रविवार, 27 फ़रवरी 2011

घर का पता

वो अपने हैं लेकिन दग़ा दे रहे हैं
मेरे जलते घर को हवा दे रहे हैं

क़सम ले के पहले मुझसे न मिलने की
मुझे अपने घर का पता दे रहे हैं

7 टिप्पणियाँ:

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

शुक्रिया भाई साहब !

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

हरीश जी ! आप HBFI में भी भदोही के मास्टर साहब वाली प्रेरक पोस्ट डालिएगा ।

Shikha Kaushik ने कहा…

nice

हरीश सिंह ने कहा…

thik hai anwar bhai.

Shalini kaushik ने कहा…

bahut khoob

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

@ @ @ हरीश जी , शिखा जी और वकील साहिबा , आप सभी का शुक्रिया ।

@ शिखा जी ! आज मैंने मु. नि. रश्मि जी से आपकी सिफारिश की है कि आपकी रचनाओं को वे अपनी online पत्रिका वटवृक्ष में भी जगह दिया करें। जल्दी ही यह पत्रिका प्रिंट भी होने वाली है । आप अपने नेता जी कहते हैं का लिंक रश्मि जी को ज़रूर भेज दीजिए ।

shyam gupta ने कहा…

----शानदार कतआ...

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