5/28/2012 06:01:00 pm
deepti sharma
2 comments
अहद तेरा यूँ लेकर दिल में
याद आये रात फिर वही
बदगुमान बन तेरी चाहत में
अपने हर एहसास लिये मुझे
याद आये रात फिर वही
अनछुये से उस ख़्वाब का
बेतस बन पुगाने में मुझे
याद आये रात फिर वही
उनवान की खामोशी में
सदियों की तड़प दिखे और
याद आये रात फिर वही
तेरे ख़्यालों में खोयी
ये जानती हूँ तू नहीं आयेगा
फिर भी मुझे,
याद आये रात फिर वही
याद आये बात फिर वही ।
© दीप्ति शर्मा
2 टिप्पणियाँ:
बहुत भावपूर्ण रचना |
आशा
nice
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