सिर फोड़ने और जान से मारने की धमकी देने के मामलों को 323/324/504/506 Ipc के तहत दर्ज किया जाता है और भारतीय संविधान इन्हें अहस्तक्षेपीय अपराध मानती है । बिना लाइसेंस अवैध हथियार रखना 25 Arms Act और स्मैक चरस आदि बेचना जैसे मामलों NDPS Act में भी खड़े खड़े बिना अंदर जाए जमानत हो जाती है और लगभग ये सभी मामले हमेशा बिना सजा हुए छूटते हैं जबकि इनमें वादी राज्य सरकार होती है । जो लोग ख़ामख़्वाह हल्ला मचा रहे हैं वे ऐसे अमीर घरों से हैं जिन्हें क़ानून का कोई तजर्बा नहीं है । जो लोग दिन रात कानून में ही सोते जागते और खेलते हैं वे ऐसे नादानों की चिंता पर केवल हँसते हैं ।
किसी को भी चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है । आप देख सकते हैं कि इस देश में बलात्कार और दहेज उत्पीड़न के बारे में पहले से ही कानून मौजूद हैं और हर साल इनका आँकड़ा बढ़ता ही जा रहा है । इससे साबित होता है कि अगर लोग न मानें तो कानून बेचारा खड़ा खड़ा टुकुर टुकुर देखता रहता है । वैसे भी ब्लॉगर मीट और ब्लॉगोत्सव आदि गुटगर्दी के चलते ब्लॉगिंग अमीरों का चोचला और व्यसन बनकर रह गया है । शशि थरूर और अमर सिंह की राजनैतिक खुन्नस ने तो सरकारों को भी परेशान करके रख दिया था। ऐसी परिस्थितियों से भविष्य में बचने के लिए ही यह क़ानूनसाज़ी की जा रही है । जिससे न तो वे डरेंगे जो ब्लॉगिंग को एक नशे और व्यसन की तरह लेते हैं और न ही वे डरेंगे जो Freedom fighter हैं Virtual world के क्योंकि क्रांतिकारियों को जो करना था वह उन्होंने किया हालाँकि अंग्रेज फाँसी और काला पानी की सजाओं का कानून बनाए बैठे थे । दीवानों की अपनी मौज होती है । वे कानून को पूरा आदर देते हुए अपनी आर्ट का बेहतरीन नमूना पेश करेंगे ऐसा मुझे विश्वास है।
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5 टिप्पणियाँ:
अभिव्यक्ति कि आज़ादी होनी चाहिए पर संविधान के दायरे में. पर हम तो भैया फ्रीडम फाईटर है जो कहेंगे डंके की चोट पर, जो होगा देखा जायेगा, जब सब भुगतेंगे तो हम भी भुगत लेंगे. हम तो चाहते है हमारी वजह से ही कानून लाद दिया जाय, लोग याद तो रखेंगे.
ठाकुर साहब ! ब्लॉगिंग के लिए शेर का कलेजा चाहिए , जैसा कि आपके पास है ।
शुक्रिया !
सहमत हूँ आपसे |
wo kya kahte hain angreji me. All The BEST .........
लिखने वाला हाथ हमें दे दो ठाकुर. जय हो...अच्छी रचना अनवर भाई.
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