रविवार, 22 जनवरी 2012

सावधान रहें ऐसे गुरु -चेले से !


सावधान रहें  ऐसे  गुरु -चेले से !




गुरु  का  करते  हैं  वंदन ! 
तंत्र  सिखा  दो  मन्त्र  सिखा दो  
सिखा  दो  जादू  टोना  
खाली   झोली   लाया   हूँ   मैं  
भर   दो  चांदी   सोना  ;
गुरु  का  करते  ...............

वशीभूत करने का मुझको 
अब तो मन्त्र बता   दो ;
कैसे  ठगते  जनता  को  हैं ?
ये  षड्यंत्र  सिखा दो ,
गुरु का करते हैं ......

भोली  जनता बलि  का बकरा  
कैसे है  बन  जाती  ?
राज  खोल  दो आज  गुरु जी  
बात  समझ  नहीं  आती  ,
गुरु का करते .........

चेले  ने  जब  पैर  दबाये  
तब  गुरु जी ये बोले  ...
सबसे  पहले  साथ  में  रखो  
बड़े  बड़े  से  झोले  ,
गुरु का करते ....

झोले लेकर  जनता के फिर
बीच  में तुम को जाना ;
झाड़ -फूंक  का ढोंग  रचाकर  
अपना  रंग  जमाना  ,
गुरु का करते हैं वंदन ...

जगा  के लालच कहना  मैं 
दुगने कर दूंगा गहने ;
गहने हाथ  में आ  जाये 
फिर किस्मत  के क्या  कहने  !
गुरु का करते ...

सबकी आँखें बंद कराकर   
रफूचक्कर हो जाना ,
पुलिस  जो पकडे कभी तुम्हे 
फिर उसको भेंट  चढ़ाना   ,
गुरु का करते हैं ............

चेले मैंने  आज तुम्हे 
सारी विद्या  दे  डाली ;
बस तुम रीत निभाते रहना 
गुरु दक्षिणा  वाली  ,
गुरु का करते ....

                                                      शिखा कौशिक 
                                             [विख्यात ]

2 टिप्पणियाँ:

virendra sharma ने कहा…

बेहद सटीक धत कर्म पर अच्छा व्यंग्य काव्यात्मक

Shikha Kaushik ने कहा…

veerubhai ji -hardik dhanyvad

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