बुधवार, 21 दिसंबर 2011

भारत तो धरती को रब की सौगात है !







सिन्दूरी सुबह है ...उजली हर रात है 
अपने वतन की तो जुदा हर एक बात है 
जितने नज़ारे हैं जन्नत से  प्यारे है 
भारत तो धरती को रब की सौगात है .


बासन्ती मादकता मन को लुभाती है 
रंगीले फागुन में सृष्टि रंग जाती है 
गर्मी  मिटाने  आती  सावन  फुहारे  है 
सब  ऋतुओं  में आ  जाती उत्सव  बहारे  हैं 
गहरे निशा के तम में उज्जवल  प्रभात है 
भारत इस धरती .............................


पर्वत  हिमालय जैसा  सिर  पर  एक ताज  है 
पावन गंगा हर लेती हम  सबके  पाप  है 
बागों  में कोयल  गाती  कितना  सुरीला  है 
अपने वतन में सब  कुछ  कितना  रंगीला  है 
सूखी -प्यासी  धरती पर  ठंडी  बरसात  है 
भारत इस धरती को .....
                                                  शिखा  कौशिक  
                                       [विख्यात  ]

5 टिप्पणियाँ:

Anita ने कहा…

देशभक्ति और देश प्रेम के रंगों में सराबोर करती सुंदर रचना.. शुभकामनायें!

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

bahut hi pyari rachna!

Shikha Kaushik ने कहा…

thanks a lot -ANITA JI ,ANJANA JI AND M11.IN

देवेंद्र ने कहा…

बहुत सुंदर गीत व सुंदर व प्रेरक गायन।

Shikha Kaushik ने कहा…

thanks DEVENDRA JI .

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