वर्त्तमान समय के युवा वर्गोँ मेँ ऐसे अधिकांश युवा हैँ जिन्होँने अपनी मंजिल को भी अभी तक नहीँ पहचाना है।ये युवा बस एक अंधकारमय रास्ते पर चलते रहते हैँ।
हाल ही मेँ स्नातक करने वाले एक छात्र से मेरा मिलना हुआ।मैँने उनसे पूछा-आपने अपने छात्र जीवन का अधिकांश वक्त तो गुजार लिया।मैँ आपसे बस ये जानना चाहता हूँ कि आपके जीवन का लक्ष्य क्या है?आप क्या बनना चाहते हैँ? मुझे ये सुनकर बडा आश्चर्य हुआ जब उन्होनेँ कहा कि मैँने अब तक अपनी मंजिल नहीँ बनाई है।
मेरी ये आदत सायद कुछ खराब है कि मैँ जब भी किसी अध्ययनशील छात्र से मिलता हुँ तो ये जरुर पूछता हूँ कि आपका लक्ष्य क्या है? और मेरी बदकिस्मती..जवाब एक ही आता है जो मैँने बताया।बहुत कम ही ऐसे छात्रोँ से मिलना होता है जो अडिग होकर अपने लक्ष्य से परिचय करवाते हैँ।
उन छात्रोँ के बारे मेँ आपकी क्या राय है जो अंधे रास्ते पर बिना अपनी मंजिल पहचाने चलते जा रहे हैँ?हमेँ जरुर बताइए।
साक्ष्य:http://shabdshringaar.blogspot.com
शनिवार, 12 मार्च 2011
अंधे रास्ते
3/12/2011 10:56:00 am
Kunal Verma
7 comments
7 टिप्पणियाँ:
जो बिना मंजिल की पहचान किये चलते रहते हैं वो कभी कामयाब नही होते। टूटे पत्ते की तरह जिधर हवा बहा ले गयी उधर ही चलते रहते है। दिशाहीन। आभार।
जो बिना मंजिल की पहचान किये चलते रहते हैं वो कभी कामयाब नही होते। टूटे पत्ते की तरह जिधर हवा बहा ले गयी उधर ही चलते रहते है। दिशाहीन। आभार।
जीवन में लक्ष्य आवश्यक है, बिना लक्ष्य के जीवन बिना डोर की पतंग है.
लक्ष्य बिहीन जीवन बेकार, सत्य बचन
लक्ष्य बिहीन जीवन बेकार सुन्दर प्रस्तुति के लिए शुभकामना.
आपके विचार से हम सहमत हैं। बिना लक्ष्य के जीना जिन्दगी भर रोना।
आपसभी का बहुत बहुत धन्यवाद
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