सोमवार, 23 जनवरी 2012

भारत की हर बात निराली.....डा श्याम गुप्त......

सारा जग सुन्दर अति सुन्दर ,
पर भारत की शान निराली ।
गूंजे प्रेम प्रीति की भाषा,
वन उपवन तरु डाली डाली ।। 
             
                मेरे देश की बात निराली,                       
              भारत की हर बात निराली ।।

गली गली है गीत यहाँ की,
गाँव शहर संगीत की धड़कन ।
पगडंडी   सी  नीति कथाएं ,
हाट डगर मग प्रीति की धड़कन ।
नदी नहर जल मधु की प्याली,
पग पग सत की कथा निराली ।

                प्रेम की भाषा डाली डाली ,
                इस भारत की छटा निराली ।।

अपने अपने नियम धर्म सब,
अपने अपने ईश -ब्रह्म  सब ।
अपनी अपनी कला कथाएं ,
अपनी अपनी रीति व्यथाएं ।
अलग अलग रंग प्रीति निराली ,
भिन्न भिन्न हर डाली डाली ।

             एक तना जड़ एक निराली,
             मेरे देश की बात निराली ।।

कर्म के साथ धर्म की भाषा,
अर्थ औ काम मोक्ष अभिलाषा,
जीवन की गतिमय परिभाषा ।
विविधि धर्म  मत जाति के बासी,
बहु विचार, बहु शास्त्र कथा सी,
भोर  में प्रिय  ऊषा की लाली ।
                बहु रंगी संस्कृति की थाली ।
                मेरे देश की बात निराली ।।

गीता स्मृति वेद उपनिषद् ,
गूढ़ कथाएं ये पुराण सब ।
विविधि शास्त्र इतिहास पुराना,
कालिदास आदिक विद्वाना ।
सुर  भूसुर  भूदेव  महीसुर ,
नर-नारायण संत कवीश्वर ।

                प्रथम भोर ऊषा की लाली ,
                प्रिय भारत की बात निराली ।।

2 टिप्पणियाँ:

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

सचमुच बात निराली है।

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद अजित जी.....किसी को तो भारत की निराली बात पसन्द आयी....

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