( “पोल इंडिया ” राजनीतिक पत्रिका के दिसबंर अंक में प्रकाशित लेख) हरियाणा में कद्दावर कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया है। वे दो दिसबंर को सिरसा में हजकां की रैली में कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व वाली हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) में शामिल हो गए। जींद में अपने आवास पर 27 नवबंर को औपचारिक रुप से घोषणा करते हुए मांगेराम गुप्ता ने कहा कि 40 साल पुरानी पार्टी छोड़ते हुए उन्हें कष्ट हो रहा है। गुप्ता ने कहा कि वे किसी स्वार्थ वस नहीं बल्कि अपनी और अपने समर्थकों के प्रति पार्टी स्तर पर भारी उपेक्षा से आहत होकर कांग्रेस को छोड़ रहे हैं। पिछले चालीस वर्षों से हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहे मांगेराम गुप्ता कांग्रेस सरकार में तीन बार कैबिनेट मंत्री रहे। दो बार भजनलाल के शासनकाल में और एक बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में मंत्री बनाए गये। 2009 से पहले हुड्डा सरकार में मांगेराम गुप्ता शिक्षा और परिवहन मंत्री बनाए गए। मांगेराम गुप्ता जींद विधानसभा सीट से छ बार विधायक भी रह चुके हैं। मांगेराम गुप्ता दो दिसबंर को सिरसा में हजकां के स्थापन दिवस के मौके पर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी औऱ हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्नोई के समक्ष हजकां की सदस्यता ग्रहण की। आपको बता दें कि हरियाणा में हजकां-भाजपा का गठबंधन है और हरियाणा जनहित कांग्रेस(हजकां) एनडीए का घटक दल है। सिरसा में हजकां की महारैली में विपक्ष की लोकसभा में नेता सुषमा स्वराज समेत कई भाजपा और हजकां के कई बड़े नेता भी शामिल थे। मांगेराम गुप्ता को इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने भी अपनी पार्टी में शामिल होने का न्यौता दिया था। ऐसा माना जाता है कि गुप्ता पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई के करीबी थे। शायद यही वजह है कि मांगेराम गुप्ता ने इनेलो में ना जाकर हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) में शामिल होने का निर्णय लिया है। मांगेराम गुप्ता के साथ कई क्षेत्रिय कांग्रेसी नेताओं ने भी हजकां में शामिल हुए। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत भजनलाल के विश्वास पात्र रहे मांगेराम गुप्ता का हरियाणा की राजनीति, विशेषकर जींद में गहरा प्रभाव है। गुप्ता के कांग्रेस छोड़ने से चुनावों में राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है। हरियाणा के अन्दर व्यापारियों में मांगेराम गुप्ता का खासा प्रभाव है। जींद विधानसभा सीट से गुप्ता 1977 से 2009 के बीच कुल आठ बार चुनाव लड़े जिसमें से वे छ बार चुनाव जीतने में कामयाब भी रहे। मांगेराम गुप्ता की राजनीतिक हैसियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे पहली बार जींद विधानसभा सीट से 1977 में निदर्लीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े और विधायक चुने गए। वे हरियाणा सरकार में वित्त, शिक्षा और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा भी संभाल चुके हैं। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष फूलचंद मुलाना ने मांगेराम गुप्ता के पार्टी छोड़ने से पार्टी पर पड़ने वाले किसी भी प्रभाव से इनकार किया है। मुलाना के अनुसार मांगेराम की कांग्रेस पार्टी में कोई उपेक्षा नहीं की गई हैं औऱ उनका पार्टी में पूरा सम्मान है। फूलचंद मुलाना ने कहा कि जब लोग पार्टी छोड़ते हैं तो कहते हैं उनकी उपेक्षा हो रही थी। जब पार्टी में वापस आते हैं तो कहते हैं कि वे अपने घर वापस आ रहे हैं। मुलाना के अनुसार पार्टी में ऐसा चलता रहता है। हलांकि मांगेराम गुप्ता ने कभी भी कांग्रेस में न लौटने की बात कही है। मांगेराम गुप्ता का राजनीतिक सफर बहुत पुराना रहा है। गुप्ता 1977 में निर्दल से चुनाव जीतने के बाद 1980 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। 1981 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में मांगेराम गुप्ता को वित्त मंत्री बनाया गया। जींद विधानसभा सीट से गुप्ता 1977 के बाद कांग्रेस के टिकट पर 1982, 87,91, 96, 2000, 2005 औऱ 2009 में चुनाव लड़े। सन् 2009 विधानसभा चुनाव में मांगेराम गुप्ता को हार का सामना करना पड़ा। तभी से उन्हें कांग्रेस पार्टी में किसी भी पद पर संगठन में शामिल नहीं किया गया। मांगेराम गुप्ता प्रदेश कांग्रेस में उपाध्यक्ष, महासचिव तथा कोषाध्यक्ष पद के अलावा आईएसीसी के सदस्य रहे गुप्ता को 2009 के बाद ब्लाक स्तर तक का कोई भी पद नहीं दिया गया। पार्टी में अपनी अनदेखी से परेशान मांगेराम गुप्ता आखिरकार कांग्रेस को छोड़ने का फैसला कर लिया। राजनीतिक जानकारों के अनुसार गुप्ता पिछले कुछ सालों से मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से नाराज चल रहे थे। शांति राठी का भी कांग्रेस से मोह भंग हरियाणा में एक और कोंग्रेसी नेता का कोंग्रेस से मोह भंग हो गया है। पूर्व शिक्षा मंत्री शांति राठी ने कोंग्रेस से नाता तोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस का दामन थाम लिया है। हजकां में शामिल होने की घोषणा खुद हरियाणा जनहित कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई ने शांति राठी की मौजूदगी में 28 नवबंर को सोनीपत में की। सोनीपत की दिग्गज नेता शांति राठी की गिनती कुलदीप बिश्नोई के दिवंगत पिता और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल करीबियों में की जाती है। दो बार मंत्री रह चुकीं सोनीपत की बुजुर्ग नेता शांति राठी अपने समर्थकों के साथ हजकां में शामिल होने के बाद कहा कहा कि स्व. चौ. भजनलाल उनके भाई की तरह थे। वे उनके परिवार को अपना परिवार मानते थे। राठी ने कहा वे अपने परिवार से कुछ समय के बाद दोबारा जुड़कर खुश हैं। वैसे शांति राठी काफी समय से कांग्रेस के मंचों पर नहीं दिख रहीं थीं। ऐसा माना जा रहा है पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही थी, इसीलिए उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ने का फैसला लिया।
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