपनी निंदा नहीं सुन सकती, जनाब उस पुरुष ब्लोगर का नाम बताईये जो अपनी निंदा सुनने के तैयार बैठा है.... महिलाओ की बुराई में ही आनंद आता है आपको.

Unknown ने कहा…

aap ki baat mein dum hai.

शिव शंकर ने कहा…

भाई हरीश जी ,

हरीश जी आपके कमेन्ट से ऐसा प्रतीत हो रहा है की आपने पोस्ट पढने के पहले ही विचार कर लिया था की जो भी हो बिना सोचे समझे ही कमेन्ट करुगा खिलाफ में अच्छी बात है आपने यह अपनी राय रखी और ये जानकर ख़ुशी हुई की महिलओं के बारे में आपकी सोच अच्छी है .
लेकिन हरीश भाई मैंने अपने पोस्ट में ये भी अपने पुरुष वर्ग से अपील किया है की महिलाये पूजने योग्य है वो समाज की जननी है उनके साथ छल कपट से बचना चाहिए उनका सम्मान करें . मैंने कुछ पंक्तिया भी उनके बारे में लिखी है की वे कितनी सम्मान के योग्य है .

हरीश भाई और बात जो महिला ब्लोगर की मै कर रहा हूँ वो महिला केवल व केवल अपने कमेन्ट में प्रशंसा सुनने के आदि है चाहे वो अपने पोस्ट में कुछ भी लिखे अगर विपक्ष में कोई बोले तो उसका कमेन्ट प्रकाशित करने के बजाय उसे अभद्र कहती है और एक पोस्ट लगती है की वो पुरुष ब्लोगर मेरे बारे में ये कहा जब ब्लोगर के कमेन्ट को सबके सामने नहीं रखेगी तो लोग जाने गे क्या की उसने आपके विपक्ष में कह क्या रहा है . वो महिला जिस किसी विषय पर लिखती लोग बिना पढ़े केवल लिखते है वाह वाह क्या बात है वो सुनकर खुश होती है आपने लेख पढ़ा होगा यहाँ क्या बताये .
कहने का जो तात्पर्य है की कोई भी व्यक्ति जब तक अपने कमी को जानेगा नही तब तक सुधर कैसे करेगा.

आपसे एक बार अपील करूगां की लेख को पूरा पढकर बताये की क्या उसमे मैंने महिलओं को कुछ गलत कहा मैंने बस इन झूठी प्रशंसाओं से बचने की अपील की है उम्मीद है अगली बार पढने पर आप समझ जाये .

Mithilesh dubey ने कहा…

मित्र शिव शंकर जी

जैसा कि आपने कहा कि महिलाएं अपनी प्रसंसा की भूखी होती हैं तो मित्र यहाँ मै थोडा सा आपसे असहमत हूँ , कारण प्रसंशा किसे अच्छा नहीं लगता , फिर वह चाहे पुरुष हो या महिला . हाँ मै आपके इस बात से सहमत हूँ कि हिंदी ब्लॉग जगत में एक ऐसी धूर्त महिला ब्लोगर है जो बस अपनी प्रसंशा सुनना चाहती है , लेकिन उसके विनाह पर सबको उस श्रेंणी में नही रख सकते . यही हिंदी ब्लॉग जगत में ऐसी महिला ब्लोगर भी हैं जिन्होंने अपनी लेखनी का लोहा सबको मनवाया है. वे महिलाएं किसी बाद विवाद में पीछे नहीं रही है. आपसे यही कहना चाहता हूँ जिस महिला ब्लोगर की ओर ध्यान दिलाने चाहते हैं वह निहायत ही धूर्त प्रकार की महिला है जो बस आप ही नहीं अपितु सारा ब्लोगजगत जानता है . इसलिए आपसे विनम्र निवेदन है कि आप अपनी लेखनी को सार्थक दिशा प्रदान करिए , आप बढ़िया लिखते हैं उस ओर अपना ध्यान रखिये .

