शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

अब क्या लिखें !!...???????????

 अब क्या लिखें !! इस पर हम ,लेखनी भी शर्माती है ,
कुकृत्य  करने वालों की श्रेणी  पुरुष ?वर्ग में आती है , 

कानून देश का और समाज,  कब तक इसमें अक्षम होगा,
अपनी घर की अस्मिता  बचाने में देश कब सक्षम होगा .
अब इसका कोई  उपाय  करो जहाँ बाड़  खेत को खाती है ............[1]

मानवता इस कलंक को कब तक सर पर  ढोएगी ,
जब भी होगी इसकी बात कहीं ,फूट-फूट कर रोएगी ,
वो कैसा अभागा दिन था ,रह -रह कर व्यथा सताती है ........[2]

कैसी  सुरक्षा ?  कैसी व्यवस्था !सब ओर स्याह  बवंडर है ,
 ये घटना  वहीँ घटती   है जहाँ महान ''लोकतंत्र''का मन्दिर है ,
जहाँ 'न्याय की देवी ''भी  नव पाठ[संसोधन]  पढने जाती है .......[3]

'कमलेश'   जहाँ सम्मान नहीं ,देवी, वात्श्लय  स्वरूपा  नारी का ,
धिक्कार है उन  पिशाचों  को  ,  इस  जग की मानवता सारी का .
 हज़ारों हज़ार  फांसियां  दो  इनको ,जहाँ एक बार चढ़ाई जाती है

0 टिप्पणियाँ:

Add to Google Reader or Homepage

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | cna certification