चाँद तारों की बात करते हो
हवा का रुख बदलने की
बात करते हो
रोते बच्चों को जो हंसा दो
तो मैं जानूँ |
मरने - मारने की बात करते हो
अपनी ताकत पे यूँ इठलाते हो
गिरतों को तुम थाम लो
तो मैं मानूँ |
जिंदगी यूँ तो हर पल बदलती है
अच्छे - बुरे एहसासों से गुजरती है
किसी को अपना बना लो
तो में मानूँ |
राह से रोज़ तुम गुजरते हो
बड़ी - बड़ी बातों से दिल को हरते हो
प्यार के दो बोल बोलके तुम
उसके चेहरे में रोनक ला दो
तो मैं जानूँ |
अपनों के लिए तो हर कोई जीता है
हर वक़्त दूसरा - दूसरा कहता है |
दुसरे को भी गले से जो तुम लगा लो
तो मैं मानूँ |
तू - तू , मैं - मैं तो हर कोई करता है
खुद को साबित करने के लिए ही लड़ता है
नफ़रत की इस दीवार को जो तुम ढहा दो
तो मैं मानूँ |
4 टिप्पणियाँ:
koe aapki kavita ko pasand na kre to janu.
bhut achha behtrin kavita parastut kiya aapne .
aabhar
thank you dost ji
चेहरे पर मुस्कान और दिल में ग़मों का समंदर है.
ए हाल क्यों है मेरा कोई बता दे तो मैं मानूँ |
आपके गीत पढ़कर मैं भी गुनगुनाने लगा,
ऐसा क्यों हो गया कोई बता दे तो मैं जानू .
सुन्दर...प्रसिद्ध कविता---मैं सुरभि हूं की तर्ज़ पर भवमयी व सार्थक-उद्देश्यपरक कविता...
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