अब क्या लिखें !! इस पर हम ,लेखनी भी शर्माती है ,
कुकृत्य करने वालों की श्रेणी पुरुष ?वर्ग में आती है ,
कानून देश का और समाज, कब तक इसमें अक्षम होगा,
अपनी घर की अस्मिता बचाने में देश कब सक्षम होगा .
अब इसका कोई उपाय करो जहाँ बाड़ खेत को खाती है ............[1]
मानवता इस कलंक को कब तक सर पर ढोएगी ,
जब भी होगी इसकी बात कहीं ,फूट-फूट कर रोएगी ,
वो कैसा अभागा दिन था ,रह -रह कर व्यथा सताती है ........[2]
कैसी सुरक्षा ? कैसी व्यवस्था !सब ओर स्याह बवंडर है ,
ये घटना वहीँ घटती है जहाँ महान ''लोकतंत्र''का मन्दिर है ,
जहाँ 'न्याय की देवी ''भी नव पाठ[संसोधन] पढने जाती है .......[3]
'कमलेश' जहाँ सम्मान नहीं ,देवी, वात्श्लय स्वरूपा नारी का ,
धिक्कार है उन पिशाचों को , इस जग की मानवता सारी का .
हज़ारों हज़ार फांसियां दो इनको ,जहाँ एक बार चढ़ाई जाती है
कुकृत्य करने वालों की श्रेणी पुरुष ?वर्ग में आती है ,
कानून देश का और समाज, कब तक इसमें अक्षम होगा,
अपनी घर की अस्मिता बचाने में देश कब सक्षम होगा .
अब इसका कोई उपाय करो जहाँ बाड़ खेत को खाती है ............[1]
मानवता इस कलंक को कब तक सर पर ढोएगी ,
जब भी होगी इसकी बात कहीं ,फूट-फूट कर रोएगी ,
वो कैसा अभागा दिन था ,रह -रह कर व्यथा सताती है ........[2]
कैसी सुरक्षा ? कैसी व्यवस्था !सब ओर स्याह बवंडर है ,
ये घटना वहीँ घटती है जहाँ महान ''लोकतंत्र''का मन्दिर है ,
जहाँ 'न्याय की देवी ''भी नव पाठ[संसोधन] पढने जाती है .......[3]
'कमलेश' जहाँ सम्मान नहीं ,देवी, वात्श्लय स्वरूपा नारी का ,
धिक्कार है उन पिशाचों को , इस जग की मानवता सारी का .
हज़ारों हज़ार फांसियां दो इनको ,जहाँ एक बार चढ़ाई जाती है
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