बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

जो भारत माता का रेप कर रहे हैं, उन से बुरा काम तो इन बेचारों ने नहीं किया .


       

जो भारत माता का रेप कर रहे हैं, उन से बुरा काम तो इन बेचारों ने नहीं किया .


ये बेचारे तो इन्द्रियों के गुलाम हैं , और अपने कृत्य पर शर्म भी आयी , 


पर इन सरकारी दामादों  का तो शर्म से भी वास्ता नहीं है 


कहते हैं , हम तो बड़े भोले हैं , जो पहली सरकार कह गयी , हम तो उसका हुक्म ही बजा रहे थे, 


हिन्दुओ जागो , मुसलमानों से उतना खतरा नहीं है , जितना इन भारत माता के बलात्कारीओं से है .


 
देखो इनके चेहरे ! है शर्म का कोई निशाँ 
the big rapist of the country:
chidambaram, raja, sibbal, and whole gandhi government including man mohan singh.

5 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

भारत माँ की अस्मत लूटे।
ऐसा कोई नहीं हुआ।
कृपया पोस्ट का हैडिंग बदलें।

पद्म सिंह ने कहा…

इस पोस्ट की हेडिंग बादल दो ... तुरन्त... अगर अपनी माँ जरा सा सम्मान मन मे शेष है तो

Rajesh Tripathi ने कहा…

प्रिय भाई, यह सच है कि भारत माता के साथ, इस देश के साथ पद और सत्ता लोलुप नेता प्रशासक अनर्थ कर रहे हैं। लेकिन बुरे को बुरा कहने की भाषा अगर शालीन हो ज्यादा उत्तम है। आपको ऐसा नहीं लग रहा कि इस लेख का शीर्षक अशालीन हो गया है। अगर बुरे को बुरा कहने के लिए हम खुद वैसा आचरण करने लगें जो शोभनीय तो यह कहां तक ग्राह्य और उचित है। हम समझते हैं कि इस देश को कुछ भ्रष्ट नेता जहां ले गये हैं वह क्षोभ और आक्रोश पैदा करता है लेकिन गुणी और सुधी लोगों की पहचान यही है कि वे हमेशा संतुलित और शालीन रहते हैं। यही भाव हैं जो उन्हें औरों से अलग और विशिष्ट बनाते हैं। अगर कुछ कहना है तो अभिधा में कहिए ना, समझने वाले समझ जायेंगे, जिनके लिए कहा है उनके सिर के ऊपर से गुजर जायेगा। कृपया आप तो उन लोगों की पंक्ति में न नजर आइए जो आक्रोश में होश खो देते हैं।

Rajesh Tripathi ने कहा…

प्रिय भाई, यह सच है कि भारत माता के साथ, इस देश के साथ पद और सत्ता लोलुप नेता प्रशासक अनर्थ कर रहे हैं। लेकिन बुरे को बुरा कहने की भाषा अगर शालीन हो ज्यादा उत्तम है। आपको ऐसा नहीं लग रहा कि इस लेख का शीर्षक अशालीन हो गया है। अगर बुरे को बुरा कहने के लिए हम खुद वैसा आचरण करने लगें जो अशोभनीय हो तो यह कहां तक ग्राह्य और उचित है। हम समझते हैं कि इस देश को कुछ भ्रष्ट नेता जहां ले गये हैं वह क्षोभ और आक्रोश पैदा करता है लेकिन गुणी और सुधी लोगों की पहचान यही है कि वे हमेशा संतुलित और शालीन रहते हैं। यही भाव हैं जो उन्हें औरों से अलग और विशिष्ट बनाते हैं। अगर कुछ कहना है तो अभिधा में कहिए ना, समझने वाले समझ जायेंगे, जिनके लिए कहा है उनके सिर के ऊपर से गुजर जायेगा। कृपया आप तो उन लोगों की पंक्ति में न नजर आइए जो आक्रोश में होश खो देते हैं।

shyam gupta ने कहा…

---parantu baat to sach hai....ye log isitarah kee seedhi bhaashaa hi samajhate hain,....na

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