6/16/2011 03:02:00 pm
shyam gupta
3 comments
प्रेम किसी एक तुला द्वारा नहीं तौला जा सकता , किसी एक नियम द्वारा नियमित नहीं किया जासकता ; वह एक विहंगम भाव है | प्रस्तुत है- पंचम -सुमनान्जलि..समष्टि-प्रेम....जिसमें देश व राष्ट्र -प्रेम , विश्व-वन्धुत्व व मानव-प्रेम निहित ...७ गीत व कवितायें ...... देव दानव मानव, मानव धर्म, विश्व बंधुत्व , गीत लिखो देश के, बंदेमातरम , उठा तिरंगा हाथों में व ऐ कलम अब छेड़ दो.... प्रस्तुत की जायेंगीं | प्रस्तुत है ....पंचम ... रचना ...
....वंदे मातरम् ....
अब तो बंदे मातरम् के गान से भी,
धर्म की निरपेक्षिता खतरे में है |
शूरवीरों के वो किस्से -कथाएं ,
अब भला बच्चों से कोई क्यों कहे ?
देश सारा खेलता अन्त्याक्षरी,
बस करोड़ों जीतने के ख्वाब हैं |
व्यर्थ की उलझन भरे हैं सीरियल,
पात्र सारे बन गए बाज़ार हैं ||
नक़ल चलती अक्ल का है काम क्या ,
सेक्स, हिंसा, द्रश्य पारावार है |
अंग्रेज़ी नाविल व फ़िल्में चल रहीं ,
रो रहा साहित्य का बाजार है ||
धर्म संस्कृति का पलायन होरहा,
अर्थ-संस्कृति का हुआ है अवतरण |
चंद सिक्कों के लिए हों अर्ध नग्ना,
बेचतीं तन नारियाँ, औ नर वतन ||
धर्म संस्कृति राष्ट्र की थाती गयी ,
शेयरों की नित नई ऊंचाइयां |
नक़ल की संस्कृति बढ़ावा पारही,
राष्ट्र संस्कृति देश की रुसवाइयां ||
हर तरफ हैं लोग दिखते ऊंघते,
या कि सोते, हर कुए में भांग है |
शौर्य -गाथाएं पढ़े गायें लिखें ,
यह तकाजा है समय की मांग है ||
शिवा राणा आन, हठ हम्मीर की ,
आज फिर से कृष्ण की, रघुबीर की |
धर्म दर्शन वेद और पुराण की,
है जरूरत फिर नए संग्राम की ||
उठो, ऐ प्यारे वतन के वासियों !
नींद छोडो, चमन में खतरा खडा |
अस्मिताएं अमन खतरे में सभी,
मान, सुख-सम्मान खतरे में पड़ा ||
शूरवीरों के वो किस्से, कहानी,
पुत्र से कोई पिता कैसे कहे,|
अब तो वंदे मातरम् के गान से ,
धर्म की निर्पेक्षिता खतरे में है ||
3 टिप्पणियाँ:
गीत लिखो देश के, बंदेमातरम , सुन्दर प्रस्तुति
धर्म संस्कृति का पलायन होरहा,
अर्थ-संस्कृति का हुआ है अवतरण |
चंद सिक्कों के लिए हों अर्ध नग्ना,
बेचतीं तन नारियाँ, औ नर वतन ||
bahut sahi kataksh kiya hai aapne .bahut sundar prastuti.
धन्यवाद हरीश जी व शालिनी....
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