मंगलवार, 14 अगस्त 2012

केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख का निधन

नई दिल्ली- केंद्रीय मंत्री विलास राव देशमुख का चेन्नई में आज दोपहर निधन हो गया। वे पिछले दो महीने से बीमार थे। चेन्नई के ग्लोबल अस्पताल में उन्हें 6 अगस्त को भर्ती करवाया गया था। 67 वर्षीय विलास राव देशमुख का लीवर खराब था जिसके कारण उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। विलास राव देशमुख केंद्र सरकार में विज्ञान और तकनीक मामलों के मंत्री थे। वे दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे। देशमुख ने अपना राजनीतिक सफर बतौर सरपंच शुरु किया था। वे 1974 में बाभलगांव के सरपंच चुने गए थे। इसके बाद वे पंचायत समिति के सभापति औऱ फिर जिला परिषद के अध्‍यक्ष चुने गए। देशमुख 1980 से 1995 तक लगातार तीन चुनावों में विधानसभा के लिए चुने गए और विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री भी रहे। पहली बार विलासराव देशमुख 18 अक्टूबर 1999 से 16 जनवरी 2003 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे, जबकि दूसरी बार उनका कार्यकाल 7 सितंबर 2004 से 5 दिसंबर 2008 तक रहा। देशमुख के दूसरे कार्यकाल के दौरान मुंबई सीरियल ब्लास्ट हुआ जिसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद देशमुख केंद्रीय राजनीति में आए। और राज्यसभा के सदस्य बनें। इसके बाद उन्हें केंद्र सरकार में जगह मिली। विलास राव देशमुख का जन्म 26 मई 1945 को मध्य प्रदेश के लातूर जिले के बाभलगांव के एक मराठा परिवार में हुआ था। देशमुख पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान और ऑर्ट्स दोनों में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। वे पुणे के ही इंडियन लॉ सोसाइटी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। विलासराव देशमुख की शादी वैशाली से हुई थी। देशमुख के तीन बेटे हैं–. अमित देशमुख, रितेश देशमुख और धीरज देशमुख। अमित देशमुख लातूर से कांग्रेस पार्टी से विधायक हैं। जबकि रितेश देशमुख बॉलीवुड जाने-पहचाने कलाकार हैं। विलास राव देशमुख सीधे-साधे स्वाभाव के व्यक्तित्व थे। उनका सभी पार्टियों के नेताओं से अच्छे संबंध थे। लोग उनका बड़ा सम्मान करते थे। देशमुख के अन्ना से अच्छे संबंध भी थे। अन्ना हजारे के अनशन के दौरान प्रधानमंत्री अपना दूत बनाकर विलासराव देशमुख को ही भेजे थे। देशमुख के द्वारा प्रधानमंत्री का आश्वासन मिलने के बाद ही अन्ना हजारे ने रामलीला मैदान में अपना अनशन तोड़ा था।

हालांकि विलासराव देशमुख का नाता विवादों से भी रहा। विलासराव देशमुख का विवादों से भी नाता रहा. देशमुख अपने मुख्यमंत्रित्व काल में फिल्म निर्माता निर्देशक सुभाष घई को फिल्म संस्थान बनाने के लिए सरकार की ओर से 20 एकड़ जमीन मुहैया कराई थी। इस जमीन को 2012 में बंबई हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया और सुभाष घई को जमीन लौटाने का आदेश दिया। इसके बाद राजनीतिक विरोधी इनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 2010 में अपने भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मामले में मुंबई पुलिस पर दबाव डालने की शिकायत मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इस तरह से देशमुख को अपने विरोधियों की आलोचनाएं सहनी पड़ी थी। इसके अलावा विलास राव देशमुख पर आदर्श सोसाइटी केस में भी कई आरोप लगे। रिपोर्ट- मंगल यादव

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