Mithilesh dubey ने कहा…

भाई हरीश जी @@@@@@@

--यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते ,रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रेतः तू न पूज्यन्ते सर्वा त्रता पद क्रिया

(मनु स्मरति अध्याय २ श्लोक ५६ ) अर्थात : जहा नारियों का सम्मान होता है वहा देवता (दिव्य गुण ) निवास करते है, और जहां इनका सम्मान नहीं होता है , वहां उनकी सब क्रियायें निष्फल होती है। समाज में स्त्रियों की दशा बहुत उच्च थीं, उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। आर्थिक मामलो की सलाहकार और समाज-व्यवस्था को निर्धारित करने में भी स्त्रियों का महत्वपूर्ण योगदान था। उन्हें भाग्योदया कहा जाता था,,प्रजनार्थ महाभागः पूजार्हा ग्रहदिप्तया। स्त्रियः श्रियस्च गेहेषु न विशेषो स अस्ति कश्चन (मनु स्मरति अध्याय १ श्लोक २६अर्थात :संतान उत्पत्ति के लिए घर का भाग्य उदय करने वाली आदर सम्मान के योग्य है स्त्रिया , शोभा लक्ष्मी और स्त्री में कोई अंतर नहीं ये घर की प्रत्यक्ष शोभा है। ऐसे ही बहुत से उदाहरण हैं , जरूरत हो तो और मिलेंगे......

ऋग्वेद की ऋचाओ मे लगभग 414 ऋषियो के नाम मिलते है जिनमे से लगभग 30 नाम महिला ऋषियो के है। इससे साफ होता है कि उस समय महिलाओ की शिक्षा या उन्हे आगे बढ़ने के मामले मे कोई रोक नही थी, उनके साथ कोई भेदभाव नही था। स्वयं भगवान ने ऋग्वेद की ऋचाओ को ग्रहण करने के लिए महिलाओ को पुरुषो के बराबर योग्य माना था। इसका सीधा आशय है कि वेदो को पढ़ने के मामले मे महिलाओ को बराबरी का दर्जा दिया गया है। वैदिक रीतियो के तहत वास्तव मे विवाह के दौरान रस्मो मे ब्7 श्लोको के वाचन का विधान है जिसे महिला ऋषि सूर्या सावित्री को भगवान ने बताया था। इसके बगैर विवाह को अपूर्ण माना गया है।

हरीश सिंह ने कहा…

महिलायें झूठी प्रशंसा की भूखी होती है ,अमूमन देखा जाता है की पुरुष अकसर महिलाओं को रिझाने के लिए उनकी झूठी तारीफ कर देते है और महिलायें अपनी प्रशंसा सुनकर फुले नहीं समाती ।
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अब पुरुष वर्ग से ये अपील है की महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदले और उनकी झूठी तारीफ करने के बजाय सच को बया करे,
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यह दोनों बातें शिव जी आपने ही लिखी है, मैं बिना पूरा आलेख पढ़े कमेन्ट नहीं देता.... यदि आपको किसी ब्लोगर पर एतराज़ है तो उसका नाम लिख देते आपने तो पूरी नारी जाती को ही अपमानित कर दिया की वे तारीफ की भूखी होती है. फी स्वयं लिखते है की पुरीष नारी जाती का सम्मान करे . जो सम्मान के लायक है उसे सम्मान मिलता ही है. चाहे वह नारी हो या पुरुष........ सम्मान मांगने से नहीं मिलता उस लायक बना पड़ता है. यदि आपको किसी से एतराज़ है तो उसका नाम खुलकर बताएं किस ब्लोगर ने कहा की मेरे ब्लॉग पर वही आये जो तारीफ करे..

अंकित कुमार पाण्डेय ने कहा…

ऐसा लग रहा है की ये पोस्ट(कमेन्ट मिलाकर) किसी व्यक्ति विशेष से खुन्नस निकालने के लिए लिखी गयी है

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